खेती करने वाले किसानों के लिए उस के भंडारण के लिए भी उचित प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिस से लंबे समय तक धान को सुरक्षित रखा जा सके. किसान अपनी सुविधा के मुताबिक जब मंडी में अच्छे दाम मिलें, तब वे उन्हें बेच कर अच्छा मुनाफा ले सकें.
जिन दिनों में फसल पक कर तैयार होती है, तो ज्यादातर किसान उपज का भंडारण न कर पाने के कारण उसे उन्हीं दिनों मंडी में बेच देते हैं, लेकिन जो किसान उपज का भंडारण करने में सक्षम हैं, उन्हें भंडारण पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए. खास बातें
* धान का भंडारण करने के लिए कुछ ऊंची जगह तैयार करें, ताकि नमी न हो, कीटों व चूहों से भी बचाव हो.
* सब से पहले धान या चावल के भंडारण से पहले भंडारघर को धुआं दे कर कीटाणुरहित करें व छेद, दरार आदि को भर दें. पुराने अनाज के दाने आदि न रहें, इस लिए अच्छी तरह से सफाई करें.
* लाइनों में रखे धान के बोरों के बीच थोड़ी खाली जगह छोड़ें, जिस से हवा की आवाजाही बनी रहे.
* साफसुथरी बोरियों में धान को भरें. अनाज भरने से पहले बोरियों को 1 फीसदी मैलाथियान घोल में तकरीबन 5 मिनट तक उबाल कर धूप में सुखा लें.
* गोदाम के प्रत्येक 100 वर्गमीटर में 15 दिन के अंतराल में एक बार (शीत मौसम में 21 दिन में एक बार) मैलाथियान (50 फीसदी ईसी) 1:10 के अनुपात का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. विकल्प के रूप में 40 ग्राम डेल्टामेथ्रिन (2.5 फीसदी) चूर्ण एक लिटर पानी में मिला कर 90 दिन के अंतराल में प्रति 100 वर्गमीटर में 3 लिटर की दर से छिड़काव करना चाहिए. डीडीवीपी (75 फीसदी ईसी 1:150) एक अन्य विकल्प है, जिस की जरूरत पड़ने पर प्रति 100 वर्गमीटर में 3 लिटर की दर से छिड़काव किया जा सकता है.
* गोदाम या भंडारण की अन्य जगह पर बोरों को धूम्रीकरण (धुआं) आवरण से ढकने के बाद 5-7 दिनों तक 9 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से एलुमिनियम फास्फाइड से धूम्रीकरण (धुआं) करें. गोदाम में बिना आवरण की स्थिति में 6.3 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से प्रयोग करें. मात्र पौलीथिन से ढके हुए व पक्की जगह पर रखे धान की बोरियों में 10.8 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से धुआं करें.
* पुरानी और नई बोरियों को अलग रखें, ताकि सफाई रहे व दानों में रोग न लगे.