अफारा या पेट फूलना : पशु द्वारा अत्यधिक हरा चारा खा लेने के बाद पेट फूल जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है. दम घुटने से मौत भी हो सकती है. अफारा के उपचार हेतु 100 ग्राम टिम्पोल पाउडर या 100 मिलीलिटर ब्लोटोनील/ब्लोटासिल को कुनकुने पानी में मिला कर पिलाएं. इन के अभाव में कोई भी 100-200 मिलीलिटर खनिज तेल जैसे सरसों या अरंडी तेल को 25 मिलीलिटर तारपीन के तेल व 2 मिलीलिटर पिपरमैंट में मिला कर पिला सकते हैं.
मुंह में घाव या छाले : खुरपका व मुंहपका बीमारी या किसी नुकीली चीज के चुभने से मुंह में घाव हो सकते हैं. ऐसे में पशु के मुंह को लाल दवा (पोटैशियम परमैग्नेट) के घोल (1 चुटकी दवा 1 लिटर पानी में) से धो दें, उस के बाद बोरिक एसिड का ग्लिसरीन में पेस्ट बना कर लगाएं. इन दवाओं की कमी में पिसी हुई कच्ची हलदी को शहद में मिला कर मुंह के छालों पर लगा सकते हैं.
थन में घाव: घाव को कुनकुने पानी से धोने के बाद लाल दवा के घोल से धोएं. उस के बाद उस पर कोई भी कीटाणुनाशक क्रीम जैसे बीटाडीन या सोफरामाइसिन दिन में 2 बार लगाएं. इन दवाओं की कमी में कच्ची हलदी और नीम के तेल का लेप किया जा सकता है.
त्वचा में खरोंच या घाव के उपचार : बीटाडीन और पानी के घोल (1:1) से साफ करें और एंटीबायोटिक दवा या कच्ची हलदी व नीम के तेल का पेस्ट बना कर लगा सकते हैं. यदि घाव से खून नहीं बह रहा है और केवल सूजन है तो बर्फ की सिंकाई करें.
जले हुए घाव का उपचार : किसी कारणवश अगर पशु जल जाता है तो जले हुए हिस्से को अच्छी तरह ठंडे पानी से धोएं और उस पर सिल्वर सल्फाडाइजीन नामक दवा को लगाएं. इस दवा की कमी में नारियल का तेल में थोड़ा सा कपूर मिला कर जले पर लगा सकते हैं.
आंख में चोट लग जाने पर : आंख को अच्छी तरह से साफ पानी से धोएं और बोरिक एसिड पाउडर का घोल (2 ग्राम बोरिक एसिड 100 मिलीलिटर साफ कुनकुने पानी) से धोएं.
करंट लगने की हालत में : सब से पहले बिजली के स्विच को बंद कर ले उस के बाद पशु का मुंह खुला रखें और उसे जमीन पर लिटा कर गरदन सीधी कर लें और सांस लेने में उस की मदद करें. अगर सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो सीने को दबा कर उस की मदद करें.
सींग में चोट या उस के टूट जाने पर : सब से पहले जून के रिसाव को रोकने के लिए टिंचर बेजोइन का इस्तेमाल किया जा सकता है, उस के बाद बीटाडीन ट्यूब लगा कर घाव पर पट्टी की जा सकती है. अगर किसी वजह से खून का रिसाव नहीं रुक रहा हो तो तुरंत पशु डाक्टर में संपर्क करें.
नवजात बछड़े में दस्त लगने पर : ओआरएस का घोल पिलाएं. इस की कमी में चीनीनमक का घोल बना कर पिला सकते हैं इस के साथसाथ उबले हुए चावल का पानी भी पिला सकते हैं. बुखार होने पर पशु डाक्टर से संपर्क करें.
खुर में घाव हो जाने पर : घाव को लाल दवा से अच्छे से धो लें और उस के बाद टापिक्योर स्प्रे या हीमेक्स क्रीम का उपयोग करें. घाव में कीड़े पड़ने की दशा में तारपीन के तेल की पट्टी बांधें. दवाओं की कमी में हलदी व नीम के तेल का लेप लगा सकते हैं.