सोनीपत: क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र (एमएचयू), मुरथल, सोनीपत में कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा के नेतृत्व में पांचदिवसीय ‘मशरूम उत्पादन, प्रसंस्करण व विपणन’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ. इस कार्यशाला में भागीदारी कर रहे प्रतिभागियों को विभिन्न प्रगतिशील किसानों के फार्म पर ले जा कर भ्रमण करवाया. साथ ही, कई प्रोसैसिंग प्लांटों का भी भ्रमण करवाया गया, वहीं बिहार से आए किसानों ने भी केंद्र का भ्रमण किया और मशरूम उत्पादन से ले कर प्रसंस्करण आदि तक की सभी प्रकार की जानकारी हासिल की.
एमएचयू के कुलसचिव व केंद्र के निदेशक डा. अजय सिंह ने बताया कि पांचदिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम में दौरान 24 प्रतिभागियों को प्रगतिशील किसान, जो कि क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र से ट्रेनिंग ले कर अपना काम अच्छे से कर रहे हैं, उन किसानों के फार्म पर ले जा कर प्रतिभागियों को भ्रमण करवाया, ताकि प्रतिभागी प्रगतिशील किसानों से प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर सकें, उन के मन में मशरूम उत्पादन को ले कर जो शुरुआती दिक्कतें हैं, उन्हें कैसे दूर करें, जानकारी हासिल कर सकें.
प्रतिभागियों को गांव हसनपुर, मुरथल के अलावा अटेरना, कुंडली स्थित प्रोसैसिंग यूनिट में ले जाया गया. वहां प्रतिभागियों ने अपनी आंखों से देखा कि मशरूम से क्याक्या उत्पाद बना सकते हैं, उत्पाद बनाने में कौनकौन सी मशीनें उपयोगी होती हैं, इस के पश्चात प्रतिभागियों को अढेरना गांव में एपीओ द्वारा लगाई यूनिट पर ले जाया गया, वहां पर प्रतिभागियों ने जाना कि किस प्रकार किसान मिल कर मशरूम को टीन में पैक कर विदेशों में भेजा जा रहा है. मशरूम को किस प्रकार पैक किया जा रहा है.
जहानाबाद, बिहार के 24 किसानों ने क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र का भ्रमण किया
नेशनल हार्टिकल्चर मिशन (एनएचएम) स्कीम के तहत जहानाबाद, बिहार के 24 किसानों ने क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र का भ्रमण किया. इस दौरान किसानों को विभिन्न प्रकार की मशरूम जैसे ढिंगरी, किंग ओएस्टर, ओरी क्लुरिया, बटन, शिटाके मशरूम को दिखाया और उन के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
मशरूम को उगाने के लिए खाद कैसे तैयार की जाती है आदि सभी जानकारियों से अवगत कराया गया. किसानों को बताया गया कि मशरूम की खेती कर उस के विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
किसान काफी उत्साहित नजर आए, जब उन्हें मशरूम का बीज कैसे तैयार होता है, कैसे लगाया जाता है, कैसे खाद तैयार होती है आदि सब अपनी आंखों से देखा और वैज्ञानिकों से मशरूम को ले कर जानकारी हासिल की.