नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों के कंप्यूटरीकरण की योजना का काम शुरू किया. इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करने की दिशा में हम एक और कदम आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर सहकारिता से जुड़े लोगों की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने का काम किया है.
उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार के 10 साल पूरे होने जा रहे हैं. इन 10 सालों में देश के गांव, गरीब और किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता के माध्यम से करोड़ों लोगों को स्वरोजगार के साथ जोड़ने का एक मजबूत तंत्र खड़ा किया है.
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि एक विस्तृत विजन के साथ दोनों कामों को एकसाथ करते हुए मजबूत ग्रामीण विकास की नींव डालने का काम सरकार ने किया है. सरकार के 2 कदम डिजिटल इंडिया और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना देश में समृद्ध गांवों की नींव डालने वाले और विकसित भारत की सोच को ग्रासरूट तक ले जाने वाले साबित होंगे.
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया के तहत सहकारिता भी डिजिटल माध्यम से गांवों तक पहुंचनी शुरू हो गई है. राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों के कंप्यूटराइजेशन के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समिति से ले कर पूरी सहकारिता व्यवस्था को आधुनिक बनाने का काम किया है.
अमित शाह ने कहा कि इन दोनों कामों में लगभग सवा दो सौ करोड़ रुपए की लागत आएगी, जिन में से एआरडीबी पर 120 करोड़ रूपए और आरसीएस पर 95 करोड़ रुपए की लागत आएगी. उन्होंने कहा कि इस से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी. साथ ही, मध्यम और दीर्घकालीन ऋण लेने वाले किसानों के लिए एक सरल सुविधा की शुरुआत होगी.
मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 2 साल में सरकार ने सहकारिता में डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए चरणबद्ध तरीके से एक दूरगामी सोच के साथ काम किया है. सहकारिता मंत्रालय बनने के तुरंत बाद सब से पहले 65,000 पैक्स, केंद्रीय रजिस्ट्रार औफ कोआपरेटिव्स और फिर पैक्स के साथसाथ सभी जिलों और राज्य सहकारी बैंकों का कंप्यूटराइजेशन किया गया. इस के बाद राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया और अब एआरडीबी और आरसीएस के कंप्यूटराइजेशन के साथ ही पूरा सहकारिता क्षेत्र आज डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहा है.
उन्होंने कहा कि 65,000 पैक्स के कंप्यूटराइजेशन के लिए आधुनिक और लोगों के साथ संवाद करने योग्य सौफ्टवेयर को नाबार्ड द्वारा तैयार किया गया है. इसी के साथ ये सभी पैक्स इस से जुड़ जाएंगे. इसी प्रकार केंद्रीय पंजीयक कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन का काम भी पूरा हो चुका है, जिस से इस कार्यालय के सभी काम एक ही सौफ्टवेयर से हो सकेंगे.
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के माध्यम से राज्यों, तहसील, जिला और ग्रामस्तर पर कोआपरेटिव्स की सही जानकारी सामने आ जाएगी, जिस से सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि वैक्यूम को भरने के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बहुत उपयोगी सिद्ध होने वाला है.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज आरसीएस कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन होने के साथ ही इस से राज्यों की स्थानीय भाषाओं में संवाद हो सकेगा. कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक पर उच्चतम स्तर पर ध्यान न देने के कारण ये अपनी भूमिका अच्छे तरीके से नहीं निभा पाए हैं. मध्यम और दीर्घकालीन ऋण के लिए यह एक बहुत उपयोगी व्यवस्था है, जो आधुनिक खेती की ओर जाने के लिए किसान को पूंजी मुहैया कराती है. अमित शाह ने यह भी कहा कि अगर हम खेती को आधुनिक नहीं बनाएंगे, तो न हम उपज बढ़ा पाएंगे और न ही किसानों को समृद्ध कर पाएंगे.
अमित शाह ने कहा कि एआरडीबी के कंप्यूटराइजेशन से इन की औपरेशनल एफिशिएंसी में काफी सुधार आएगा, एकाउंटिंग में एकरूपता आएगी और पारदर्शिता बढ़ने के साथसाथ भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार, नाबार्ड द्वारा सभी प्राइमरी कोआपरेटिव एग्रीकल्चर और रूरल डवलपमैंट बैंक और स्टेट कोआपरेटिव रूरल डवलपमैंट बैंक को एक राष्ट्रीय सौफ्टवेयर से जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है. इस से सभी प्रकार के कृषि ऋण का लिंकेज मजबूत हो सकेगा.
अमित शाह ने कहा कि देश के 1851 एआरडीबी की शाखाओं का कंप्यूटराइजेशन होने से इन से जुड़े 1 करोड़, 20 लाख किसानों को बहुत फायदा होगा.
कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों की कंप्यूटरीकरण परियोजना के तहत 13 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित एआरडीबी की 1851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत करने और उन्हें एक कौमन नैशनल सौफ्टवेयर के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
सहकारिता मंत्रालय की यह पहल कौमन एकाउंटिंग सिस्टम यानी सीएएस और मैनेजमैंट इनफोरमेशन सिस्टम यानी एमआईएस के माध्यम से व्यावसायिक प्रक्रियाओं को स्टैंडर्डाइज्ड कर एआरडीबी के परिचालन, दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने का काम करेगी. इस के अलावा इस पहल का उद्देश्य ट्रांजैक्शन कोस्ट को कम करना, किसानों को ऋण वितरण में सुविधा प्रदान करना और योजनाओं की बेहतर मोनीटरिंग और एसेसमैंट के लिए रीयल टाइम डेटा एसेस को अनेबल करना है.