सोनीपत: महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने 2 मार्च को क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र, मुरथल में वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खीपालन विषय को ले कर सातदिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया.

कार्यशाला के शुभारंभ के बाद कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने केंद्र का निरीक्षण कर केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की. केंद्र में पहुंचने पर केंद्र निदेशक व कुलसचिव डा. अजय सिंह ने मुख्य अतिथि कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा और विशिष्ट अतिथि, कृषि विभाग के पूर्व क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी डा. जेके श्योरोण, जीत खादी ग्रामोद्योग के प्रधान देवव्रत बाल्यान, सिंधु ग्रामोद्योग समिति के प्रधान अनिल सिंह सिंधू, गोबिंद अतुल्य बी मास्टर प्रोड्यूस कंपनी लिमिटेड का स्वागत किया.

कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को फसल विविधीकरण की ओर तेजी से बढ़ना चाहिए. खेती में नई तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए, जो उन के लिए सकारात्मक दूरगामी परिणाम देने वाली साबित होगी.

उन्होंने किसानों को खेती में उन्नत किस्मों का प्रयोग करने की सलाह दी, जिस से फसल की ज्यादा पैदावार के साथसाथ गुणवत्ता में सुधार होगा. किसान अपनी फसलों को अच्छे दामों पर बेच कर भारी मुनाफा कमा सकेंगे. किसानों, युवाओं, महिलाओं को मधुमक्खी और मशरूम को व्यवसाय के तौर पर अपनाना चाहिए.
कृषि विभाग के पूर्व क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी व मधुमक्खीपालन के एडीओ डा. जेके श्योरोण ने मधुमक्खीपालन को ले कर विस्तार से जानकारी दी. ट्रेनिंग कोर्डिनेटर रविंद्र मलिक रहे.

कुलपति ने किया केंद्र का निरीक्षण

कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने केंद्र का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने हाईटैक नर्सरी, पौलीहाउस, स्पान लैब व मशरूम यूनिट को देखा. इस बारे में केंद्र के निदेशक ने कुलपति को बताया कि केंद्र में किस प्रकार खाद व बीज बना कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है.

इस पर कुलपति ने कहा कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध करवाया जाए, ताकि किसानों को एमएचयू से ज्यादा फायदा पहुंचे.

प्रतिभागियों को वितरित किए सर्टिफिकेट

कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने मशरूम उत्पादन प्रसंस्करण एवं विपणन विषय पर पांचदिवसीय कार्यशाला समापन होने पर प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट व मशरूम का बीज वितरित किया. कार्यशाला में प्रदेशभर के अलगअलग जिलों से आए 24 प्रतिभागियों ने शिरकत की.

उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग का मकसद मशरूम उत्पादन के दौरान होने वाली परेशानियों को पहले ही दूर करना है, ताकि प्रतिभागी मशरूम का उत्पादन अच्छे से कर पाएं. ट्रेनिंग के माध्यम से किसानों को जागरूक करना है. ट्रेनिंग कोर्डिनेटर डा. मनीष कुमार रहे.

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