खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल सोयाबीन है. इस की खेती खासतौर से तिलहनी फसल के रूप में की जा रही है.

इस फसल को उगाने की उन्नत सस्य विधियां निम्न हैं:

जलवायु : यह नरम और गरम जलवायु की फसल है.

तापमान : इस के लिए 25-30 डिगरी सैल्सियस तापमान अच्छा रहता है.

बारिश : 65-70 सैंटीमीटर सालाना बारिश अच्छी पैदावार देने में सक्षम है.

जमीन : अच्छे जलनिकास वाली, नमकरहित, मध्यमभारी दोमट मिट्टी, जिस का पीएच मान 6-7.5 हो, अच्छी मानी जाती है.

फसल चक्र : सोयाबीनमक्काचरी, सोयाबीनगेहूं,  सोयाबीनआलू, सोयाबीनसरसों या तुरई.

अंतरफसली फसल चक्र : सोयाबीनअरहर, सोयाबीनबाजरा और सोयाबीनमक्का.

उन्नत किस्में : डीएस 9814, पूसा 9712, पीके 416, पूसा 24 वगैरह खास हैं.

बोआई का समय : मानसून की पहली बारिश के बाद या जूनजुलाई का मौसम बोआई के लिए अच्छा माना जाता है.

बीज दर : अच्छी पैदावार के लिए 60-70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर सही है.

बीज का उपचार : बीज बोने से पहले राइजोबियम जीवाणु का टीका या गुड़ का घोल बना कर उस में डाल कर खूब हिलाएं. इस के साथ ही फफूंदीनाशक दवा थाइरम या कैप्टान 3 ग्राम घोल में मिला कर बीज को उपचारित करें.

बोआई विधि : बोआई हमेशा लाइनों में ही करनी चाहिए. लाइन से लाइन की दूरी 45 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सैंटीमीटर रखनी चाहिए और बीज को 3-5 सैंटीमीटर की गहराई पर बोएं.

खाद : 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देने से सोयाबीन की अच्छी उपज मिलती है.

खरपतवार की रोकथाम

खरपतवारनाशक दवा बसालिन 2 लिटर 500-600 लिटर पानी में घोल बना कर बोआई से पहले मिट्टी की ऊपरी सतह में छिड़क दें. इस से खरपतवार उग नहीं पाते.

सिंचाई : अगर बारिश न हो तो सोयाबीन के लिए 2-3 सिंचाई काफी हैं.

कटाई : पत्तियों का रंग हलका पीला पड़ जाता है तो सिंचाई बंद कर दें, क्योंकि यह फसल पकने का समय होता है. हंसिया से कटाई करनी चाहिए.

उपज : 18-20 क्विंटल तक की पैदावार मिल जाती है.

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