कंप्रैस्ड बायो गैस (Compressed Bio Gas) संयंत्र की स्थापना

संत कबीरनगर: जनपद में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति, 2022 के अंतर्गत कंप्रैस्ड बायो गैस (सीबीजी) संयंत्र की स्थापना के लिए जनपद में चिह्नित ग्राम सभा व सरकारी भूमि को अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के पक्ष में उपलब्ध कराने के बारे में निदेशक, उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण को अवगत कराया गया है.

जो प्रदेश सरकार द्वारा प्रख्यापित राज्य जैव ऊर्जा नीति, 2022 के अंतर्गत जनपद में कंप्रैस्ड बायो गैस (सीबीजी) संयंत्र की स्थापना के लिए राजस्व विभाग के उल्लिखित व्यवस्था के अनुसार भूमि चिह्नांकित कर अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के नाम पट्टे पर उपलब्ध कराना है.

उक्त जानकारी देते हुए जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि चिन्हित भूमि का सीबीजी प्लांट के लिए प्रस्ताव उपजिलाधिकारी, खलीलाबाद द्वारा तहसील खलीलाबाद के विकास खंड, बघौली में राजस्व ग्राम परजूडीह के गाटा संख्या 280 (क्षेत्रफल 20.00) भूमि की प्रकृति व श्रेणी चारागाह चिन्हित किया गया है.

उन्होंने बताया कि पहला प्रस्ताव ग्राम परजुडीह, तहसील खलीलाबाद में भेजा गया है. साथ ही, तहसील धनघटा एवं मेहंदावल में भूमि तलाशी जा रही है. इस संबंध में जल्दी ही प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस में तकरीबन 200 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है.

उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति, 2022 के अनुसार, 10 टन क्षमता के सीबीजी प्लांट के अनुसार ऊर्जा उद्यम की स्थापना एवं संचालन के लिए 10 एकड़ भूमि जरूरी होगी. अतः 20 टन प्रति दिन क्षमता के सीबीजी प्लांट के लिए वर्तमान में 20 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जा रही है.

साथ ही, संयंत्र स्थापना एवं संचालन के लिए आवश्यक भूमि के अतिरिक्त अन्य शेष भूमि पर निराश्रित गोवंशों के लिए गोआश्रय स्थल एवं चारागाह बनाया जाना सीबीजी प्लांट एवं निराश्रित गोवंशों के लिए उपयुक्त होगा.

इस के संबंध में भी निदेशक, उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण से मैसर्स आरएसपीएल लिमिटेड गुरुग्राम, हरियाणा को जरूरी दिशानिर्देश देने की अपेक्षा जिलाधिकारी द्वारा की गई है.

सीबीजी संयंत्र स्थापना हेतु उपजिलाधिकारी, खलीलाबाद संत कबीरनगर के स्तर से उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव को जिलाधिकारी द्वारा निदेशक, उप्र नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण को इस अनुरोध के साथ प्रेषित किया गया कि जनपद में 20 टन प्रति दिन क्षमता के कंप्रैस्ड बायो गैस संयंत्र (सीबीजी) स्थापना की कार्यवाही उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग उत्तर प्रदेश से प्राप्त निर्देशों के क्रम में करने का काम करें.

सीबीजी संयंत्र के लिए 133 करोड़

बदांयू: एचपीसीएल के संपीड़ित बायोगैस संयंत्र (सीबीजी) के बारे में बोलते हुए पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस व आसवन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस संयंत्र में 100 एमटीपीडी चावल के भूसे की प्रसंस्करण क्षमता है और यह 65 एमटीपीडी ठोस खाद के साथ 14 एमटीपीडी सीबीजी उत्पन्न कर सकता है. बदायूं में सीबीजी संयंत्र एचपीसीएल द्वारा तकरीबन 133 करोड़ रुपए के निवेश से चालू किया गया है और यह तकरीबन 50 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है.

एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में हिंदुस्तान पैट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के अग्रणी बायोमास आधारित संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र का उद्घाटन बदांयू में किया.

इस अवसर पर केंद्रीय पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, आंवला के सांसद धर्मेंद्र कश्यप, दातागंज के विधायक राजीव कुमार सिंह, बदायूं सदर के विधायक महेश चंद्र गुप्ता और एमओपीएनजी और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, जिस में एचपीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और एचपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, उपस्थित थे.

इस सीबीजी संयंत्र का उद्घाटन भारत सरकार के आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने पर जोर देने के अनुरूप है. राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के हिस्से के रूप में, यह पहल दूसरी पीढ़ी (2जी) के जैव तेलशोधक कारखानों और संपीड़ित जैव गैस संयंत्रों पर ध्यान देने के साथ आयात निर्भरता को 10 फीसदी तक कम करने के सरकार के लक्ष्य में योगदान देती है.

केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उत्पादन स्थिर होने पर बदांयू में सीबीजी संयंत्र 17,500-20,000 एकड़ खेतों में पराली जलाने की समस्या को कम करने में मदद करेगा, जिस से सालाना 55,000 टन ब्व्2 उत्सर्जन में कमी आएगी और तकरीबन 100 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रूप से रोजगार और 1,000 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पैदा होगा.

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा ऐसे बायोगैस संयंत्र लगाए जाएंगे.

मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), स्मार्ट सिटी मिशन, पीएम स्वनिधि योजना आदि सहित भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं में उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन की सराहना की.

CBGउन्होंने पिछले साढे़ 9 सालों में उत्तर प्रदेश में तेल और गैस क्षेत्र की प्रगति का एक स्नैपशाट प्रदान किया. उन्होंने पैट्रोल पंपों, एलपीजी वितरकों, पीएनजी कनैक्शन, सीएनजी स्टेशनों, एलपीजी कनैक्शन आदि की संख्या के मामले में राज्य की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला.

बदायूं में सीबीजी संयंत्र

बदायूं में तकरीबन 100 टन प्रतिदिन लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास की प्रसंस्करण क्षमता वाला, बदायूं में सीबीजी संयंत्र, 14 टीपीडी सीबीजी का उत्पादन करने के लिए डिजाइन की गई एक अभूतपूर्व पहल है. इस परियोजना में कच्चे माल की प्राप्ति और भंडारण, सीबीजी प्रसंस्करण अनुभाग, संबंधित उपयोगिताएं, सीबीजी कैस्केड फिलिंग शेड और ठोस खाद भंडारण एवं बैगिंग सुविधा शामिल हैं.

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

परियोजना का लक्ष्य स्थानीय किसानों और किसान उत्पादक संगठनों से बायोमास खरीद कर किसानों की आय को बढ़ावा देना है, जिस से 100 से अधिक लोगों को आजीविका के अवसर मुहैया होंगे. यह संयंत्र हजारों किसानों, ट्रांसपोर्टरों और खेतिहर मजदूरों को प्रत्यक्ष आजीविका के अवसर और अप्रत्यक्ष लाभ भी प्रदान करेगा. इस के अलावा किसानों को जैविक खाद की बिक्री का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की पैदावार को बढ़ाना है, जो टिकाऊ कृषि में योगदान देता है.

अनूठी विशेषताएं

सीबीजी उत्पादन की तकनीकी के लिए मैसर्स प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पुणे से लाइसेंस लिया गया है और डाइजैस्टर का डिजाइन बायोगैस के उत्पादन को अधिकतम बनाता है. उर्वरक नियंत्रण आदेश के कड़े मानदंडों का पालन करते हुए, संयंत्र में प्रदूषण सूक्ष्मग्राही शून्य तरल स्राव डिजाइन समाविष्ट है.

पर्यावरणीय प्रभाव

सीबीजी, सीएनजी के समान गुणों के साथ, हरित, नवीकरणीय आटोमोटिव ईंधन के रूप में काम करता है. यह परियोजना प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कमी, उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों और स्वच्छ भारत मिशन में सकारात्मक योगदान की उम्मीद करती है.

परियोजना लागत और समयसीमा

सीबीजी संयंत्र को 133 करोड़ रुपए की लागत के साथ मंजूरी दी गई थी. यह काम पूरा हो चुका है और वर्तमान में इस की प्रक्रिया स्थिरीकरण और परीक्षण चल रहा है. इस संयंत्र में अपनी तरह की पहली फास्फेट रिच और्गेनिक खाद (पीआरओएम) सुविधा भी है, जो पैमाने और डिजाइन में अद्वितीय है, ताकि कड़े उर्वरक नियंत्रण आदेश मानदंडों को पूरा करते हुए जैविक खाद का उत्पादन किया जा सके.

एचपीसीएल सीबीजी प्लांट का उद्घाटन भारत के टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की खोज में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को चिन्हित करता है और यह ऊर्जा पहुंच, दक्षता, स्थिरता एवं सुरक्षा पर आधारित भविष्य के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है.

गोबरधन योजना : “कचरे से कंचन”

नई दिल्ली : गैल्वनाइजिंग और्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबरधन) भारत सरकार की एक प्रमुख बहुमंत्रालयी पहल है, जिस का उद्देश्य मवेशियों के गोबर और कृषि अवशेषों और अन्य बायोमास सहित भारत सरकार ने गोबरधन पहल के कार्यान्वयन की गति को बढ़ाने के साथसाथ उस की व्यापकता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिस में अन्य बातों के साथसाथ चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा की गई जिस में सीबीजी को द्विपक्षीय/सहकारी दृष्टिकोण के तहत कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए गतिविधियों की सूची में 17 फरवरी, 2023 को शामिल किया गया. इस से सीबीजी संयंत्र मालिकों को कार्बन क्रेडिट बायोडिग्रेडेबल/जैविक कचरे को बायोगैस, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी), और जैविक खाद जैसे मूल्यवान संसाधनों में परिवर्तित करना और “संपूर्ण सरकार” के एक नवीन दृष्टिकोण के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है.

