बुरहानपुर: जिले में केला उत्पादन और प्रसंस्करण की अपार संभावनाओं को देखते हुए जिले को ‘बनाना हब‘ बनाने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी. बुरहानपुर में अनूठे बनाना फेस्टिवल 2024 का शुभारंभ हुआ. इस में बड़ी संख्या में विषय विशेषज्ञों, निर्यातकों एवं केला उत्पादक किसानों एवं विभिन्न संस्थाओं के प्रमुखों ने भाग लिया.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रतिभागियों को दिए अपने संदेश में कहा कि बनाना फेस्टिवल के आयोजन से केले से निर्मित विभिन्न उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और प्रोसैसिंग की प्रक्रियाओं से आम लोगों को अवगत करवाने से ले कर इस उत्पाद की निर्यात वृद्धि की संभावनाएं बनेंगी.

मंत्री उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण नारायण सिंह कुशवाह ने बनाना फेस्टिवल 2024 की सराहना करतेे हुए कहा कि इस से समृद्धि एवं विकास के अवसर बनेंगे.

बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा

सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने कहा कि ‘एक जिला एक उत्पाद‘ में बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी यह योजना रोजगार के नए अवसर दे कर आर्थिक रूप से इस व्यवसाय से जुडी महिलाओ को सशक्त बना रही है. लोकल फौर वोकल के तहत ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना की शुरुआत से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में अनेक कदम बढ़ाए हैं.

बुरहानपुर जिले में लगभग 16 लाख मीट्रिक टन केले का उत्पादन हो रहा है. ‘एक जिला एक उत्पाद’ में जिले ने स्पैशल मेंशन अवार्ड 2023 में प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर बुरहानपुर जिले का नाम रोशन किया है.

बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनीस ने कहा कि ‘एक जिला एक उत्पाद’ का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है. जिले में केले के बाद सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल हलदी है. केला और हलदी दोनों ही फसलों की प्रोसैसिंग और मूल्य संवर्धन की गतिविधियों से इन्हें उगाने वाले किसानों की आय में और वृद्धि होने की अपार संभावनाएं हैं.

नेपानगर विधायक मंजू दादू ने कहा कि प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए निजी निवेश आमंत्रित कर के स्थानीय लोगों को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है. इस के लिए केले के फाइबर से टेक्सटाइल व अन्य वस्तुओं के निर्माण की गतिविधियों का उत्पादन वाणिज्यिक स्तर पर करने की आवश्यकता है.

कलक्टर भव्या मित्तल ने कहा कि बनाना फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य ‘एक जिला एक उत्पाद’ के अंतर्गत केले से निर्मित विभिन्न उत्पाद, उन की मार्केटिंग, पैकेजिंग, प्रोसैसिंग जैसी अन्य प्रक्रियाओं से अवगत कराना है. बनाना फेस्टिवल में केले एवं हलदी के प्रसंस्करण में तकनीक, अन्वेषण एवं ब्रिक्री पर जोर देना है. भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए केले के रेशे से हस्तशिल्प उत्पाद, केले के रेशे से कपड़ा एवं विविध खाद्य उत्पादों के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

प्रदर्शनी का अवलोकन सांसद ज्ञानेश्वर पाटील, विधायक अर्चना चिटनीस, विधायक मंजू दादू एवं कलक्टर भव्या मित्तल सहित अनेक अतिथियों ने बनाना फेस्टिवल में आयोजित केले के विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और सराहना भी की. वहीं केले से बने व्यंजन को चख कर प्रसन्नता व्यक्त की. प्रदर्शनी का शुभारंभ फीता काट कर किया गया.

वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न तकनीकियों, प्रक्रियाओं एवं बारीकियों से कराया अवगत कराया. बनाना फेस्टिवल के अंतर्गत होटल उत्सव में 3 कक्षों में विभिन्न स्तर पर सैशन आयोजित रहे, जिस में गु्रप-1 पर्ल हाल, गु्रप-2 अंबर हाल और गु्रप-3 रूबी हाल में सैशन आयोजित किए गए.

