भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय द्वारा कुलपति डा. डीआर सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में नवनियुक्त सहायक प्रोफैसर सह जैव प्रौद्योगिकी के जूनियर वैज्ञानिक के लिए एक अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम के साथ ही “भविष्य के औषधीय एवं सुगंधित पौधों (एमएपी) में नवाचारः सतत कृषि और आर्थिक प्रभाव के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग” विषय पर एक विचारमंथन सत्र भी आयोजित किया गया.
इस अवसर पर प्रसिद्ध जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक और राष्ट्रीय पौध जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, आईसीएआर के पूर्व निदेशक प्रो. आर. श्रीनिवासन मुख्य अतिथि थे. उन्होंने पादप जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी, जैव सूचना विज्ञान विभाग के नवनियुक्त फैकल्टी सदस्यों सहित श्रोताओं को ज्ञानवर्धन किया. साथ ही, वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य, पादप शरीर विज्ञान और जैव रसायन और आणविक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी इंजीनियरिंग विभाग के सदस्य, स्नातक और परास्नातक छात्र भी उपस्थित थे.
प्रो. श्रीनिवासन ने ट्रांसजेनिक, आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों की प्रजातियों और एंजाइम प्रौद्योगिकी जैसे उन्नत जैव प्रौद्योगिकी विषयों के अनुप्रयोग को कवर किया, जो नए कीट प्रतिरोधी, जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास के लिए सहायक हो सकते हैं, जो किसानों की आजीविका के उत्थान में मदद कर सकते हैं और भारत और अन्य देशों की बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की चुनौती का भी समाधान कर सकते हैं.
पूरा वैज्ञानिक सत्र बहुत ही इंटरएक्टिव यानी संवादात्मक था और विभिन्न महाविद्यालयों जैसे बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर, डा. कलाम कृषि महाविद्यालय (डीकेएसी), किशनगंज, नालंदा कृषि महाविद्यालय (एनसीएच), नूरसराय, वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय (वीकेएससीए), डुमरांव के वैज्ञानिक और विद्वान, जो इस कार्यक्रम में भाग लेने आए थे, उन्होंने भारत और बंगलादेश, आस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका जैसे अन्य देशों में विकसित ट्रांसजेनिक पौधों जैसे बीटी बैंगन, बीटी पपीता और गोल्डन राइस की स्वीकार्यता के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की.
प्रो. श्रीनिवासन ने अपने 40 से अधिक वर्षों के शिक्षण और शोध अनुभव को भी साझा किया और मानव संसाधन के विकास और राष्ट्र निर्माण में उन की भूमिका के महत्व पर बल दिया.
कार्यक्रम के दूसरे दिन सीएबीटी द्वारा “भविष्य के औषधीय एवं सुगंधित पौधों (एमएपी) में नवाचारः सतत कृषि और आर्थिक प्रभाव के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग” विषय पर एक विचारमंथन सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में 2 प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. सुमीत गैरोला, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड और डा. प्रशांत मिश्रा, सीएसआईआर- भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, जम्मू शामिल हुए. उन्होंने वैज्ञानिकों और जैव प्रौद्योगिकी के प्रोफैसरों को संबोधित किया. दिया गया व्याख्यान बहुत ही जानकारी वाला था और बिहार में किसानों के कल्याण के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित था.
इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह, अधिष्ठाता कृषि डा. एके सिंह, निदेशक विस्तार डा. सोहने, निदेशक बीज विज्ञान और विस्तार डा. फिजा अहमद, बिहार कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसएन राय और कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के डा. एन. चट्टोपाध्याय जैसे कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. उन्होंने जलवायु अनुकूल फसल किस्म, विकास, स्पीड ब्रीडिंग, जैव कीटनाशक, जैव कीटनाशक उत्पाद विकास के लिए सूक्ष्म जीवों के उपयोग और किसानों की आजीविका के अंतिम लाभ और उत्थान के लिए जैव प्रौद्योगिकी के महत्व पर अपने विचार साझा किए.
कार्यक्रम का आयोजन और संचालन सीएबीटी/एमबीजीई के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य डा. शशिबाला, डा. रवि केसरी, डा. तुषार रंजन और डा. विनोद द्वारा किया गया.