फसल कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों में ज्यादा बढ़ा है. इस से फसल के अवशेष खेतों में ही रह जाते हैं, जिसे किसान बाद में जला देते हैं. किसानों को फसल अवशेष जलाने से फायदा होने के बजाय नुकसान ज्यादा होता है, क्योंकि इन अवशेषों को जलाने से मिट्टी के सूक्ष्म तत्त्व खत्म हो जाते हैं.
साथ ही, फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण भी बहुत ज्यादा होने लगा है. यही वजह है कि इस साल सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाए जाने को ले कर सरकार से जवाबतलब किया था. सरकार पराली जलाने के बजाय खरीदने का मन बना रही है, जिस से किसानों को फायदा हो और उस से बिजली बनाई जा सके. गेहूं के अवशेष को डीकंपोजर के जरीए सड़ा कर खाद बनाने से किसानों को काफी फायदा हो सकता है.
वेस्ट डीकंपोजर को राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद ने विकसित किया है. वेस्ट डीकंपोजर को गाय के गोबर से खोजा गया है. इस में सूक्ष्म जीवाणु तत्त्व होते हैं, जो फसल अवशेष, गोबर, जैव कचरे को खाते हैं और तेजी से बढ़ोतरी करते हैं, जिस से जहां ये डाले जाते हैं, एक चेन तैयार हो जाती है, जो कुछ ही दिनों में गोबर और कचरे को सड़ा कर खाद बना देती है. यह मिट्टी में मौजूद हानिकारक, बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं की तादाद को भी काबू में करने का काम करता है.
वेस्ट डीकंपोजर की खास बात यह है कि इस की एक शीशी ही एक बड़े रकबे की समस्याओं का समाधान कर सकती है. इस के इस्तेमाल से खाद जल्दी तैयार हो जाती है, जिस से जमीन की उपजाऊ ताकत बढ़ती है, साथ ही मिट्टी की कई बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है.
ऐसे करें इस्तेमाल
फसल कटाई से पहले 200 लिटर वेस्ट डीकंपोजर सौल्यूशन का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. फसल कटाई के बाद रोटावेटर की मदद से फसल अवशेष को मिट्टी में मिला दें.
20-25 दिन बाद फसल अवशेष बिना किसी समस्या के खेत में मिल जाता है. इस के अलावा फसल कटाई के बाद सिंचाई में पानी के साथ वेस्ट डीकंपोजर सौल्यूशन को खेत में मिला देना चाहिए, इस के बाद रोटावेटर की सहायता से अवशेष को मिट्टी में मिला दें.
यह जैविक खाद एक छोटी शीशी में होता है. 200 लिटर पानी में 2 किलोग्राम गुड़ डाल कर इस विशेष जैविक खाद को उस में मिला दिया जाता है. इस 200 लिटर घोल में से एक बालटी घोल को फिर 200 लिटर पानी में मिला लें. इस तरह यह घोल बनाते रहें.
खेत की सिंचाई करते समय पानी में इस घोल को डालते रहें. ड्रिप सिंचाई के साथ इस घोल का प्रयोग कर सकते हैं, जिस से यह पूरे खेत में फैल जाएगा. किसान भाई यह तरीका अपना कर फसल के साथ उस के अवशेष से भी फायदा उठा सकते हैं. गेहूं के अवशेष को जलाने से बेहतर है कि इस से जैविक खाद बना कर अपने खेतों की उर्वराशक्ति बढ़ाएं.
ध्यान देने की बात यह है कि डीकंपोजर सौल्यूशन बहुत कम कीमत का है. इसे कोई भी आसानी से खरीद सकता है. आज भी किसानों में यह बात मानी जाती है कि खेत में आग लगाने से अगली फसल ज्यादा अच्छी होती है, जबकि कृषि वैज्ञानिक ऐसी किसी भी मनगढंत बातों को अफवाह के सिवा कुछ नहीं मानते, इसलिए खेत में आग न लगाएं, बल्कि फसल अवशेष से जैविक खाद बनाएं, जिस से आबोहवा के साथ किसानों को भी लाभ हो.