दूध पैदावार के मामले में भारत दुनियाभर में पिछले लगभग एक दशक से पहले नंबर पर बना हुआ है. किसी भी डेरी कारोबार में होने वाले खर्च का 70 फीसदी भाग पशुओं के खानपान पर ही खर्च होता है इसलिए पशुपालकों को अपने पशुओं के खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए. उसे कौन सा आहार किस मात्रा में किस समय दिया जाना चाहिए, यह भी पता होना चाहिए.
आज पशुओं को अनेक प्रकार के चारे खिलाए जाते हैं जिस में हरा चारा, सूखा चारा, अनाज, खली व अन्य खेत में पैदा होने वाले चारे शामिल होते हैं. हरे चारे में बरसीम, जई, रिजका और खरीफ के समय ज्वार, बाजरा, मक्का, लोबिया, ग्वार खास हैं.
इस के अलावा बहुवर्षीय चारे में नेपियर घास, पैरा घास, दूब घास आदि हैं वहीं सूखे चारे में गेहूं का भूसा, धान का पुआल, मक्का या ज्वार, बाजरा की कडबी, अरहर की भूसी वगैरह.
अनाज के रूप में मक्का, गेहूं, ज्वार, बाजरा, जौ, जई व खली में मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, बिनौला, अलसी आदि की खली खिलाई जाती है. इस के अलावा गेहूं का चौकर, धान की भूसी या दालचावलों की चूरी भी पशुओं को दी जाती है. इस के अलावा नमक, गुड़ की राब वगैरह भी पशुओं को दी जाती है.
पशु आहार हमेशा नपातुला होना चाहिए जिसे 24 घंटे में 2 बार पशुओं को देना चाहिए. पशु को आहार में रातिब मिला हुआ सूखा चारा एक तय मात्रा में देना चाहिए जिस से उस के सभी जरूरी पोषक तत्त्वों की पूर्ति हो सके.
पशुओं को अगर सही मात्रा में पशु आहार दिया जाए तो पशुओं के गाभिन होने की कूवत अच्छी बनी रहती है. पशु सही समय पर गाभिन भी होते हैं. साथ ही, सेहतमंद रहते हैं और बीमारियों का खतरा भी कम रहता है.