दलहनी फसल अरहर व मूंग दोनों फसल को तैयार होने का समय अलगअलग है. अरहर लंबे समय में तैयार होती है, जबकि मूंग की उपज जल्दी मिल जाती है. इन दोनों की खेती को लाभकारी बनाने के लिए इन की मिश्रित खेती करना फायदेमंद है खासकर जब उन्नत किस्मों को लगाया जाए तो मुनाफे की संभावना कहीं अधिक बढ़ जाती है.
कुदरत कृषि शोध संस्था के प्रकाश सिंह रघुवंशी ने बताया कि उन्होंने अरहर कुदरत 3 की नई किस्म ईजाद की है. एक पौध में तकरीबन 1500 से 2000 फलियां लगती हैं. यह किस्म 210 दिन में पक जाती है. बोआई के लिए अरहर बीज की मात्रा 2 किलोग्राम प्रति एकड़ है. एक फली में 4 से 5 दाने होते हैं. दाना मोटा, बड़ा, वजनदार औरेंज कलर का होता है और उत्पादन क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति एकड़ है.
विशेष गुण : इस की खासियत है कि इस किस्म के पौधे में उकठा रोग नहीं लगता है. साथ ही, पौधे में अधिक शाखाएं व फलफूल, फलियां लगती हैं. पोषक तत्वों से भरपूर यह दाल खाने में काफी स्वादिष्ठ भी होती है.
बोने की विधि : लाइन से लाइन की दूरी 4 फुट और बीज से बीज की दूरी 3 फुट पर इस किस्म के पौधे लगाएं, तो बेहतर उपज मिलती है.
कम समय में तैयार होती मूंग : मूंग जनकल्याणी महज 55 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. फलियां गुच्छों में लगती हैं. एक फल में तकरीबन 10-12 दाने होते हैं. फली लंबी व दाना मोटा होता है. दाना बड़ा और गहरा हरा रंग लिए होता है. इस प्रजाति में पीला रोग नहीं लगता.
मूंग की उत्पादन क्षमता : इस की पैदावार क्षमता 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ मिलती है और बोआई के लिए बीज की मात्रा 6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लगती है. अरहर कुदरत 3 और जनकल्याणी मूंग एकसाथ लगा कर मिश्रित खेती कर के अधिक लाभ ले सकते हैं.
अधिक जानकारी के लिए आप किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी के मोबाइल नंबर 9839253974, 9939253974 पर बात कर सकते हैं.