भारत में मधुमक्खीपालन खासकर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा किया जाता है. लेकिन कई सालों से इस रोजगार ने देश के मैदानी इलाकों में पैर पसार लिए हैं. आजकल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे अनेक राज्यों में भी बड़े पैमाने पर लोग मधुमक्खीपालन का काम कर रहे हैं क्योंकि मधुमक्खीपालन में लगने वाली लागत से मुनाफा कहीं ज्यादा है. यह वातावरण को भी साफ रखने में मददगार साबित होता है.
शहद प्राकृतिक मिठास का सब से बेहतर विकल्प है जो तमाम तरह के औषधीय गुणों से भरपूर होता है. यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है. आजकल मधुमक्खीपालन ने कम लागत में शुरू होने वाला कुटीर उद्योग का दर्जा भी ले लिया है. ग्रामीण और भूमिहीन किसान या बेरोजगार नौजवानों के लिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इस में दूसरे लोगों को भी काम में लगाया जा सकता है.
पिछले कुछ सालों में शहद की मांग अपने देश के अलावा विदेशों में भी काफी बढ़ रही है इसलिए शहद के निर्यात में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
मधुमक्खीपालन में शहद के अलावा मोम, गोंद और डंकविष जैसे अनेक पदार्थ मिलते हैं. इस बारे में पर हमारी बातचीत ‘सुनीता मधुमक्खीपालन केंद्र’ के संचालक से हुई. उन्होंने बताया कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले उस काम के बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है.
अगर आप मधुमक्खीपालन का काम शुरू करना चाहते हैं तो सब से पहले अपने आसपास के किसी मधुमक्खी फार्म को जा कर देखें, समझें और जरूरी जानकारी लेने के बाद ही आप इस काम की ट्रेनिंग लें.
आप किसी मधुमक्खीपालक के पास रह कर भी इस की ट्रेनिंग ले सकते हैं. इस के अलावा अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकारी संस्थानों में भी इस काम को करने की ट्रेनिंग दी जाती है जो एक महीने से ले कर ज्यादा भी हो सकती है. ट्रेनिंग लेने के बाद आप को सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.
सरकार भी दे रही बढ़ावा : किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए आजकल सरकार भी ऐसे रोजगारों को बढ़ावा दे रही है. इस के लिए तमाम राज्यों में अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं जिस में सीखने वाले लोगों के लिए अनेक तरह के प्रशिक्षण उद्योग, संबंधित जानकारी और आर्थिक सहायता भी दी जाती है.
ध्यान देने वाली खास बातें
सब से पहले आप को खुली जगह की जरूरत होती है जहां पर आप मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रख सकें. इस के बाद आप को मधुमक्खियों के रखरखाव के लिए पेटियां खरीदनी होती हैं. इन पेटियों में ही मधुमक्खियां आती हैं.
इस उद्योग के लिए विदेशी मधुमक्खियों को खरीदा जाता है, जो सब से अच्छी मात्रा में शहद बनाती हैं. इन में एपिस मेलीफेरा, एपिस फ्लोरिया, एपिस डोरसाला, एपिस इंडिका वगैरह आती हैं.
एपिस मेलीफेरा सब से ज्यादा शहद बनाने वाली और अंडे देने वाली मधुमक्खी है. इस प्रजाति की मधुमक्खी ही खरीदना फायदेमंद होता है. यह एक लघु उद्योग है इसीलिए सरकार द्वारा आप को 2 लाख से 5 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है.
इस व्यवसाय में चाकू, रिमूविंग मशीन और शहद इकट्ठा करने के लिए ड्रम की जरूरत होती है. इस के बाद सब से ज्यादा जरूरी है शहद निकालने के लिए मशीन. यह मशीन आप को 25,000 से ले कर 30,000 रुपए तक में मिल जाती है.
मधुमक्खीपालन के लिए बरसात के मौसम को छोड़ कर पूरे साल यह काम किया जा सकता है. जनवरी से मार्च तक का महीना सब से बेहतर है और नवंबर से फरवरी तक का महीना भी खास होता है.
मधुमक्खीपालन साफसुथरी जगह पर करना चाहिए. जहां पर फूलों की खेती हो, वहां मधुमक्खीपालन का व्यवसाय ज्यादा से ज्यादा चल सकता है क्योंकि मधुमक्खियां जितना फूलों पर जा कर रस लेती हैं, उतना ही अच्छा शहद हमें मिलता है. इस के लिए हम देश में अनेक इलाकों में मौसम के हिसाब से अपने बौक्स को लगाते हैं.
बारिश में बरतें सावधानी
इस मौसम में मधुमक्खीपालन के काम में खास सावधानी बरतनी होती है. आप को सब से पहले ऐसी जगह को चुनना होता है जहां बारिश का पानी इकट्ठा न होता हो क्योंकि ऐसा होने पर मधुमक्खियों की पेटी और मधुमक्खियों को नुकसान पहुंच सकता है.
बारिश के मौसम में पेटी से फ्रेम निकाल कर साफ कर के कभीकभी धूप में रखें ताकि उन की अच्छी तरह से सफाई हो सके.
खास सावधानियां
इस उद्योग के लिए कई बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. सब से पहले तो जो आप को मधुमक्खी की प्रजाति बताई गई है वही पालने के लिए खरीदें.
