भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय के सबएग्रीस सभागार में राज्य के विभिन्न जिलों में लंबे समय से किसानों द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण फसलों एवं व्यंजनों को जीआई टैग दिलाने को ले कर एक समीक्षा बैठक की गई. बैठक का आयोजन शोध निदेशालय द्वारा किया गया, जिस की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह कर रहे थे.
कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, अतिरिक्त इस के कालांतर से उन के द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण फसलों की खेती एवं व्यंजनों को जीआई टैग प्रदान करवा कर उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई जाएगी. इस दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा, ताकि देशभर में जीआई टैग के आधार पर राज्य का नाम रोशन हो सके और इस का भरपूर लाभ किसानों को भी मिल सके.
कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि अब तक 97 स्टार्टअप को उद्यम के रूप में स्थापित करने में तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. कुलपति ने कहा कि सबएग्रीस से प्रमाणित होने के बाद उस स्टार्टअप की अहमियत और बढ़ जाती है.
समीक्षा बैठक में वैज्ञानिकों द्वारा कुल मिला कर 48 फसलों व व्यंजनों की विशेषताओं को ले कर अपनाअपना पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन की प्रस्तुति दी, जिस में वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार ने मोकामा के मखाना मशरूम, डा. प्रशांत सिंह ने रोहतास के सोना चूर चावल, डा. रफत सुल्ताना ने बांका, मुंगेर के पाटम अरहर, डा. अनिल कुमार ने भागलपुर के तितुआ मसूर, डा. रणधीर कुमार ने पटना के दीघा मालदा आम, डा. रविंद्र कुमार ने समस्तीपुर के बथुआ आम, डा. प्रकाश सिंह ने सहरसा के नटकी धान, डा. केके प्रसाद ने रोहतास के गुलशन टमाटर, डा. विनोद कुमार ने गोपालगंज के थावे का पुरुकिया, डा. तुषार रंजन ने सुपौल के पिपरा का खाजा और डा. सीमा ने पटना के रामदाना लाई पर अपना पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया, जिसे समीक्षा बैठक में उल्लेखनीय बताया गया.