खेती में काम आने वाले अनेक कृषि यंत्रों पर सरकार की ओर से किसानों को इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ दिया जाता है. इन यंत्रों की सूची में अब ड्रोन भी शामिल हो गया है.
पूसा इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के लाभ और विभिन्न हितधारकों के लिए ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया और बताया कि सरकार ने ड्रोन प्रशिक्षण देने के लिए सौ फीसदी सहायता यानी अनुदान देने का निर्णय लिया है. कृषि के विद्यार्थी
इस में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं. कृषि के छात्रछात्राओं के लिए सब्सिडी का प्रावधान भी है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इस में अलगअलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है.
इन के अनुसार, कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद पर कृषि ड्रोन की लागत का सौ फीसदी तक या 10 लाख रुपए, जो भी कम हो, का अनुदान दिया जाएगा.
कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर इस के प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 फीसदी तक अनुदान पाने के लिए पात्र होंगे.
मौजूदा कस्टम हायरिंग सैंटरों द्वारा ड्रोन और उस से जुड़े सामानों की खरीद पर 40 फीसदी मूल लागत का या 4 लाख रुपए, जो भी कम हो, वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे.
कस्टम हायरिंग सैंटर की स्थापना कर रहे कृषि स्नातक ड्रोन और उस से जुड़े सामानों की मूल लागत का 50 फीसदी हासिल करने या ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रुपए तक अनुदान समर्थन लेने के पात्र होंगे.
ग्रामीण उद्यमियों को किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 10वीं या उस के समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए और उन के पास नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा निर्दिष्ट संस्थान या किसी अधिकृत पायलट प्रशिक्षण संस्थान से दूरस्थ पायलट लाइसैंस होना चाहिए.
कृषि में ड्रोन के उपयोग के लिए कुछ नियमों का भी पालन करना होगा.