विटामिन जितना इनसानों के लिए जरूरी हैं, उतना ही जानवरों के लिए भी जरूरी हैं. आप के घरों में जो पालतू पशु जैसे भेड़, बकरी, गाय और भैंसें होती हैं, उन्हें भी विटामिन ‘ए’ की कमी हो जाती है. इसे दूर करने के लिए आप को उन के खानपान के साथ ही साथ सेहत पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है.
विटामिन की कमी से जानवरों को भी खासी परेशानी होती है, लेकिन वह आप से बता नहीं सकते, इस के लिए आप भी जानवरों के कुछ लक्षण देख कर इस का पता लगा कर इलाज कर सकते हैं.
विटामिन ‘ए’ की कमी से रतौंधी यानी अंधापन की समस्या होने के साथसाथ चमड़ी सूख जाती है जो बाद में काफी सख्त हो जाती है और जानवरों के जिस्म से खुरचन उतरती रहती है.
इस विटामिन की कमी से सब से ज्यादा असर आप के पालतू पशुओं की प्रजनन कूवत में कमी और नवजात बछड़ों में जन्मजात गड़बड़ी पैदा हो जाती है. इस से बचने के लिए आप जरूरी कदम उठा कर परेशानियों से पालतू पशुओं को नजात दिला सकते हैं.
रोग की वजहें
* कम हरा चारा खिलाना या हरे चारे की कमी का होना.
* पशुओं की आंतों या लिवर की लंबी बीमारी का होना.
* गरमी के दिनों में पशुओं को विटामिन ‘ए’ की ज्यादा जरूरत होती है.
* पशुओं को ज्यादा दानायुक्त आहार दें व सूखा चारा देने से बचना चाहिए.
* जिन पशुओं में थायराइड ग्रंथि व लिवर सही काम नहीं करते हैं, उन में कैरोटिन ‘ए’ में बदलाव नहीं हो पाता है.
* पशुओं के शरीर में विटामिन ‘ई’ और विटामिन ‘सी’ की भी कमी का होना.
विटामिन इसलिए जरूरी हैं
शरीर की बढ़वार के लिए विटामिन जरूरी हैं. इस की कमी से भूख कम लगती है और पशु दुबला रहता है.
* आंखों की रोशनी के लिए.
* हड्डियों की मजबूती के लिए.
* भ्रूण के विकास के लिए.
* विटामिन ‘ए’ की कमी.
* सांस की नली में संक्रमण होता है.
* पथरी बनने की संभावना रहती है.
* नर व मादा दोनों की प्रजनन कूवत कम हो जाती है.
* शुक्राणुओं और अंडाणुओं का बनना प्रभावित होता है.
* गर्भपात यानी पेट के गिरने की संभावना ज्यादा रहती है.
लक्षण
* जिस तरह इनसानों को दिन में रतौंधी होने के चलते कम दिखाई देने लगता है, उसी तरह पशुओं में भी होता है.
* चौपायों के शरीर की चमड़ी रूखी हो जाए और जगहजगह से खुरचन उतरने लगे.
* छोटे बच्चों की बढ़वार कम होती है और कमजोर होते हैं.
* शुक्राणुओं के कम बनने से सक्रिय शुक्राणुओं की तादाद कम हो जाती है.
* गायभैंस के गर्भाशय में लेसेंटा यानी पेट कमजोर हो जाने से गर्भपात भी हो सकता है.
* आंखों में सफेद झाईं सी आना और पानी भर जाने से आंखें बाहर की ओर निकल आती हैं. आंखों से आंसू टपकते रहते हैं.
* नवजात बछड़ों में आई बाल की पूरी तरह कमी या छोटी रह जाती है. कई बार तीसरी आंख भी बन जाती है. यह बच्चेदानी की गड़बड़ी के चलते होता है.
* बच्चा बनने के दौरान अंगों में गड़बड़ी पैदा हो जाती है.
* रोगों से लड़ने की कूवत काफी कम हो जाती है.
विटामिन ‘ए’ का स्रोत
अगर पशुओं में इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो समय रहते उन के चारे की सही व्यवस्था करें ताकि उन्हें जरूरत के हिसाब से विटामिन मिलता रहे और अच्छी सेहत बनी रहे.
इस के लिए पशुपालकों को सिर्फ सूखा चारा ही नहीं खिलाना होता, बल्कि उस के साथ अनाज और हरा चारा जरूर दें. इस से पशुओं में विटामिन की कमी नहीं होती और सेहतमंद रहते हैं.
विटामिन के लिए चौपायों को हरी घास, हरा चारा, उपयुक्त मात्रा में नवजात बछड़ों को दूध, वसा, गाजर और पशु चिकित्सकों के बताए गए इंजैक्शन या दवा वगैरह से इस की कमी को आसानी से दूर किया जा सकता है.