नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वाणिज्य और उद्योग एवं वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक राष्ट्र को ‘विकसित भारत‘ बनाने की दिशा में आधारस्तंभ होगा.
नई दिल्ली में पिछले दिनों वेयर हाउसिंग डवलपमैंट एंड रेगुलेटरी अथौरिटी (डब्ल्यूडीआरए) के ‘ई-किसान उपज निधि‘ (डिजिटल गेटवे) के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने लाखों भारतीयों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए किसानों को धन्यवाद दिया और कहा कि ‘ई-किसान उपज निधि‘ पहल के साथ प्रौद्योगिकी की सहायता से किसानों की भंडारण व्यवस्था सुगम हो जाएगी और किसानों को उन की उपज के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.
पीयूष गोयल ने इस अवसर पर घोषणा की कि ज्यादा किसानों, विशेषकर छोटे किसानों को गोदामों का उपयोग करने और उन की आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए डब्ल्यूडीआरए पंजीकृत गोदामों पर सुरक्षा जमा शुल्क जल्द ही कम किया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी उपज का भंडारण करने के लिए 3 फीसदी सुरक्षा जमा राशि का भुगतान करना पड़ता था, अब केवल 1 फीसदी ही सुरक्षा जमा राशि के भुगतान करने की आवश्यकता होगी.
मंत्री पीयूष गोयल ने आगे कहा कि ‘डिजिटल गेटवे’ पहल खेती को आकर्षक बनाने के हमारे प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है. बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे, अतिरिक्त सुरक्षा जमा नीति, ‘ई-किसान उपज निधि‘ किसानों द्वारा संकट के समय में उन की उपज बिक्री को रोक सकती है, जिन्हें फसल के बाद भंडारण की अच्छी रखरखाव सुविधाओं के न होने के कारण अकसर अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है, इन की स्थिति बहुत अच्छी है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी हालत में रखते हैं और खराब नहीं होने देते. इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं.
उन्होंने डब्ल्यूडीआरए के अंतर्गत राज्यों में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा उपयोग किए जाने वाले गोदामों के अनिवार्य पंजीकरण और राज्यों के गोदामों से संबंधित बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से तैयार रखने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर बल दिया.
‘ई-किसान उपज निधि‘ प्लेटफार्म के बारे में विस्तार से बताते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि अपनी सरलीकृत डिजिटल प्रक्रिया के साथ यह पहल किसानों के लिए किसी भी पंजीकृत डब्ल्यूडीआरए गोदाम में 6 महीने की अवधि के लिए 7 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज पर भंडारण की प्रक्रिया को आसान बना सकती है.
उन्होंने गोदाम पंजीकरण के लिए एक औनलाइन प्लेटफार्म प्रदान करने की डब्ल्यूडीआरए पहल की सराहना की, जिस में साल दर साल उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. इस पोर्टल पर तकरीबन एक लाख गोदामों को पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 1,500 गोदाम पंजीकृत किए गए थे.
मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात पर भी बल दिया कि ‘ई-किसान उपज निधि‘ और ‘ई-एनएएम’ के साथ, किसान एक इंटरकनैक्टिड मार्केट की प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम होंगे, जो उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उस से ज्यादा दाम पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का फायदा पहुंचाती है. उन्होंने कहा कि पिछले दशक में एमएसपी के जरीए सरकारी खरीद ढाई गुना बढ़ी है.
विश्व की सब से बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के शुभारंभ के बारे में बोलते हुए मंत्री पीयूष गोयल ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गोदामों का मुफ्त पंजीकरण प्रदान करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को सहायता देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए बढ़ावा मिलेगा, जिस से उन्हें अपनी फसल बेचने पर उचित मूल्य मिल सकेगा.