आप के जेहन में किसानों का नाम सुनते ही एक तसवीर उभरती होगी, जिस में किसान बड़ी आसानी से कुछ किलो बीजों की बोआई कर के कई क्विंटल खेतों में फसल पैदा करते हैं. यह तो उस तसवीर का एक हिस्सा है जो खूबसूरत दिख रहा है, लेकिन इस का दूसरा हिस्सा काफी धुंधला सा है.

पुराने कपड़े पहने, सिर पर गमछा डाले गरीब किसान चिलचिलाती धूप में खेतों में भूखेप्यासे काम करते हैं. आज के समय में देश के किसान दरबदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं, लेकिन किसी भी तरह की उन्हें मदद नहीं मिल रही.

भारत में कई तरीकों से जमीनों पर खेती करने का रिवाज है. मसलन, आप के पास खेती के लिए जमीन नहीं है, इस के बावजूद आप किसी पड़ोसी का खेत ले कर पैदावार कर सकते हैं, उसे बटाई पर खेती करना कहा जाता है.

देश में किसानों की तादाद ज्यादा है, लेकिन जमीन सिमटी हुई है. उस में भी जो खेती लायक जमीन है, उस की जोत या खेतों के आकार भी काफी छोटे होते हैं, जिस में फसल उगाना काफी मुश्किल भरा काम साबित होता है.

बटाई पर खेती पुराने समय से ही होती आ रही है, जिसे देश के अलगअलग हिस्सों में कई तरह के नामों से जाना जाता है.

फतेहपुर के किसान यूनुस फारूकी ने बताया, ‘‘बटाईदार ऐसे किसानों को कहा जाता है, जो दूसरों की जमीन पर खेती करते हैं और उस फसल का आधा हिस्सा जमीन मालिक को देते हैं.’’

अहम बात यह है कि जिस के पास जमीन होती है, वह खुद से खेती कर सकता है या नहीं भी करता है, उसे भी किसान माना जाता है.

जो किसान दूसरों की जमीनों पर हल चलाता है, उसे भी किसान तो माना जाता है, लेकिन ऐसे लोगों का नाम राजस्व रिकौर्ड में दर्ज नहीं होता है.

एक अनुमान के मुताबिक, देश में इस तरह के करोड़ों किसान हैं, जो दूसरों की जमीनों पर निर्भर हैं या आश्रित हैं, लेकिन उन बेचारों को सरकार की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं मिलती.

यूनुस फारूकी आगे बताते हैं, ‘‘बटाईदारी अपनेआप में एक तरह की विधा लिए हुए है. सब से आम विधा तो यह है कि जमीन मालिक आप को बटाई पर खेती के लिए जमीन देता है, जिस में दोनों पक्षों को फसल के हिसाब से सबकुछ आधाआधा देना पड़ता है, यानी सिंचाई, बीज, खाद, कीटनाशक वगैरह का पैसा बराबर देना होता है.’’

उन का यह भी कहना है कि अगर दूसरे तरीकों की बात करें तो जमीन मालिक किसान को एक समय तक मुहायदे यानी समझौते या कांट्रैक्ट पर  साल या उस से ज्यादा समय के लिए जमीन देते हैं, जिस में किसान को  समझौते के अनुसार जमीन मालिक को बंधी रकम अदा करनी होती है. इस में आपसी समझौता यह होता है कि मालिक को रकम किसान फसल के पहले दे

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...