नई दिल्ली: समग्र खाद्य मुद्रा स्फीति को प्रबंधित करने और अनुचित अटकलों को रोकने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारी व थोक, खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रंखला के खुदरा विक्रेता और प्रोसैसर व मिलर्स चावल व धान की स्टाक स्थिति अगले आदेश तक घोषित करें.

संबंधित कानूनी संस्थाओं यानी व्यापारियों व थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रंखला के खुदरा विक्रेताओं, प्रोसैसरों व मिलर्स को (i) टूटे चावल, (ii) गैरबासमती सफेद चावल, (iii) उबला चावल, (iv) बासमती चावल, (v) धान जैसी श्रेणियों में धान और चावल की स्टाक स्थिति घोषित करनी होगी.
संस्थाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे इसे हर शुक्रवार को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल (https://evegoils.nic.in/rice/login.html) पर अपडेट करें. आदेश जारी होने के 7 दिनों के भीतर इन संस्थाओं द्वारा चावल की स्टॉक स्थिति घोषित की जाएगी.

इसके अलावा, खाद्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा स्फीति के रुझान को रोकने के लिए आम उपभोक्ताओं के लिए ‘भारत चावल‘ की खुदरा बिक्री शुरू करने का निर्णय लिया गया है. पहले चरण में, 3 एजेंसियों अर्थात नैफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के माध्यम से ‘भारत चावल‘ ब्रांड के अंतर्गत खुदरा बिक्री के लिए 5 लाख मीट्रिक टन चावल आवंटित किया गया है. आम उपभोक्ताओं के लिए ‘भारत चावल’ की बिक्री का खुदरा मूल्य 29 रुपए प्रति किलोग्राम होगा, जिसे 5 किलोग्राम और 10 किलोग्राम के बैग में बेचा जाएगा.

‘भारत चावल’ शुरुआत में खरीद के लिए मोबाइल वैनों और 3 केंद्रीय सहकारी एजेंसियों की दुकानों से खरीदने के लिए उपलब्ध होगा. यह बहुत जल्द ईकौमर्स प्लेटफार्म सहित अन्य खुदरा श्रंखलाओं के माध्यम से भी उपलब्ध होगा.

इस खरीफ में अच्छी फसल, एफसीआई के पास और पाइपलाइन में चावल का पर्याप्त स्टाक और निर्यात पर विभिन्न नियमों के बावजूद चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं. पिछले वर्ष खुदरा कीमतों में 14.51 फीसदी की वृद्धि हुई है. चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में सरकार की ओर से पहले ही कई कदम उठाए जा चुके हैं.

एफसीआई के पास अच्छी क्वालिटी वाले चावल का पर्याप्त स्टाक है, जिसे व्यापारियों व थोक विक्रेताओं को ओएमएसएस के तहत 29 रुपए प्रति किलोग्राम के आरक्षित मूल्य पर दिया जा रहा है. खुले बाजार में चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए सरकार ने चावल का आरक्षित मूल्य 3,100 रुपए प्रति क्विंटल से कम कर के 2,900 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया. वहीं चावल की न्यूनतम और अधिकतम मात्रा को क्रमशः 1 मीट्रिक टन और 2,000 मीट्रिक टन तक संशोधित किया गया.

इस के अलावा, व्यापक पहुंच के लिए एफसीआई क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नियमित प्रचार किया गया है. परिणामस्वरूप, चावल की बिक्री धीरेधीरे बढ़ गई है. 31 जनवरी, 24 तक 1.66 एलएमटी चावल खुले बाजार में बेचा जा चुका है, जो ओएमएसएस (डी) के तहत किसी भी वर्ष में चावल की सब से अधिक बिक्री है.

टूटे हुए चावल की निर्यात नीति को 1 दिसंबर, 2017 से ‘‘मुक्त‘‘ से ‘‘निषिद्ध‘‘ में संशोधित किया गया है. 9 सितंबर, 2022 को गैरबासमती चावल के संबंध में, जो कुल चावल निर्यात का लगभग 25 फीसदी है, 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया गया है. 8 सितंबर, 2022 चावल की कीमतें कम करने के लिए. इस के बाद गैरबासमती सफेद चावल की निर्यात नीति को 20 जुलाई 2023 से संशोधित कर ‘निषिद्ध‘ कर दिया गया.