बजट घोषणा 2023 ने 10,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 500 नए “कचरे से कंचन” संयंत्रों की स्थापना की घोषणा कर के इस परिवर्तनकारी पहल को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान किया. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 198 संयंत्र लगाए गए, जिन में 12 कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र और 186 बायोगैस संयंत्र शामिल हैं. इस के अलावा 556 संयंत्र बन रहे हैं, जिन में 129 सीबीजी संयंत्र और 427 बायोगैस संयंत्र शामिल हैं.

भारत सरकार ने गोबरधन पहल के कार्यान्वयन की गति को बढ़ाने के साथ ही उस की व्यापकता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिस में अन्य बातों के साथसाथ चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा की गई, जिस में सीबीजी को द्विपक्षीय/सहकारी दृष्टिकोण के तहत कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए गतिविधियों की सूची में 17 फरवरी, 2023 को शामिल किया गया. इस से सीबीजी संयंत्र मालिकों को कार्बन क्रेडिट के व्यापार के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व में मदद मिलेगी.

इस के अलावा दोहरे कराधान को रोकने के लिए 2 फरवरी, 2023 से सीबीजी के साथ मिश्रित सीएनजी पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में छूट प्रदान की गई है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) संशोधन अधिसूचना जारी की गई है और एलएफओएम/एफओएम के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए 3 वर्ष की अवधि के लिए फर्मेंटेड जैविक खाद (एफओएम)/तरल फर्मेंटेड जैविक खाद (एलएफओएम) (गोबरधन संयंत्रों से उत्पादित जैविक खाद) की बिक्री के लिए प्राधिकरणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करना है. साथ ही, एफओएम में नमी की मात्रा को 30-40 फीसदी से बढ़ा कर 30-70 फीसदी करना है. इस के अलावा सीसीएन अनुपात को “20 से कम” से “30” तक और एलएफओएम/एफओएम में पीएच सामग्री को “6.5-8.0” से “6.5-8.4” तक बढ़ाना भी है.

Gober Dhan

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मृदा स्वास्थ्य और कृषि उत्पादकता पर एफओएम/एलएफओएम के लाभों के प्रचार के लिए “विभिन्न फसल प्रणालियों में बायोस्लरी के उपयोग” के साथसाथ विभिन्न फसलों के लिए एफओएम/एलएफओएम के इस्तेमाल के लिए कार्य प्रणालियों के पैकेज पर एक रिपोर्ट तैयार की है. साथ ही, बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना को मंजूरी दे दी गई और जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथसाथ एफओएम/एलएफओएम (गोबरधन पौधों से एक उपउत्पाद) की बिक्री और विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यान्वयन शुरू हो गया. सीबीजी के उत्पादन और खपत को मजबूत करने के लिए एमओपीएनजी की सीबीजी-सीजीडी सिंक्रनाइजेशन योजना का 10 साल यानी 2024 तक विस्तार दिया जा रहा है.

सीबीजी संयंत्र संचालकों द्वारा एफओएम/एलएफओएम के विपणन को आसान बनाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एफओएम/एलएफओएम की थोक बिक्री की अनुमति देने वाली अधिसूचना जारी की गई है.

और राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) ने सीबीजी के उत्पादन और खपत को मजबूत करने के लिए अनिवार्य 5 फीसदी सीबीजी मिश्रण की चरणबद्ध शुरुआत को मंजूरी दी है.

पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा एकीकृत पंजीकरण पोर्टल गोबरधन विकसित किया गया है और देशभर में सीबीजी और बायोगैस संयंत्रों के पंजीकरण को सुव्यवस्थित करने और उन की स्थिति की निगरानी करने के लिए 1 जून, 2023 को लौंच किया गया है. हितधारकों के परामर्श पर पोर्टल का विस्तार किया गया है, जिस में संयंत्रों की कार्य क्षमता की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए “कार्य क्षमता मूल्यांकन मौड्यूल”, ऋण आवेदन की स्थिति को ट्रैक करने और बैंकों से सुझाव प्राप्त करने के लिए “बैंक ऋण मौड्यूल” जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य क्षमताएं शामिल की गई हैं. बायोगैस/सीबीजी क्षेत्र में मौजूदा और आगामी नीति प्रवर्तकों के माध्यम से, सरकार का अंतिम लक्ष्य बायोगैस/सीबीजी संयंत्रों की पहुंच, जागरूकता और कार्यान्वयन का विस्तार करना और उद्योग को निजी क्षेत्र के निवेश के लिए आकर्षक बनाना है.

अधिक जानकारी के लिए www.gobardhan.co.in पर विजिट किया जा सकता है