हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘वैज्ञानिककिसान विचारविमर्श’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की. इस मीटिंग में प्रबंधन मंडल के भूतपूर्व सदस्य सीपी आहुजा, शरद बतरा व शिवांग बतरा भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती कर रहे विभिन्न जिलों के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने आधुनिक युग में प्राकृतिक खेती के विस्तार से ले कर उस की अहमियत पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ‘वैज्ञानिककिसान विचारविमर्श’ संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों की समस्याओं को जान कर उन का हल करना व शोध कार्यों को उन के अनुरूप बनाना है.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों को बेहतर दाम दिलवाने के लिए उपभोक्ताओं से सामंजस्य व सीधे तौर पर जुड़ कर आपस में विश्वास पैदा करना जरूरी है.

उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से पाठ्यक्रम बनाना, अधिक से अधिक प्रशिक्षणों का आयोजन व किसान समुदाय द्वारा तैयार किए गए कृषि मौडल की प्रदर्शनी भी लगाने पर जोर दिया. प्राकृतिक खेती कर रहे किसान व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं, जिस में वे अपनी समस्याएं व समाधान शेयर करें, ताकि उस का तुरंत एकदूसरे को लाभ पहुंच सके, साथ ही आपस में तकनीकों का भी आदानप्रदान हो.

उन्होंने आगे बताया कि भावी पीढ़ियों को रसायनमुक्त व पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाना वैज्ञानिकों व किसानों की मुख्य प्राथमिकता है. इस के लिए उन्होंने कहा कि किसान शुरुआत में कम जगह पर प्राकृतिक खेती को अपनाएं और धीरेधीरे उस का क्षेत्रफल बढ़ाते जाएं.

उन्होंने वैज्ञानिकों से भी आह्वान किया कि वे आधुनिक युग में आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जब भी शोध करें, तो विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों, पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता, श्रमिकों की उपलब्धता, वर्षा, जमीन का और्गेनिक कार्बन, खरपतवार, पूरे साल का फसल चक्र, कीट और बीमारियों के प्रबंधन से संबंधित बातों पर मंथन जरूर करें.

हकृवि में स्थापित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र के निदेशक डा. अनिल कुमार ने विभिन्न विषयों पर चल रहे प्रयोगों के बारे में जानकारियां साझा की. साथ ही, किसानों के सवालों के जवाब भी दिए.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के तहत विभिन्न फलों एवं सब्जियों पर शोध किए जा रहे हैं. अनुसंधानों के उचित परिणामों को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है, जिस से कि वे प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए अधिक से अधिक जागरूक हों. संगोष्ठी में किसानों का यह मत था कि प्राकृतिक खेती के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए.

इस अवसर पर अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डा. राजेश कुमार गेरा, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य सहित सहायक निदेशक डा. सुरेंद्र यादव, संयुक्त निदेशक डा. सुरेश कुमार, डा. सुमित देशवाल, डा. सुरेश कुमार, डा. किशोर कुमार, डा. दीपिका, मंजीत सहित प्रगतिशील किसान, जिन में सुधीर महता, सुभाष बेनीवाल, कमल वीर, पंकज माचरा, मुल्कराज चावला, सुरेन्द्र कुमार, राजेंद्र कुमार, रणधीर सिंह, मनेाज कुमार, सूरजभान, धर्मवीर पूनिया, सुरजीत सिंह, नरेश कुमार, अमनदीप, वीरेंद्र कुमार, कृष्ण, दलजीत सिंह, गौरव तनेजा, मुकेश कंबोज, आशीष महता, डा. बलविंदर सिंह, संजय व दिलेर भी उपस्थित रहे.

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