खेती में डीजल या पैट्रोल की खपत बहुत ज्यादा होती है. खेती में काम आने वाली ज्यादातर मशीनें पैट्रोल या डीजल से ही चलती हैं. ऐसे में देश में आएदिन पैट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं. उसी के चलते खेती में लागत भी तेजी से बढ़ी है इसलिए जरूरी हो जाता है कि किसान खेती में काम आने वाली मशीनों, ट्रैक्टर व इंजनों में डीजलपैट्रोल की खपत को कम करने के लिए जरूरी सावधानियां बरतें. इस से न केवल ईंधन पर खर्च होने वाली लागत में कमी आएगी बल्कि इस प्राकृतिक संसाधन के फुजूल खर्च में भी कटौती की जा सकती है.
इस बारे में कृषि विज्ञान केंद्र, बंजरिया जनपद बस्ती में विशेषज्ञ, कृषि अभियंत्रण इंजीनियर वरुण कुमार से बातचीत हुई. पेश हैं उसी बातचीत के खास अंश:
ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते समय डीजल की खपत को कम करने के लिए कौन सा तरीका अपनाया जा सकता है?
जब भी ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने जा रहे हों तो ट्रैक्टर को स्टार्ट करने से पहले उस के चारों पहियों में हवा जरूर जांच लें.
अगर पहियों में हवा कम है तो डीजल की खपत बढ़ जाती है इसलिए पहियों में हवा का सही दबाव बनाए रखने के लिए ट्रैक्टर के साथ मिलने वाली निर्देशपुस्तिका के मुताबिक ट्रैक्टर के पहियों में हवा डलवा लें, तभी इस का इस्तेमाल करें.
इस के अलावा खेत में ट्रैक्टर से इस तरह से काम लें कि खेत के किनारों पर घूमने में कम समय लगे. कोशिश करें कि ट्रैक्टर को चौड़ाई के बजाय लंबाई में घुमाया जाए. इस से ट्रैक्टर खेत में खाली कम घूमता है. और डीजल की खपत भी कम हो जाती है.
क्या इंजन में मोबिल औयल के पुराने होने से ईंधन या डीजल खर्च बढ़ जाता है?
जी हां. अगर इंजन में मोबिल औयल ज्यादा पुराना हो गया हो तो इंजन के काम करने के तरीके पर इस का सीधा असर पड़ता है और इंजन की कूवत घटने लगती है. इस वजह से ईंधन का खर्च बढ़ जाता है. डीजल खर्च बढ़ने न पाए, इसलिए निश्चित समय पर इंजन का मोबिल औयल और फिल्टर जरूर बदल देना चाहिए.
अगर इंजन से काला धुआं निकल रहा हो तो क्या डीजल की खपत ज्यादा हो रही है. अगर हां, तो इसे कैसे कम करें?
इंजन से काला धुआं निकलना डीजल के ज्यादा खर्च होने का संकेत है. इस का मतलब है कि इंजैक्टर या इंजैक्शन पंप में कोई खराबी हो सकती है. इस स्थिति से बचने के लिए ट्रैक्टर को 600 घंटे चलाने के बाद उस के इंजैक्टर की जांच जरूर करवा लें या उसे फिर से बंधवाने की जरूरत होती है.
कभीकभी इंजन स्टार्ट करने के बाद कुछ मिनट तक काला धुआं निकलता है जो कुछ ही समय बाद सफेद हो जाता है. यदि इंजैक्टर या इंजैक्शन पंप ठीक होने पर भी काला धुआं लगातार निकलता रहे तो यह इंजन पर पड़ रहे ओवर लोड की निशानी है. इसलिए ओवर लोड कर के इंजन नहीं चलाना चाहिए.
पंप सैट में डीजल की खपत को कम करने के लिए कौनकौन सी सावधानियां बरतें?
सब से पहले तो यह ध्यान देना जरूरी है कि पंप सैट को खाली न चलाया जाए बल्कि उसे चालू करने के तुरंत बाद ही काम लेना शुरू कर दें क्योंकि ठंडा इंजन चलाने से उस के पुरजों में घिसावट होती है. इस के चलते इंजन में ज्यादा तेल लगता है.
इस के अलावा पंप सैट से ज्यादा दूरी से पानी खींचने में भी डीजल की खपत ज्यादा होती है, इसलिए यह ध्यान दें कि जब भी पंप सैट से पानी खींचना हो तो उसे पानी की सतह से करीब लगा कर इस्तेमाल करना चाहिए. इस से डीजल की खपत को काफी हद तक कम किया जा सकता है. साथ ही, पंप सैट को चलाने वाली बैल्ट यानी पट्टे के फिसलने से डीजल का खर्च बढ़ता है इसलिए बैल्ट को टाइट कस कर रखना चाहिए.
यह भी ध्यान दें कि बैल्ट में कम से कम जोड़ हों और घिर्रियों की सीध में हों. इस से पंप सैट पर लोड कम पड़ने से डीजल कम खर्च होता है.
पंप सैट से जुड़े पानी को बाहर फेंकने वाली पाइप को जमीन की सतह से बहुत ज्यादा ऊपर नहीं उठाना चाहिए क्योंकि पाइप जमीन की सतह से जितनी ऊंची होगी, इंजन पर उतना ज्यादा बोझ पड़ेगा और डीजल ज्यादा खर्च होगा. पाइप को उतना ही ऊपर उठाना चाहिए, जितनी जरूरत हो.
डीजल या पैट्रोल से चलने वाली मशीनों में ईंधन की खपत को कम करने के लिए और किन चीजों पर ध्यान देना जरूरी है?
जब भी इंजन चालू किया जाता है तो उस की आवाज ध्यान से सुनें. अगर उस के टाइपिट से आवाज आ रही हो तो इस का मतलब है कि इंजन में हवा कम जा रही है. इस के चलते इंजन में डीजल की खपत बढ़ जाती है इसलिए टाइपिट से आवाज आने पर उसे सही से फिट कराएं.
खेती की मशीनें जो डीजल या पैट्रोल से चलती हैं, उन में डीजल के किफायती खर्च के लिए मशीन खरीदते समय निर्देशपुस्तिका मिलती है. उस में तमाम तरह की सावधानियां लिखी होती हैं. निर्देशपुस्तिका में लिखी गई उन तमाम बातों का पालन जरूर करें.