मधुमक्खियों को साफ जगह पर पालना चाहिए क्योंकि कई प्रकार के कीट से मधुमक्खियों को नुकसान होता है. कई बार छिपकली भी मधुमक्खियों को खा जाती है इसलिए आप को छिपकलीरहित जगह चुननी चाहिए.
मधुमक्खियों के डंक से बचने के लिए आप को पैरों में जूते, हाथों में सुरक्षा के लिए ग्लव्स यानी दस्ताने और मुंह के बचाव के लिए जरूरी चीजें पहनना न भूलें.
शहद निकालने के लिए साफसफाई का ध्यान रखते हुए ये काम करें. यदि आप चाहें तो कम पेटियां खरीद कर भी छोटे स्तर पर यह व्यवसाय कर सकते हैं.
शहद निकालने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि मधुमक्खियां छत्ते में हैं या नहीं. अगर मधुमक्खियों के अंडे उस में न हों तभी आप शहद के लिए निकालें. मधुमक्खियों को हटाने के लिए आप ब्रश वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन यह काम आप को बड़ी ही सावधानी से करना होगा.
शहद की प्रोसैसिंग के लिए प्लांट : भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं. इस के तहत शहद प्रसंस्करण प्लांट लगाने के लिए 75 फीसदी तक का लोन भी उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही, 25 फीसदी सब्सिडी के रूप में माली मदद भी दी जाती है.
इस के लिए आप केवीआईसी (खादी एवं विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन) की वैबसाइट पर सरकारी योजनाओं के बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं. इस के अलावा आप अपने नजदीकी जिला बागबानी अधिकारी, राज्य सरकार के निदेशक (बागबानी) से भी संपर्क कर सकते हैं.
उत्पाद कहां बेचना होगा
मधुमक्खीपालन से कई सारे उत्पाद मिलते हैं जिन में शहद और मोम मुख्य होते हैं. शहद की जरूरत हर शहर और गांव के लोगों को होती है. आप अपने शहर या गांव की आसपास की दुकानों पर इन उत्पादों को बेच सकते हैं.
आप अपने मधुमक्खीपालन व्यवसाय का ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर सकते हैं. साथ ही, ऐसी कई कंपनियां हैं जो अपने उत्पाद को बनाने के लिए मोम या शहद का उपयोग करती हैं. आप उन कंपनियों से संपर्क कर उन्हें अपना माल बेच सकते हैं.
कई ऐसी भी कंपनियां हैं जो आप से माल ले कर अपनी कंपनी का लेबल लगा कर उन्हें बाजारों में बेचेंगी.
इस के 2 फायदे हैं. पहला फायदा तो यह होता है कि आप का उत्पाद अच्छी कीमत में बिक जाता है. वहीं दूसरा फायदा यह होता है कि किसी बड़ी कंपनी से आप को मदद मिल जाती है जो आप के व्यवसाय की गुडविल को मार्केट में अच्छे से बना कर रखती है.
इस के अलावा आप स्वयं भी शहद, मोम वगैरह के प्रोडक्ट बना कर मार्केट में सीधे ही बेच सकते हैं. हालांकि इस के लिए मेहनत और पैसा ज्यादा लगता है लेकिन कई मेहनती लोग अपने व्यवसाय को अच्छे स्तर तक ले जा कर इस काम को भी कर सकते हैं.
मधुमक्खीपालन की बुनियादी जानकारी
* मधुमक्खी फार्म में मधुमक्खियों को खास तरीके से बने लकड़ी के डब्बों में पाला जाता है. प्रत्येक डब्बे में 3 तरह की मधुमक्खियां होती हैं. रानी मधुमक्खी, नर मधुमक्खी और श्रमिक मधुमक्खी. इन में रानी की औसत आयु 1 साल, नर की औसत आयु 6 महीने और श्रमिक की औसत आयु 40 से 45 दिन होती है.
* एक डब्बे में ज्यादा से ज्यादा 10 फ्रेम मधुमक्खी रख सकते हैं. लेकिन बेहतर होगा कि आप उतने ही फ्रेम मधुमक्खी रखें, जिन की आप ठीक से देखभाल कर सकें.
* एक डब्बे से एक साल में तकरीबन 50 किलोग्राम शहद का उत्पादन होता है. साथ ही, 2-3 डब्बों के लायक नई मधुमक्खियां भी मिल जाती हैं. इस तरह मधुमक्खियों की तादाद के साथ ही शहद की मात्रा में भी बढ़ोतरी होती है.
* मधुमक्खियों के रहने के लिए नमीरहित, साफसुथरी और खुली जगह को चुनें. ध्यान रखें कि आप के द्वारा चुनी गई जगह पर सही छाया के लिए बड़े छायादार पेड़ों, जरूरी धूप और साफ पानी का पुख्ता बंदोबस्त हो. साथ ही, यह भी जरूरी है कि आप अपने फार्म के लिए अच्छी प्रजाति की मधुमक्खियों को ही चुनें.
* मधुमक्खीपालन का सही समय नवंबर माह से शुरू होता है इसलिए जहां तक संभव हो, इस से पहले ही सभी चीजें जुटा लें और दूसरी जरूरी तैयारियां भी पूरी कर लें.