सब्जियां न केवल हमारे पोषण मूल्यों को बढ़ाती हैं, बल्कि शरीर को शक्ति, स्फूर्ति, वृद्धि और अनेक प्रकार के रोगों से बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व जैसे कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिजलवण इत्यादि प्रदान करती हैं. भारतीय मैडिकल अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति निम्न मात्रा (300 ग्राम) में सब्जी की आवश्यकता पड़ती है:

हरी पत्तेदार सब्जी 115 ग्राम, जड़/कंद वर्गीय सब्जी 115 ग्राम, अन्य सब्जी 70 ग्राम की जरूरत होती है.

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक परिवार अपनी पोषण वाटिका में सब्जी का उत्पादन कर सकता है, जिस से उसे ताजा, सुरक्षित एवं पोषण से भरपूर सब्जियां मिल सकें. प्राय: एक परिवार को पूरे साल सब्जियां प्राप्त करने के लिए 200 से 250 वर्गमीटर का क्षेत्रफल प्रयाप्त होता है. इस में छोटीछोटी क्यारियां बना कर उस में महंगी एवं परिवार की पसंद की सब्जियों का फसलचक्र अपनाया जा सकता है.

अगर एक जगह पर इतनी भूमि नहीं हो, तो बिखरी हुई वाटिका का निर्माण किया जा सकता है. इस प्रकार पोषण वाटिका में सब्जियों के साथसाथ फलदार वृक्ष जैसे पपीता, नीबू, अनार व अमरूद आदि के अलावा दूसरे फूल वाले पौधे भी लगाए जा सकते हैं. पोषण वाटिका से उत्पादित सब्जियों स्वादिष्ठ, ताजा, कीट व बीमारियों से मुक्त होती है.

किसी एक सब्जी की उपलब्धता का समय बढ़ाने के लिए जल्दी, मध्य व देर से पकने वाली किस्मों को उगाना चाहिए. फलदार वृक्षों जैसे नीबू, अमरूद, केला व अनार को एक तरफ लगाना चाहिए, ताकि क्यारियों की जुताई में बाधा न हो सके. अधिक पानी चाहने वाली सब्जियां (पालक, चोलाई) मुख्य नाली के पास लगानी चाहिए. सब्जियों को हमेशा जगह बदलबदल कर लगाएं, ताकि अधिक उत्पादन के साथसाथ कीट एवं बीमारियों का प्रकोप कम हो सके.

स्थान का चयन

घर का पिछला हिस्सा जहां धूप पर्याप्त मात्रा एवं काफी समय तक रहती हो, उत्तम होता है. इस बात का ध्यान देना चाहिए कि बड़े पेड़ की छाया सब्जियों की पैदावार को प्रभावित न करने पाए. इस के लिए 1 या 2 कंपोस्ट के गड्ढे छाया या कम महत्त्व वाली जगह में बनाने चाहिए. यदि पर्याप्त जगह हो, तो पपीता, नीबू, अंगूर, केला इत्यादि को उत्तर दिशा में लगाया जा सकता है.

आवश्यक  कृषि क्रियाएं
* बीजों/पौधों को हमेशा किसी विश्वसनीय संस्थानों जैसे कृषि विज्ञान केंद्र व अन्य से ही खरीदना चाहिए.
* गोबर की सड़ी हुई अथवा कंपोस्ट खादों का ही ज्यादातर प्रयोग करना चाहिए.
* सिंचाई के लिए रसोईघर या घर के बेकार पानी का उपयोग करना चाहिए.

सब्जी फसल की सुरक्षा
* सब्जी फसल में जैविक कीट व व्याधिनाशियों का उपयोग करें.
* प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें.
* नीमयुक्त कीटनाशक के उपयोग को बढ़ावा दें.
* स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें.
कुछ आवश्यक सुझाव
* पोषण वाटिका की कोई भी क्यारी खाली नहीं रखनी चाहिए.
* टमाटर, मटर, सेम, परवल आदि को सहारा दिया जाना चाहिए, ताकि ये फसलें कम से कम जगह घेरें एवं बेल/लत्तेदार सब्जियों जैसे लौकी, तुरई, केला, टिंडा इत्यादि को बाड़ के सहारे उगाना चाहिए.
* जल्दी तैयार होने वाली सब्जियों को देर से तैयार होने वाली सब्जियों के बीच कतारों में लगाते हैं.

