भिंड : मत्स्य उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे गरीब से गरीब व्यक्ति अपना सकता है एवं अच्छी आय प्राप्त कर सकता है और समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है. विभिन्न माध्यमों से मत्स्यपालन व्यवसाय में लग कर मानवेंद्र सिंह अपना आर्थिक स्तर सुधार रहे हैं.

भिंड जिले के दबोह क्षेत्र के मानवेंद्र सिंह यादव द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्यपालन की नवीन तकनीक बायोफ्लोक यूनिट द्वारा मत्स्यपालन का काम किया जा रहा है.

मानवेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्ष 2019-20 में सहायक संचालक मत्स्योद्योग जिला भिंड के अधिकारी की सहायता से बायोफ्लोक पद्धति से 4 मीटर व्यास, 1.5 मीटर ऊंचाई एवं 10 हजार लिटर पानी की क्षमता के 2 टैंकों में मत्स्य उत्पादन किया गया, जिस में 50 हजार की लागत से 1.5 मीट्रिक टन मत्स्योत्पादन किया गया, जिस में एक लाख रुपए का लाभ प्राप्त हुआ.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में मत्स्य विभाग जिला भिंड से संपर्क कर 7 टैंक 5 मीटर व्यास, 1.5 मीटर ऊंचाई, 20 हजार लिटर पानी की क्षमता एवं 7.5 लाख रुपए की लागत से 7 टैंकों का निर्माण करवाया गया एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से 3 लाख का अनुदान प्राप्त हुआ.

साथ ही, सभी टैंकों में 20 हजार पंगेशियस मत्स्य बीज का संचयन किया, जिस में एक वर्ष में 2 बार (प्रत्येक 6-6 माह में) मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाता है, जिस में 5 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हो चुका है. इस से वर्ष में 5 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त हुआ है. वर्तमान में 5 मीटर व्यास, 1.5 मीटर ऊंचाई, 20 हजार लिटर पानी की क्षमता वाले 14 टैंक हैं, जिन में मछली को  पालने का काम किया जा रहा है.

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