कद्दूवर्गीय सब्जियों के साथ ही भिंडी में भी 2-3 बार जरूरत के मुताबिक निराईगुड़ाई करें. फसल के अवशेषों को जमीन पर बिछाने से भी खरपतवारों का प्रकोप कम होता है और मिट्टी में नमी बनी रहती है.

अगर फसल अवशेष न हों तो वहां प्लास्टिक मल्च का इस्तेमाल कर सकते हैं. पेंडीमिथेलीन 1 लिटर सक्रिय तत्त्व को 500 से 600 लिटर पानी में घोल कर बोआई के बाद या अंकुरण से पहले छिड़काव करें.

रबी सीजन में सब्जी वाली फसलें जैसे प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, फूलगोभी और पत्तागोभी में जंगली पालक, बथुआ, सेंजी, हिरनखुरी, जंगली, मटर, दूब घास, मोथा वगैरह उपज में नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ज्यादा उत्पादन के लिए इन सब्जियों में 2-3 हफ्ते की अवस्था पर निराईगुड़ाई करें. जरूरत होने पर बोआई के 4-5 हफ्ते बाद दोबारा निराईगुड़ाई करें.

रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करने के लिए इन सब्जियों की बोआई के 1 से 2 दिन बाद पेंडीमिथेलीन 750 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.

धान : धान में सांवा, मकरा, जंगली धान, कनकौआ, कोदो और सफेद मुर्ग वगैरह प्रमुख खरपतवार हैं.

खरपतवार की ज्यादा समस्या धान की सीधी बीजाई धान में है इसलिए खरपतवारों के समुचित प्रबंधन के लिए समय रहते निराईगुड़ाई करें और शाखनाशियों से खरपतवार नियंत्रण करना जरूरी है.

रोपाई या बोआई के 2-3 दिन बाद पेंडीमिथेलीन 1 लिटर सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

खरपतवार नियंत्रण के लिए खड़ी फसल में बोआई के 3 हफ्ते बाद प्रेटिलाक्लोर 1 लिटर सक्रिय तत्त्व या बिस्पायरीबेक सोडियम 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्त्व को 500-600 लिटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

गेहूं और जौ : घासवर्गीय खरपतवार जैसे गुल्लीडंडा (फैलेरिस माइनर), जंगली जई, दूब घास, फूलनी घास वगैरह प्रमुख हैं. गेहूं में मोथा का प्रकोप भी देखा गया है.

जंगली पालक, बथुआ, खरतूवा, हिरनखुरी, सेंजी, कटेली, कृष्णनील, कासनी, जंगली मटर वगैरह चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार भी गेहूं व जौ की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं.

खरपतवारों के नियंत्रण के लिए समुचित तरीके से गोबर की सड़ी हुई खाद का इस्तेमाल करें. कृषि यंत्रों को खरपतवारों के बीज वगैरह से मुक्त करें जिस से इन के प्रसार को रोका जा सके.

खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)

गेहूं व जौ में निम्न सस्य क्रियाएं अपना कर भी खरपतवारों के प्रकोप में कमी लाई जा सकती है:

* फसल चक्र अपनाएं.

* उचित बीज दर रखें.

* गरमी में हलकी सिंचाई के बाद गहरी जुताई करें.

* शून्य जुताई तकनीक का इस्तेमाल और विशेष मशीनों व रसायनों के इस्तेमाल से भी खरपतवारों में कमी आती है.

बोआई के 1-2 दिन बाद पेंडीमिथेलीन 750 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

बोआई के एक महीने बाद निराईगुड़ाई जरूर करें. यदि निराईगुड़ाई के लिए मजदूर न मिलें तो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मेट्सल्फूरा मिथाइल 4 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर या 2,4 डी 500 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर या कार्फेन्ट्राजोन का 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.

घासवर्गीय खरपतवारों के नियंत्रण के लिए क्लोडिनोफाप प्रोपार्जिल 60 ग्राम या सल्फोसल्फ्यूरौन 25 ग्राम सक्रिय तत्त्व का 500-600 लिटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

मक्का : ज्यादा उपज लेने के लिए मक्के की फसल को शुरू के 20-25 दिन तक खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए. इस के लिए दोबारा निराईगुड़ाई करें. अगर निराईगुड़ाई मुमकिन न हो, वहां बोआई के तुरंत बाद 500 ग्राम एट्राजीन सक्रिय तत्त्व को 500 लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. मिलवां खेती में निराईगुड़ाई द्वारा ही खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है.

अरहर : ककाणा, जंगली धान, सांवा, मकरा घास, घेरनिया घास, चौलाई, साठी, लटजीरा, सफेद मुर्गा, गाजर घास, गोखरू व मोथा प्रमुख खरपतवार हैं.

अरहर की फसल को तकरीबन 3 महीने तक खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए. इसलिए बोआई के 25 से 30 दिन और 45 से 50 दिन बाद 2 निराईगुड़ाई करें.

अरहर, बाजरा, मक्का और ज्वार के साथ मिलवां खेती करने से भी खरपतवारों का प्रकोप कम होता है और उपज ज्यादा मिलती है.

रासायनिक विधि से अरहर की अकेली फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 1 किलोग्राम फ्लूक्लोरेलिन को बोने से पहले छिड़क कर मिट्टी में मिला दें. बोआई के 1 से 2 दिन बाद 750 ग्राम पेंडीमिथेलीन का छिड़काव करने से भी अरहर को खरपतवारों से मुक्त रखा जाता है.

सरसों : ज्यादा उपज हासिल करने के लिए सरसों को शुरुआती 40 दिन तक खरपतवार से मुक्त रखें. बोने के 3 से 4 हफ्ते बाद निराईगुड़ाई करें. रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार नियंत्रण करने के लिए बोने के तुरंत बाद पेंडीमिथेलीन 700-1000 ग्राम सक्रिय तत्त्व प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. खड़ी फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बोने के 4 हफ्ते बाद आइसोप्रोट्यूरौन 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.

गन्ना : शुरुआती अवस्था में गन्ने की फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए. बारिश होने से पहले खरपतवार नियंत्रण करें और मिट्टी चढ़ाने का काम भी जरूर कर लें.

बारिश में खरपतवारों का ज्यादा प्रकोप होने पर 2 बार निराईगुड़ाई करें. शाखनाशियों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए बोने के 1 से 2 दिन बाद एट्राजीन या मेट्रीब्यूजीन 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

अगर शुरुआती अवस्था में शाखनाशियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो बोने के 30 से 35 दिन बाद 2,4 डी 500 ग्राम सक्रिय तत्त्व का छिड़काव करें.

आलू : आलू की फसल में शुरुआती अवस्था में खरपतवारों के प्रकोप से उपज में भारी नुकसान होता है. जब फसल 3-4 हफ्ते की हो जाए, तब मिट्टी चढ़ाने का काम कर लें. इस से खरपतवार का भी नियंत्रण हो जाएगा.

रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार नियंत्रण करने के लिए मेट्रीब्यूजीन 750 ग्राम या औक्सिफ्लुओरफेन 200 ग्राम सक्रिय तत्त्व को 500 से 600 लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.

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