बासमती चावल में केवल 950 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन और उस से अधिक मूल्य के बासमती निर्यात के अनुबंध जारी करने के लिए पंजीकृत किए जा रहे हैं. पंजीकरणसहआवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी). उबले चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया गया है, जो 31 मार्च, 2024 तक लागू रहेगा. इन सभी उपायों ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि की गति पर अंकुश लगाया है.

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग भी कीमतों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टाक की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है. गेहूं की अखिल भारतीय औसत घरेलू थोक और खुदरा कीमत में एक महीने और साल के दौरान गिरावट का रुझान दिख रहा है. अखिल भारतीय औसत घरेलू थोक और खुदरा खंड में आटे (गेहूं) की कीमतों में भी सप्ताह, महीने और साल के दौरान गिरावट का रुझान दिख रहा है.

खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार 28जून, 2023 से साप्ताहिक ईनीलामी के माध्यम से गेहूं को बाजार में उतार रही है. सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (घरेलू) ओएमएसएस (डी), के तहत एफएक्यू के लिए 2,150 रुपए क्विंटल और यूआरएस के लिए 2,125 रुपए क्विंटल के आरक्षित मूल्य पर उतारने के लिए कुल 101.5 एलएमटी गेहूं आवंटित किया गया है.

गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और खुले बाजार में गेहूं की मांग को पूरा करने के लिए, ईनीलामी में गेहूं की साप्ताहिक पेशकश को धीरेधीरे शुरुआती 2 एलएमटी से बढ़ा कर वर्तमान साप्ताहिक पेशकश 4.5 एलएमटी तक किया जा रहा है. 31 जनवरी, 2024 तक ओएमएसएस (डी) के तहत 75.26 एलएमटी गेहूं बेचा जा चुका है. अब साप्ताहिक नीलामियों में ओएमएसएस के तहत पेश किए जाने वाले गेहूं की मात्रा को 5 एलएमटी तक बढ़ाने और उत्पादन की कुल मात्रा को 400 मीट्रिक टन तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.

पेराई सत्र शुरू होने के बाद चीनी की एक्स मिल कीमतों में 3.5-4 फीसदी की कमी आई है और चीनी की अखिल भारतीय खुदरा और थोक कीमतें स्थिर हैं. चीनी मौसम 2022-23 में 99.9 फीसदी से अधिक गन्ना बकाए का भुगतान किया जा चुका है और चालू मौसम के लिए अब तक 80 फीसदी गन्ना बकाए का भुगतान किया जा चुका है.

भारत सरकार खाद्य तेलों की घरेलू खुदरा कीमतों पर भी बारीकी से नजर रख रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को मिले. सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित और कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं –

  • कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 2.5 फीसदी से घटा कर शून्य कर दिया गया. इस के अलावा इन तेलों पर कृषि उपकर 20 फीसदी घटा कर 5 फीसदी कर दिया गया. इस शुल्क संरचना को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है.
  •  रिफाइंड सोयाबीन तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड पाम तेल पर मूल शुल्क घटा कर 12.5 फीसदी कर दिया गया है. इस ड्यूटी को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है.

कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में पिछले साल से गिरावट देखी जा रही है. यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के कारण खाद्य तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ घरेलू बाजार में मिले, सरसों तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और आरबीडी पामोलीन की खुदरा कीमतों में एक वर्ष में 1 फरवरी, 2024 को क्रमशः 18.32 फीसदी, 17.07 फीसदी, 23.81 फीसदी और 12.01 फीसदी की कमी आई है. सरकार के सक्रिय कदमों के कारण देश में खाद्य तेलों की कीमतें 2 साल के निचले स्तर पर हैं.

उपरोक्त उपायों से देश में जरूरी चीजों की कीमतों में वृद्धि की गति को धीमा करने में मदद मिली है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग देश में जरूरी चीजों की कीमतों पर बारीकी से निगरानी और समीक्षा करता है. जब भी आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने वाली इन चीजों की सामथ्र्य सुनिश्चित करने के लिए किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, तो कदम उठाता है.

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