पोषण वाटिका से लाभ
* परिवार के सभी सदस्यों के लिए मनोरंजन का एक उत्तम साधन है.
* घर के पास पड़ी खाली भूमि का समुचित उपयोग हो जाता है.
* हर समय ताजा, स्वादिष्ठ व विषरहित सब्जी मिल जाती है.
* पोषण वाटिका में सब्जियों को उगाने पर गृहिणी के बजट में अच्छी बचत हो जाती है.
* घर के फालतू पानी व कूड़ेकरकट का सदुपयोग हो जाता है.
* बच्चों में अच्छी आदतों का विकास होता है और वे श्रमजीवी बनते हैं.
* पोषण वाटिका देख कर आंखों को संतोष एवं आनंद मिलता है.
* खाली समय का सदुपयोग हो
जाता है.

सब्जी फसल और उन्नत प्रजातियां
* हरी मिर्च+सगिया मिर्च- एनपी46ए या पूसा ज्वाला भारत, कैलिफोर्निया वंडर
* प्याज- अर्ली ग्रेनो या वीएल प्याज-3
* प्याज- पूसा रैड
* भिंडी- पूसा सावनी या परभनी क्रांति
* बैगन (लंबा)- पूसा परपल लौंग या पंत सम्राट
* बैगन (गोल)- पूसा क्रांति या पंत ऋतुराज
* फूलगोभी- पूसा क्रांतिकी
* फूलगोभी- पूसा दीपाली
* फूलगोभी- स्नोवाल
* मूली लाल/सफेद- रैफ्ट रैड ह्वाइट, जैपनीज ह्वाइट, पूसा हिमानी, चायनीज पिंक
* आलू- कुफरी अलंकार, सिंदूरी, बहार, चंद्रमुखी
* लोबिया- पूसा फाल्गुनी या पूसा दोफसली
* पत्तागोभी- गोल्डन एंकर, रिया, वरुण, यस ड्रमहैड
* ग्वार- पूसा नवबहार
* फ्रैंचबींस- कंटैंडर या पूसा पार्वती
* गाजर, शलजम- उन्नत प्रबेध
* चुकंदर, गांठगोभी, लेट्यूस- ग्रेट लेकेस
* अरबी- अस्थानीय
* पालक (देशी)- अर्ली स्मूथ लीफ
* पालक (विलायती)- पूसा ज्योति
* चौलाई- कोई भी प्रजाति
* लौकी- पूसा मेघदूत या पूसा मंजरी
* कद्दू- लोकल प्रबेध
* स्पंज ग्राडसेनुआ- पूसा चिकनी
* ग्रिजगार्ड (तोरई)- पूसा नसदार
* खीरा- पौइंसैट, जैपनीज, लौंग ग्रीन
* मटर- अर्केल, पीयसयम-3
* सेम- लोकल प्रबेध
* टमाटर- पूसा-120, पूसा रूबी

प्रत्येक क्यारियों की सब्जियों के लिए फसलचक्र
* पत्तागोभी सहफसल लेट्यूस के साथ ग्वार एवं फ्रास्बीन- नवंबर से मार्च, मार्च से अक्तूबर
* फूलगोभी (पछेती) सहफसल गांठगोभी- सितंबर से फरवरी
* लोबिया (ग्रीष्म ऋतु)- मार्च से अगस्त
* लोबिया (वर्षा ऋतु), फूलगोभी (मध्य मौसमी किस्में)- जुलाई से नवंबर
* मूली- नवंबर से दिसंबर
* प्याज- दिसंबर से जून
* आलू- नवंबर से मार्च
* लोबिया- मार्च से जून
* फूलगोभी (अगेती)- जुलाई से अक्तूबर
* बैगन (लंबा) : फसल पालक के साथ- जुलाई से मार्च
* भिंडी सहफसल चौलाई के साथ- मार्च से जून
* बैगन (गोल) सहफसल पालक के साथ- अगस्त से अप्रैल
* भिंडी सहफसल चौलाई के साथ- मई से जुलाई
* मिर्च+सगिया मिर्च- सितंबर से मार्च
* भिंडी- जून से अगस्त
नोट : बोआई का समय जलवायु विशेष के अनुसार बदल सकता है.

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