नई दिल्ली: मत्स्यपालन विभाग ने केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन, सचिव (मत्स्यपालन) डा. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन), सागर मेहरा, एमडी, ओएनडीसी टी. कोशी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में नई दिल्ली में डिजिटल कौमर्स संबंधी ओपन नैटवर्क (ओएनडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया. मंत्री परषोत्तम रूपाला ने इस अवसर पर एक पुस्तिका ‘‘फ्रौम कैच टू कौमर्स, इंक्रीजिंग मार्केट एक्सेस थ्रू डिजिटल ट्रांसफौर्मेशन‘‘ का विमोचन भी किया.

इस सहयोग का उद्देश्य एक डिजिटल मंच प्रदान करना और पारंपरिक मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठनों, मत्स्यपालन क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पाद खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाना है. ओएनडीसी ई-मार्केटिंग का एक अनूठा मंच है, जो मछुआरों, मछली किसानों, एफएफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और अन्य मछुआरा सहकारी समितियों को एक संरचित तरीके से जोड़ कर मत्स्यपालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रुपाला ने एफएफपीओ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की, जिन्होंने ओएनडीसी मंच पर शामिल होने से पहले और बाद के अपने अनुभवों को साझा किया. इस के बाद एफएफपीओ ने जिंदा मछली परिवहन इकाई के विकास जैसी अपनी सफलता की कहानियों को भी साझा किया. उन्होंने एफएफपीओ के प्रयासों की सराहना की और भविष्य में मछली उत्पादों के प्रसंस्करण में और अधिक आटोमेशन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

मंत्री परषोत्तम रूपाला ने एमओयू हस्ताक्षर समारोह के दौरान मछुआरों और एफएफपीओ के साथ बातचीत करते हुए मूल्य श्रंखला और मछली प्रसंस्करण इकाइयों में स्वचालन की आवश्यकता पर जोर दिया.

उन्होंने आगे बताया कि ओएनडीसी के साथ मत्स्यपालन विभाग का यह सहयोग न केवल इन चुनौतियों को संबोधित करेगा, बल्कि यह भारतीय मत्स्यपालन क्षेत्र में डिजिटल वाणिज्य की क्षमताओं को सामने लाने में मदद भी करेगा.

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस सहयोग से मत्स्यपालन उद्योगों को कई लाभ मिलेंगे, जैसे लेनदेन लागत में कमी, बाजार तक पहुंच में वृद्धि, पारदर्शिता में सुधार, प्रतिस्पर्धा और प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि, नवाचार और रोजगार सृजन आदि. इस के अलावा उन्होंने पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ और अन्य हितधारकों को ई-मार्केट के माध्यम से मछली और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए डिजिटल मंच प्रदान करने पर खुशी जताई.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में डीओएफ और ओएनडीसी के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन है.

वहीं डा. एल. मुरुगन ने कहा कि ओएनडीसी के साथ मत्स्यपालन विभाग का यह सहयोग क्रांति लाने के लिए एक अभूतपूर्व पहल होगी. यह पहल मूल्यवर्धित मत्स्यपालन से संबंधित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच भी प्रदान करेगी, जो उत्पादकों को उच्च मार्जिन हासिल करने और अपने उत्पाद की पेशकश में विविधता लाने की अनुमति देगी.

उन्होंने घरेलू मछली की खपत को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सभी पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ को डिजिटल प्लेटफार्म पर जोड़ने की डीओएफ की इस पहल से घरेलू मछली की खपत को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी.

डा. अभिलक्ष लिखी ने डिजिटल कौमर्स संबंधी ओपन नैटवर्क के विभिन्न इस्तेमालों और विशेषताओं का उपयोग करने के लिए मछुआरों को सशक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण, उन के प्रशिक्षण और उन तक कैसे पहुंच बनाई जाए, इन बातों पर प्रकाश डाला. साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी रोशनी डाली कि हितधारकों को गुणवत्ता, प्रमाणन, टिकाऊ प्रथाओं के आधार पर अपने उत्पादों को डिफ्रेंशिएट  अलग करने में भी सक्षम बनाया जाएगा और उन को उन में से विकल्प चुनने की अनुमति दी जाएगी.

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संयुक्त सचिव (मत्स्यपालन), सागर मेहरा ने ओएनडीसी के सहयोग से मत्स्यपालन विभाग की पहल के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि डीओएफ ने पीएमएमएसवाई के तहत 2,195 एफएफपीओ के गठन का समर्थन किया है और लगभग 35 एफएफपीओ को पहले ही ओएनडीसी के नैटवर्क से जोड़ दिया गया है, जो 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल) को कवर करते हैं.

टी. कोशी ने एक लघु वीडियो के जरीए सहयोग के माध्यम से मछुआरों, एफएफपीओ, मछुआरों की सहकारी समितियों, विक्रेताओं आदि को होने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए ओएनडीसी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि तकरीबन 3,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) ने विभिन्न नैटवर्क के माध्यम से ओएनडीसी पर पंजीकरण कराया है. इस के अलावा तकरीबन 400 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), सूक्ष्म उद्यमियों और सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को बाजार में प्रीमियम कीमतों पर नियंत्रण रखने और उपभोक्ता के अनुरूप मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए नैटवर्क पर शामिल किया गया है.

इस अवसर पर मत्स्यपालन विभाग के अधिकारी, मछुआरे, मछली किसान उत्पादक संगठन, उद्यमी, मछुआरा सहकारी समितियां आदि के 120 हितधारकों ने प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी की. एसएफएसी, नेफेड, एनसीडीसी आदि संबंधित संगठनों से एफएफपीओ जैसे विस्तारित प्रतिभागी वीडियो कौंफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे. यह कार्यक्रम एक व्यापक दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि छोटे स्तर के मछुआरों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को बाजार के अवसरों तक समान पहुंच मिले, सामाजिक समावेशन और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले.

सरकार मत्स्यपालन क्षेत्र को व्यापक तरीके से बदलने और नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और विभिन्न अन्य कार्यक्रमों जैसी योजनाओं एवं पहलों के माध्यम से आर्थिक उत्थान और समृद्धि लाने में हमेशा सब से आगे रही है. वैश्विक मछली उत्पादन में 8 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ भारत झींगा उत्पादक में पहला सब से बड़ा, जलीय कृषि उत्पादक में दूसरा सब से बड़ा, तीसरा सब से बड़ा मछली उत्पादक और मछली एवं मत्स्यपालन उत्पादों के निर्यात में चैथा सब से बड़ा देश है.

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