ग्वार को क्लस्टर बीन ग्वार या ग्वार बीज भी कहा जाता है. यह एक फसल चक्र के अनुसार मूल्यवान पौधा है, क्योंकि यह नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया के साथ सहजीवन में रहता है. ग्वार के बीजों के एडोस्पर्म से ग्वार गम हासिल किया जाता है.
हाइड्रोलिक फैक्चरिंग में ग्वार गम का औद्योगिक इस्तेमाल किया जाता है. भारत और पाकिस्तान में इस का तकरीबन 80 फीसदी उत्पादन होता है.
मिट्टी : 7.5-8.0 के पीएच मान के साथ अच्छी तरह से सूखी रेतीले लोम मिट्टी और शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु ग्वार बीज उत्पादन के लिए सही है.
मौसम : फसल की बोआई जूनजुलाई में की जा सकती है.
बीज का चयन : आधार बीज उत्पादन के लिए प्रजनक बीज व प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए आधार बीज को चुना जा सकता है.
ग्वार बीज की किस्में : बीज उत्पादन के लिए संबंधित किस्म अधिसूचित होनी चाहिए. इस में आरजीसी 936, आरजीसी 1002, आरजीसी 1003, आरजीसी 1066, एचजी 2-20, एचजी 365, एचजी 563, पूसा सदाबहार, पूसा मौसमी, पूसा नौबहार वगैरह ग्वार की लोकप्रिय किस्में हैं.
बीज की दर : एक हेक्टेयर के लिए 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
बीज का उपचार : राइजोबियम 600 ग्राम से प्रति 10 किलोग्राम बीज को उपचारित करें. बीजों को ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम या कार्बंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित कर सकते हैं. बोने से पहले 20 से 30 मिनट तक उपचारित बीजों को छाया में सुखाएं.
बोआई : कतार से कतार की दूरी 45 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 सैंटीमीटर पर बो सकते हैं.
सिंचाई : बोआई होने के तुरंत बाद बीज क्षेत्र की सिंचाई करें. इस के बाद हफ्ते में 3 से 4 बार सिंचाई करें.