देश के बहुसंख्यक किसानों और विभिन्न तबकों ने शांतिपूर्ण ‘भारत बंद‘ (Bharat Bandh) का आवाह्न किया. सर्वविदित है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उन की केंद्र सरकार ने किसानों को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य‘ दिलाने की गारंटी देने के बावजूद और सत्ता में 10 साल रहने के उपरांत भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.

यह सरासर वादाखिलाफी है. इस से देश के किसानों की दशा बद से बदतर हो गई है.

आज किसान अपनी सभी फसलों के लिए ‘एमएसपी गारंटी कानून‘ के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय‘, दिल्ली आंदोलन के दौरान मारे गए किसान परिवारों को मुआवजा और प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी की भी मांग आदि को ले कर किसान संघर्षरत हैं.

किसानों की तरफ से जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की जा रही है.

इस अवसर पर देशभर के 45 किसान संगठनों का सब से बड़ा महासंघ ’अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)’ इन जरूरी मुद्दों पर अपने सभी साथी संगठनों और किसानों के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा है.

समर्थन के लिए किसान संगठनों की ओर से डा. राजाराम त्रिपाठी ने कांग्रेस कमेटी कोंडागांव को धन्यवाद दिया और सभी किसानों से अपील की कि ‘भारत बंद’ के दौरान किसी भी तरह की हिंसा, अनुशासनहीनता, असंयम, दुव्र्यवहार की स्थिति कदापि नहीं आनी चाहिए.

आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक हो और कानून को हाथ में लेने से हर हाल में बचें. स्कूली बच्चों, चिकित्सा संबंधी और अन्य अनिवार्य सेवाएं बाधित न होने पाएं.

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