जयपुर: प्रमुख शासन सचिव, कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया की अध्यक्षता में पंत कृषि भवन में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) की बैठक राज्य के प्रमुख बैंकों के स्टेट हैड के साथ आयोजित की गई.

प्रमुख शासन सचिव द्वारा बैंक अधिकारियों को इस योजना के प्रति संवेदनशील रहते हुए योजना के लक्ष्य अर्जित करने के लिए निर्देशित किया गया. उन्होंने बताया कि योजना का उद्देश्य खाद्य से संबंधित योजना में अनुदान प्रदान कर इकाइयों को बढ़ावा देना है.

उल्लेखनीय है कि आटा मिल, दाल मिल, प्रोसैसिंग यूनिट, ग्रेडिंग क्लिनिंग यूनिट, अचार व पापड़ के उद्योग, दूध व खाद्य पदार्थों से संबंधित इकाइयों के लिए इस योजना में अनुदान दिया जा रहा है.

प्रमुख शासन सचिव ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि बैंकों द्वारा छोटे व मंझले खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को अधिक से अधिक किस प्रकार लाभान्वित करवाया जा सकता है. इस योजना में नई व पुरानी खाद्य इकाइयों को स्थापित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा 35 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना के तहत विभिन्न बैंकों की ओर से खाद्य इकाई लगाने पर 90 फीसदी तक की ऋण सहायता दी जा रही है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि राज्य में योजना को जनजन तक पहुंचाने एवं आवेदकों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 9829026990 काम कर रहा है. योजना में आवेदनों की संख्या बढ़ाने की दृष्टि से रोलिंग प्रक्रिया के द्वारा अधिक से अधिक डिस्टिक रिसोर्स पर्सन सूचीबद्ध किए जा रहे हैं. सामान्य प्रक्रिया के तहत डिस्टिक रिसोर्स पर्सन के लिए आवेदनपत्र पीएमएफएमई राजस्थान पोर्टल पर उपलब्ध है.

राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के जनरल मैनेजर आशु चैधरी ने बताया कि इस योजना का संचालन विपणन बोर्ड द्वारा विगत 3 सालों से किया जा रहा है, जिस में भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा सम्मिलित रूप से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है.

इस के लिए राज्य में एक प्रबंध यूनिट का संचालन भी किया जा रहा है. यह यूनिट इकाई को मशीन, आवेदन, ब्रांडिंग व मार्केटिंग में भी सहयोग करती है. इस योजना में आवेदन पूरी तरह से निःशुल्क है और डिस्टिक रिसोर्स पर्सन को 20,000 रुपए की राशि का भुगतान भी राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा किया जाता है.

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