पोल्ट्री में आहार की आवश्यकता को 5 से 10 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित तकनीकों को अपना कर जैसे पोल्ट्री आहार में संपूरक आहार का प्रयोग करें, माइक्रोबियल एनएसपी एंजाइम का उपयोग, फाइटेज, प्रोटियेज, आवश्यक तेल और और्गेनिक एसिड का प्रयोग, पोल्ट्री के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए प्रोबायोटिक, लिवर टौनिक इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं.
* मक्का और सोयाबीन की उत्पादन में कमी होने की स्थिति में या इन की उपलब्धता की कमी में पोल्ट्री में आहार में टूटे हुए चावल व बाजरा को 30 से 40 फीसदी और बिनौले की खली 10 से 12 फीसदी और सरसों की खली 5 से 8 फीसदी तक प्रयोग कर सकते हैं.
* गरमी का मौसम चल रहा है. गरमी में वृद्धि हो रही है, तो पोल्ट्री के दाने में थोड़ा पानी मिला कर या पानी से गीला कर के मुरगियों को देना चाहिए और आहार दिन में ठंडे समय में जैसे सुबह और शाम को देना चाहिए. जैसेजैसे तापमान बढ़ता है, मुरगी की ऊर्जा की आवश्यकता कम होती जाती है, इसलिए दाने में पोषक तत्त्वों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए.
मुरगी के पानी में अतिरिक्त विटामिन संपूरक देना चाहिए.
* मुरगी को स्वच्छ व ठंडा पानी दें. पानी के बरतन साफ होने चाहिए. आमतौर मुरगियों को प्रति किलो दाने पर 2 लिटर पानी की आवश्यकता होती है. मुरगियों में पानी की आवश्यकता प्रति डिगरी तापमान बढ़ने पर 4 फीसदी तक बढ़ जाती है. मिट्टी के बरतन में पानी देना अधिक लाभदायक होता है.
* तापमान बढ़ने के साथसाथ हमें आवास के प्रबंधन की उचित देखभाल रखनी चाहिए. आवास की छत पर बाहर से सफेदी कर देनी चाहिए या उष्मा कुचालक शीट का प्रयोग कर सकते हैं. आवास कक्ष दोनों तरफ से छत 3 फुट बाहर निकली होनी चाहिए. मुरगियों को गरम मौसम में खुली जगह देनी चाहिए. अधिक गरमी होने की स्थिति में पंखे, कूलर और एग्जास्ट पंखों का प्रयोग कर सकते हैं. आवास के दोनों तरफ बोरी के परदे लगा देने से और दिन में पानी का छिड़काव करना लाभदायक होता है. आवास के छप्पर पर हरी लताएं चढ़ा देनी चाहिए.
* मुरगीशाला में बिछावन की मोटाई 2 से 3 इंच रखनी चाहिए, बिछावन को समयसमय पर उलटतेपलटते रहना चाहिए. इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए.