यह प्रशिक्षण कार्यक्रम संस्थागत विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना द्वारा वित्त पोषित स्नातक छात्रों के लिए आयोजित किया गया. कुल 30 छात्रों को डेरी एवं बकरीपालन में उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
समापन समारोह के मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में बताया कि राजस्थान दुग्ध उत्पादन एवं प्रति व्यक्ति उपलब्धता में अग्रणी राज्य है. यही एक कारण है कि राजस्थान में अकाल एवं अन्य आपदाओं के बावजूद राज्य में किसानों द्वारा आत्महत्याओं की घटनाएं नहीं होती हैं. राजस्थान में गाय एवं बकरीपालन किसानों की आय का मुख्य स्रोत है.
उन्होंने बताया कि डेरी एवं बकरीपालन प्रशिक्षण वर्तमान समय की मांग है, एवं इस में उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं.
कार्यक्रम के दौरान डा. अनिल कुमार, प्रोफेसर, जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर ने गाय एवं बकरीपालन से आजीविका सुरक्षा एवं आय के सतत स्रोत के बारे में जानकारी दी.
इस अवसर पर डा. पीके सिंह, परियोजना प्रभारी संस्थागत विकास योजना, एवं डा. एसएस शर्मा, अधिष्ठाता राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम की शुरुआत में डा. सिद्धार्थ मिश्रा, आयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष, पशु उत्पादन विभाग ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी.
समारोह के दौरान डेरी एवं बकरीपालन पुस्तक का विमोचन कुलपति द्वारा अन्य अतिथियों, महाविद्यालय के विभागाध्यक्षों की उपस्थिति में किया गया.
कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए. कार्यक्रम का संचालन डा. लतिका शर्मा ने किया एवं कार्यक्रम के अंत में डा. लक्ष्मण जाट ने समारोह में शामिल सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया