नई दिल्ली: भारत वर्तमान में खाद्य तेल का शुद्ध आयातक है. कुल खाद्य तेल का 57 फीसदी विदेशों से आयात किया जाता है. खाद्य तेल की अपर्याप्तता हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और 20.56 बिलियन अमरीकी डालर इस के आयात पर खर्च होता है.

देश के लिए तिलहन और पाम तेल को बढ़ावा देने के माध्यम से खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.
अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्य तेल उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया. उन्होंने पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए एक विशेष अभियान मिशन पाम औयल पर बात की और इस मिशन के तहत पहली तेल मिल का उद्घाटन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाम की खेती करने के लिए किसानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मिशन पाम औयल खाद्य तेल क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा और किसानों की आय को बढ़ावा देगा.”

भारत सरकार ने अगस्त, 2021 में खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) लौंच किया. यह मिशन औयल पाम की खेती को बढ़ाने और वर्ष 2025-26 तक कच्चे पाम तेल के उत्पादन को 11.20 लाख टन तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

यह योजना वर्तमान में देशभर के 15 राज्यों में जारी है, जो 21.75 लाख हेक्टेयर के संभावित क्षेत्र को कवर करती है. अब तक मिशन के तहत क्षेत्र विस्तार के लिए 1 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाली 111 नर्सरी स्थापित की गई हैं और 1.2 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाले 12 बीज उद्यान भी स्थापित किए गए हैं.

औयल पाम मिशन को नए भौगोलिक क्षेत्रों में पाम तेल को बढ़ावा देने, रोपण सामग्री में सहायता के लिए किसानों को अंत तक सहायता प्रदान करने और निजी उद्यमियों से खरीद सुनिश्चित की गई है.

तेल में वैश्विक मूल्य अस्थिरता को देखते हुए किसानों की मदद के लिए व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) प्रदान किया गया है. सरकार ने समय पर पाम तेल की व्यवहार्यता कीमत को संशोधित किया है और अक्तूबर, 2022 में 10,516 रुपए थी, जिसे नवंबर, 2023 में बढ़ा कर 13,652 रुपए कर दिया गया.

व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) लाभ के अलावा सरकार ने राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत रोपण सामग्री और प्रबंधन के लिए किसानों को 70,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की विशेष सहायता उपलब्ध कराई है.

पाम तेल की खेती के लिए किसानों को कटाई उपकरणों की खरीद के लिए 2,90,000 रुपए की सहायता दे रहा है. इस के अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सैंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए 25 लाख रुपए की सहायता दी गई है.
मिशन के तहत प्रसंस्करण कंपनियां पाम तेल किसानों के लिए वन-स्टाप सैंटर भी स्थापित कर रही हैं, जहां वे इनपुट, कस्टम हायरिंग सैंटर, अच्छी कृषि प्रथाओं की कृषि सलाह और किसानों की उपज का संग्रह की सुविधा दे रहे हैं.

यह दूरदर्शी पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, किसानों को सशक्त बनाने और भारत में खाद्य तेल उत्पादन के लिए एक स्थायी और आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) खाद्य तेलों के महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत के समर्पण का एक प्रमाण है.

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