बरसीम रबी की एक प्रमुख बहुकटान वाली दलहनी चारा फसल है, जो स्वादिष्ठ होने के साथसाथ बहुत ही पौष्टिक भी होती है.
दलहनी फसल होने के कारण यह खेत की उर्वराशक्ति में भी बढ़ोतरी करती है. अक्तूबरनवंबर महीने में बोआई करने के बाद यह शीतकाल के दौरान चारा देना शुरू करती है और गरमी के शुरू तक पौष्टिक चारा देती रहती है.
सर्दियों में अगर बरसीम के साथ थोड़ा भूसा मिला कर पशुओं को खिलाया जाए, तो कम से कम 5 लिटर दूध उत्पादन तक कोई दाना मिश्रण देने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि बरसीम के अंदर इतना पोषण होता है कि 5 लिटर रोजाना दूध उत्पादन के लिए जरूरी पोषक तत्त्वों की पूर्ति महज बरसीम से ही हो जाती है.
पोषक मान
* बरसीम में अपरिष्कृत प्रोटीन की मात्रा शुष्क पदार्थ के आधार पर 16 से 21 फीसदी तक होती है.
* बरसीम में फाइबर की मात्रा दूसरे चारे के मुकाबले बहुत ही कम होती है.
* इस के चारे की पाचनशीलता 70 से 75 फीसदी तक होती है.
* प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है, जिस से दुधारू पशुओं को अलग से खली और अनाज देने की जरूरत नहीं पड़ती है.
सही जलवायु
बरसीम ठंडी जलवायु के माकूल है. ऐसी जलवायु उत्तर भारत में सर्दी और वसंत ऋतु में पाई जाती है, इसीलिए उत्तर भारत को बरसीम उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है.
बरसीम की बोआई और फसल के विकास के लिए इष्टतम तापमान 25 से 27 डिगरी सैल्सियस होता है.
भूमि की तैयारी
ह्यूमस, कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर दोमट मिट्टी इस के लिए बहुत अच्छी होती है.