शाजापुर: कृषि आदान विक्रेताओं के लिए संचालित देशी डिप्लोमा के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर और आत्मा परियोजना किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि प्रसार संस्थान, हैदराबाद, राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण संस्थान, भोपाल के वित्तीय सहयोग से कृषि आदान विक्रेताओं के लिए एकवर्षीय डिप्लोमा कोर्स के प्रमाणपत्र का वितरण समारोह का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र में विधायक शाजापुर अरुण भीमावद के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया.
इस कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. जीआर अंबावतिया, उपसंचालक, कृषि, केएस यादव, वैज्ञानिक एवं फेसिलटेटर डा. एसएस धाकड, आत्मा परियोजना संचालक मती स्मृति व्यास, अनुविभागीय अधिकारी, कृषि, राजेश चौहान, डा. गायत्री वर्मा, डा. मुकेश सिंह, रत्नेष विश्वकर्मा, निकिता नंद, गंगाराम राठौर उपस्थिति थे.
इसी दौरान देशी डिप्लोमा के 48 सप्ताह के इस कार्यक्रम में परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रशिक्षणार्थियों को राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान, हैदराबाद द्वारा डिप्लोमा सर्टिफिकेट के प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया. इस देशी डिप्लोमा का गोल्ड मैडल प्रकाशचंद्र चौधरी, सिल्वर मैडल माखन सिंह पाटीदार और ब्रांज मैडल सुनील हावड़िया को प्रदान किया गया.
आयोजित कार्यक्रम में शाजापुर के विधायक अरुण भीमावद ने बताया कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए जिले के सभी कृषि आदान विक्रेताओं को प्रशिक्षित होना जरूरी है, जिस से उन्नत कृषि तकनीक की जानकारी कृषि आदान विक्रेताओं के माध्यम से किसानों तक पहुंच सके. साथ ही, उन्होंने जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी, जिस से खेती की लागत कम हो सके.
इस दौरान उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी कि उन्होंने उन्नत कृषि तकनीक की जानकारी सभी किसानों एवं कृषि आदान विक्रेताओं को हिंदी में उपलब्ध कराई. सभी कृषि आदान विक्रेताओं को सलाह दी गई कि वे कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त वैज्ञानिकों के निरंतर संपर्क में रह कर उन्नत कृषि तकनीक की जानकारी किसानों तक पहुंचाते रहें.
कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र प्रमुख डा. जीआर अंबावतिया के द्वारा आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए केंद्र द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी. इस दौरान उपस्थित सभी कृषि आदान विक्रेताओं को सलाह दी कि उद्यानिकी एवं औषधीय फसलों की उन्नत कृषि तकनीक किसानों तक पहुंचाएं, जिस से उन की आय में वृद्धि हो सके.
इस दौरान उपसंचालक, कृषि, केएस यादव ने प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी. सभी कृषि आदान विक्रेताओं को सलाह दी कि वे कृषि विज्ञान केंद्र की उन्नत कृषि तकनीक किसानों तक पहुंचाएं. व्यापारियों के लिए कृषि आदानों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों, नियमों और विनियमों के लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया.
देशी डिप्लोमा कोर्स के प्रभारी एवं केंद्र के वैज्ञानिक डा. एसएस धाकड़ ने बताया कि इस एकवर्षीय डिप्लोमा कोर्स के दौरान हर सप्ताह कृषि विज्ञान केंद्र में प्रति शनिवार 40 कक्षाएं आयोजित की गईं. इस डिप्लोमा कोर्स के दौरान केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल एवं कृषि महाविद्यालय, सिहोर सहित प्रगतिशील किसानों के प्रक्षेत्र पर कुल 8 दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किए गए.
इस डिप्लोमा कोर्स में आधुनिक कृषि तकनीक, उन्नत किस्म, एकीकृत उर्वरक प्रबंधन, कीट प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, जल प्रबंधन, संरक्षित खेती, जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन, उन्नत कृषि यंत्रों के साथ जैविक खेती के विभिन्न विषयों की तकनीकी जानकारी कृषि महाविद्यालय, इंदौर, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर, उज्जैन, देवास, राजगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा उपलब्ध कराई गई.
कार्यक्रम के आयोजन में रत्नेष विश्वकर्मा, निकिता नंद एवं गंगाराम राठौड़ का खासा योगदान रहा. आभार प्रदर्शन डा. गायत्री वर्मा द्वारा किया गया.
इस दौरान देशी कोर्स के बारे में विभिन्न प्रशिक्षणर्थियों ने अपने अनुभव आतिथ्यों के सामने रखे :
संजय जैन : कृषि विज्ञान केंद्र में एकवर्षीय देशी डिप्लोमा कोर्स के दौरान एकीकृत खरपतवार प्रबंधन, पौलीथिन लाइनिंग, तालाब, मछलीपालन एवं जल प्रबंधन की उन्नत तकनीक सीख कर ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचा रहे हैं, जिस से मेरे कृषि व्यापार में वृद्धि हो रही है एवं किसानों को सही सलाह मिल रही है. वह अच्छा उत्पादन ले रहे हैं.
ओमप्रकाश गोठी : कृषि विज्ञान केंद्र में नए कृषि यंत्रों का प्रयोग एवं विभिन्न फसलों के लिए इन का उपयोग और जल संरक्षण एवं संवर्धन की उन्नत तकनीक सीखी एवं इन तकनीकों का किसानों के बीच प्रचारप्रसार कर रहे हैं.
परमानंद पाटीदार : उन्नत तकनीक देशी डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से सीखने के बाद मेरे कृषि संबंधी व्यापार में वृद्धि हो रही है एवं किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई जल संरक्षण संवर्धन की उन्नत तकनीक को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचा रहे हैं, जिस से सिंचाई जल की पूर्ति हो सके.
सुनील हावड़िया : कृषि विज्ञान केंद्र के फसल संग्रहालय में विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों एवं फार्म प्रबंधन तकनीक सीखी, जिस से खेतीबाड़ी में किसानों को लाभ हो रहा है एवं वैज्ञानिकों की सलाहों को हम ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचा रहे हैं.
राजेश पाटीदार : कृषि विज्ञान केंद्र में सोयाबीन की उन्नत तकनीक की जानकारी जैसे उन्नत किस्म, रेज्डबेड से बोआई एवं पौध संरक्षण उपाय की विषेष जानकारी मिली, जिस को अपनी फर्म के माध्यम से किसानों तक पहुंचा रहा हूं.
माखनसिंह पाटीदार : मिट्टी परीक्षण एवं उर्वरक प्रबंधन से संबंधित जानकारी के साथसाथ सोयाबीन के विकल्प के बारे में सीखा एवं किसानों को उड़द, मूंग, ज्वार, मक्का की तकनीकी सलाहें वैज्ञानिकों के माध्यम से पहुंचाई गईं.
इस दौरान केंद्र प्रदर्शन इकाई का उपस्थित अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों द्वारा भम्रण किया गया और तकनीकी जानकारी दी गई.