आज हमारा देश बहुत से कृषि उत्पादों के उत्पादन में विश्व स्तर पर पहला स्थान रखता है. अब जरूरत है कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उत्पादों की क्वालिटी भी सुनिश्चित की जाए, जिस से कि मानव की सेहत बेहतर हो. साथ ही, पर्यावरण भी सुरक्षित हो सके.

आज के परिवेश में दूसरी सब से अधिक जरूरत है कृषि में उद्यम स्थापना की, जिस से कि ग्रामीण युवा बेरोजगारों को अपने गांव में ही आय और रोजगार के साधन मुहैया हो सकें. विगत दशकों में कृषि का क्षेत्र विभिन्न कारणों से उपेक्षित रहा है और कृषि के काम में लगे लोगों को यथोचित सम्मान नहीं मिला, लेकिन पिछले दशक से कृषि में उद्यमिता स्थापित करने का चलन बढ़ा है. इस क्षेत्र में न केवल कृषि के छात्र, बल्कि बड़ीबड़ी निजी कंपनियां और स्टार्टअप भी आ रहे हैं.

देश के विकास में कृषि शिक्षा और अनुसंधान में बढ़ती संभावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कृषि के क्षेत्र में छात्रों की अच्छी तालीम, अनुसंधान व दक्षता अभिवृद्धि के लिए राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर 5 कृषि विश्वविद्यालय हैं, जिन में प्रवेश परीक्षा के जरीए एडमिशन दिया जाता है.

Ramji Singhसरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलसचिव प्रो. रामजी सिंह ने बताया कि राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रों का प्रवेश प्रदेश स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (यूपी कैटेट) के माध्यम से होता है. इस वर्ष यूपी कैटेट 2024 प्रवेश परीक्षा का आयोजन कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा ही कराया जा रहा है, जिस में आवेदन 17 मार्च, 2024 से ही प्राप्त किए जा रहे हैं. आवेदन की अंतिम तिथि 7 मई, 2024 है.

उन्होंने आगे बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी में ज्यादातर छात्र इस परीक्षा को देने से वंचित रह जाते हैं, जिस से कि आगे चल कर उन के भविष्य पर इस का विपरीत प्रभाव होता है. खासकर यदि पूर्वांचल क्षेत्र की बात करें, तो इस क्षेत्र में छात्रों एवं अभिभावकों में कृषि शिक्षा की जागरूकता और भी कम है. इंटरमीडिएट विज्ञान अथवा कृषि में उत्तीर्ण छात्र बीएससी (कृषि) अथवा अन्य समकक्ष पाठ्यक्रम जैसे बागबानी, वानिकी, कृषि अभियंत्रण, खाद्य व दुग्ध प्रौद्योगिकी, पशु चिकित्सा विज्ञान, गृह (सामुदायिक) विज्ञान, मत्स्य विज्ञान व गन्ना प्रौद्योगिकी में प्रवेश ले सकते हैं. इस के अतिरिक्त एमएससी (कृषि) व पीएचडी में भी प्रवेश ले सकते हैं.

Rodra Pratapकृषि विज्ञान केंद्र, कोटवा, आजमगढ़ में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डा. रुद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में कृषि शिक्षा व अनुसंधान को बढ़ावा दिए जाने के लिए वर्तमान में कुल 5 राज्य कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं. इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा और अनुसंधान का स्तर अन्य महाविद्यालयों से बेहतर होता है. साथ ही, छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की जानकारी और अच्छा शैक्षणिक माहौल भी मिलता है. यदि कृषि के क्षेत्र में नौकरी की बात करें, तो आज भी कृषि के क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपार संभावनाएं हैं. लेकिन इस के लिए शिक्षा संस्थान जहां से शिक्षा ली गई है, बेहद मायने रखता है. श्री दुर्गाजी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चंदेश्वर, आजमगढ़ के सहायक प्राध्यापक डा. सर्वेश कुमार ने बताया कि स्थानीय विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से उत्तीर्ण छात्रछात्राएं भी विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त कर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

Mulayam Yadavकृषि विभाग, आजमगढ़ में वरिष्ठ प्राविधिक सहायक के पद पर काम कर रहे डा. मुलायम यादव ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालयों में बीएससी (कृषि), एमएससी (कृषि) व पीएचडी कर के प्रशासनिक पदों के साथ ही कृषि व अन्य संबंधित विभागों में अधिकारी व कर्मचारी के रूप में चयनित हो सकते हैं. साथ ही, ऊंची तालीम ले कर विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में वैज्ञानिक, महाविद्यालय व विश्वविद्यालयों मे सहायक प्राध्यापक आदि पदों पर भी चयनित हो सकते हैं. इस के अलावा बैंकों व अर्धसरकारी कंपनी व निजी कंपनियों में भी कृषि के छात्रों को अच्छी नौकरी मिलती है.

Roopaliआचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या की शोध छात्रा रूपाली सिंह ने बताया कि ग्रामीण छात्राओं के लिए भी कृषि विश्वविद्यालयों से शिक्षा लेना एक बेहतर विकल्प है. यहां से शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त कर ग्रामीण युवा कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यम स्थापित कर के न केवल अपना भविष्य संवार  सकते हैं, बल्कि अन्य लोगों को रोजगार के साधन मुहैया करा सकते हैं.

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