बनाना फेस्टिवल में वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा मुख्य विषयों पर जानकारी दी गई. भव्या झा, फैशन डिजाइनर प्रोडक्ट डवलपमैंट एंड मार्केटिंग ने बनाना प्रोडक्ट का महत्व, भविष्य में संभावनाएं, हैंडी क्राफ्ट प्रोडक्ट बनाने के तौरतरीके बताए.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि प्रोडक्ट कम बनें, लेकिन अच्छे होने चाहिए. मार्केट, ग्राहक की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट बनाना चाहिए और प्रोडक्ट में फिनिशिंग होनी चाहिए. ब्रांडिंग के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करें, जिस से कि आप के द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट की पहुंच अधिक से अधिक व्यक्तियों तक हो सके.

अमृता दोषी, इंचार्ज हैड एसपीआरईआरआई बड़ोदरा ने बनाना की उपयोगिता एवं यूटिलाईजेशन औफ बनाना एग्रोवेस्ट इन टू टेक्सटाइल का महत्व बताया. उन्होंने पावर पाइंट प्रिजेंटेशन के माध्यम से बनाना के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दे कर अवगत कराया.

उन्होंने कहा कि हम बनाना फाइबर पर काम कर रहे हैं. कौटन फाइबर से बनाना फाइबर स्ट्रांग होता है. उत्पाद बनाते समय क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. शशांक श्रीवास्तव, उद्यमी, प्लांटेरा बनाना फाइबर प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर ने ट्रांसफार्मिंग वेस्ट इन टू वेरेबल टेक्सटाइल संबंधी आवश्यक जानकारी दी.

डा. रविंद्र नाईक, प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआर ने केले के मूल्यवर्धन एवं तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने मशीन के माध्यम से केले के रेशे निकालने की विभिन्न प्रक्रियाओं के चरणबद्ध प्रणाली से अवगत कराया.

वैज्ञानिक डा. चिराग देसाई ने बनाना पेपर टैक्नोलौजी की बारीकियों के साथ जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केले के फाइबर से यूनिफार्म बनाए जा रहे हैं. बनाना पेपर काफी लंबे समय तक उपयोगी होता है एवं पर्यावरण हितैषी भी है.

उमा थेरे, एमजीआईआरआई सीनियर लैबोरेटरी असिस्टैंट ने बनाना पल्प प्रोसैसिंग की प्रक्रिया से उपस्थित लोगों को रूबरू कराया. वैज्ञानिक डा. केएन शिवा ने केले के तने एवं मध्य भाग से मूल्यवर्धित उत्पाद की जानकारी देते हुए बताया कि प्रोसैसिंग करते समय मौसम एवं गुणवत्ता की प्रमुखता होनी चाहिए. उन्होंने निर्यात के दौरान रखे जाने वाले मापदंड एवं आवश्यक विषयों की जानकारी दी.

आयोजित सैशन में रवि कुमार, वरिष्ठ सलाहकार, एमजीआईआरआई द्वारा हलदी प्रसंस्करण की बेहतर तकनीक से अवगत कराया गया. उन्होंने बताया कि प्रोसैसिंग में सौर ऊर्जा का उपयोग कर के कम लागत में अच्छाखासा मुनाफा कमा सकते हैं.

प्रांजुल रहेजा ने बताया कि यदि हम सोलर ड्रायर का इस्तेमाल करते हैं, तो समय की बचत एवं नवीन तकनीक से रूबरू हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस तकनीक की खास बात यह है कि किसी भी खाद्य सामग्री की गुणवत्ता कम नहीं होने देता. इस में किसान लंबे समय तक अपनी लागत मूल्य को आसानी से निकाल सकते हैं. इस दौरान सैशन में विषय विशेषज्ञों ने वहां मौजूद लोगों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे कर समाधान भी किया.

समूह की कहानी अपनी जबानी

बनाना फेस्टिवल में आजीविका केले के रेशे से निर्मित उत्पाद ‘‘समूह की कहानी अपनी जबानी‘‘ के तहत गौरी स्वयं सहायता समूह शाहपुर की सदस्य उषा उदलकर बताती हैं कि समूह की महिलाओं द्वारा केले के रेशे से विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं.

वे आगे बताती हैं कि यूनिट में 6 मशीनों से प्रतिमाह लगभग 2500 किलोग्राम रेशा प्राप्त होता है. इस रेशे से दीप, झाडू, पेड़ सहित अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं. इस से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. इस काम से दीदियों की माली हालत भी मजबूत हो रही है.

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