अपनी फसल को कीटपतंगों से बचाने के लिए किसानों के पास संसाधनों की भारी कमी होती है. कोल्ड स्टोरेज में उपज रखना उन्हें महंगा पड़ता है, साथ ही, वहां तक उपज ले जाने में काफी भाड़ा लग जाता है.
अनाज को सुरक्षित रखने के लिए आज जिन कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है, वे सेहत के लिए जहरीले होने के साथसाथ नुकसान पहुंचाने वाले भी होते हैं. इन कीटनाशकों के इस्तेमाल से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
इन जहरीले कीटनाशकों से बचने के लिए किसान परंपरागत कीटनाशकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस से अनाज कीटों के साथसाथ फफूंद और घुन से भी महफूज रहते हैं.
पुराने समय में कीटनाशक के तौर पर सभी लोग नीम का इस्तेमाल करते थे, जिस का सेहत पर बुरा असर नहीं होता.
नीम का इस्तेमाल
* जब आप अनाज को इकट्ठा कर के रख रहे हों तो उस समय अनाज में नीम की सूखी पत्तियां मिला दें. इस से उस में घुन और दूसरे कीड़ेमकोड़े नहीं लगते हैं और अनाज सुरक्षित रहता है.
* जिस जगह आप अनाज रख रहे हों, वहां पर अनाज रखने से पहले तकरीबन 3-4 इंच तक नीम की सूखी पत्तियों की परत सतह पर बराबर कर के इस तरह बिछा देनी चाहिए कि कोई जगह खाली न छूटे. इस के बाद आप तकरीबन 2 फुट तक अनाज भरें, फिर नीम की सूखी पत्तियों की इसी क्रम में एकएक तह लगाते जाएं.
* कुछ किसान अनाज को जूट की बोरियों में भर कर रखते हैं. जिस बोरे में अनाज भरना हो, उस बोरे को नीम की पत्तियां डाल कर उबाले गए पानी में रातभर के लिए भिगो दें, फिर बोरे को छांव में सुखा लें, उस के बाद उस में अनाज भरें. इस से आप का अनाज एकदम सुरक्षित रहेगा.
* दालों के भंडरण के लिए एक किलोग्राम दाल में एक ग्राम नीम का तेल ऐसे मिलाएं जिस से वह पूरी तरह से फैल जाए. जब दाल को पकाने के लिए निकालना हो, तब उसे अच्छी तरह धो कर इस्तेमाल करें. समय के साथ नीम के तेल की महक धीरेधीरे कम होने लगती है. जब दलहन को बोआई के लिए तैयार करना हो तो उस हालत में एक किलोग्राम दाल बीज में 2 ग्राम नीम तेल की जरूरत होती है. इस विधि से दाल के बीज खराब नहीं होते.
* नीम की पकी हुई निबौली (फल) को 12-18 घंटे पानी में भिगोएं. उस के बाद भीगी हुई निबौली को लकड़ी के डंडे से चलाएं, ताकि निबौली के बीज का छिलका व गूदा अलग हो जाए. गूदे को निकाल कर छाया में सुखाएं. सूखे हुए गूदे को बारीक पीस कर पाउडर बना कर सूती कपड़े में पोटली बना कर शाम को पानी में भिगो दें. सुबह पोटली को दबा कर रस निकाल लें और पोटली में जो बचा हो, उसे फेंक दें और रस में 1 फीसदी साबुन मिला दें. अब आप तैयार निबौली कीटनाशक का खेत में छिड़काव करने में इस्तेमाल कर सकते हैं.
* एक हेक्टेयर खेत में छिड़काव के लिए 5 फीसदी घोल तैयार करने के लिए 25 किलोग्राम निबौली, 500 लिटर पानी और 5 किलोग्राम साबुन की जरूरत होती है.
नीम की पत्तियों से कीटनाशक बनाने में किसानों को काफी फायदा हो सकता है क्योंकि दूसरे कैमिकल कीटनाशक इस से महंगे बाजार में मिलते हैं, जो सेहत के अलावा मिट्टी के लिए भी हानिकारक होते हैं.
नीम की पत्तियां तकरीबन हर गांव में आसानी से मिल जाती हैं और इस के लिए किसी तरह का खर्च भी नहीं आता. किसानों के साथसाथ दूसरे लोग भी इस विधि से अपने अनाज को कीड़ेमकोड़ों, फफूंद और घुन से बचा सकते हैं.