Hydroponics Technology: शहर हो या गांव, आज के समय में अनेक पशुपालक डेरी व्यवसाय करना चाहते हैं, लेकिन उन के लिए चारे की समस्या आड़े आ जाती है. गांव में तो किसानों को यह समस्या ज्यादा नहीं है, लेकिन शहरों में जो लोग पशुपालन कर रहे हैं, उन्हें हरा चारा नहीं मिल पाता. शहरों के आसपास चारा उगाने के लिए जमीन की अच्छीखासी कमी है.

आमतौर पर पौधे उगाने के लिए बीजों को मिट्टी में बोया जाता है, जबकि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics Technology) में बीजों को बिना मिट्टी के उगाया जाता है और बहुत कम जमीन की जरूरत होती है.

कृषि विशेषज्ञों और कृषि यंत्र विशेषज्ञों ने मिल कर हाइड्रोपोनिक्स तकनीक ईजाद की है. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर आयुर्वेट के वैज्ञानिकों द्वारा लगातार आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है और उन्हें  इस के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं.

इस तकनीक से उगाए गए चारे को हाइड्रोपोनिक्स चारा भी कह सकते हैं. इस हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से रोज ही हरा चारा उगाया जा सकता है. इस तकनीक से 1 किलोग्राम बीजों से 7 दिनों में 6-8 किलोग्राम हरा चारा पैदा हो जाता है.

यह मशीन अलगअलग कूवतों में मिलती है. इस से 1 दिन में 240 किलोग्राम से ले कर 960 किलोग्राम तक हरे चारे का उत्पादन हो सकता है. गरमी हो या सर्दी या बरसात इस का कोई फर्क नहीं पड़ता. मक्का, जौ और जई जैसे चारे के लिए प्रचलित अनाजों से हाईड्रोपोनिक चारा तैयार किया जाता है.

जमीन में उगाए गए चारे की तुलना में हाइड्रोपोनिक्स मशीन में उगाया गया चारा पौष्टिकता और गुणों से भरपूर होता है. जमीन के मुकाबले इस मशीन से कई गुना अधिक चारा पैदा किया जा सकता है. इस मशीन से चारा उगाने में पानी की भी बहुत बचत होती है. मशीन के नीचे ही पानी की टंकी लगी होती है, जिस से जरूरत के अनुसार पानी मशीन में जाता है. ट्रे में जितने पानी की जरूरत होती है, उतना ही खर्च होता है, बाकी पानी वापस टंकी में चला जाता है.

इस चारे की खूबी यह है कि हमें जड़, बीज व चारा तीनों चीजें मिलती हैं, जबकि खेत में उगाने से हमें केवल चारा ही मिलता है. जमीन में चारा तैयार होने में जहां कम से कम 1 महीना लगता है, वहीं इस मशीन से महज 1 हफ्ते में चारा मिलने लगता है. जमीन में उगे चारे के मुकाबले हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से उगाया गया चारा अधिक पौष्टिक और गुणकारी होता है.

Hydroponics Technology

इस चारे की एक और खूबी यह है कि यह कीटनाशकों और खरपतवार से रहित शुद्ध पशु आहार होता है.

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि दुधारू पशु को रोजाना कुछ मात्रा इस चारे की भी मिला कर खिलाई जाए, तो दूध में अच्छीखासी बढ़ोतरी होती है. इस के इस्तेमाल से गायभैंस के बच्चों की भी बढ़वार अच्छी होती है. अगर प्रजनन करने वाले सांड़ों को भी यह चारा खिलाया जाए तो उन की प्रजनन कूवत में बढ़ोतरी होती है.

इस तकनीक से गन्ने की पौध, गेहूं के ज्वारे आदि की पौध तैयार की जा सकती है. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से धान की नर्सरी भी उगाई जा सकती है. इस से धान के पौधे 1 हफ्ते में तैयार हो जाते हैं. ऐसे पौधे घासपात रहित व रोगमुक्त होते हैं.

आयुर्वेट प्रोग्रीन हाइड्रोपोनिक्स मशीन

Hydroponics Technology

मशीन निर्माता का कहना है कि यह कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पहली और एकमात्र हाइड्रोपोनिक्स मशीन है. इस मशीन पर कृषि मंत्रालय द्वारा सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध है और यह खासकर पशु विश्वविद्यालयों द्वारा अनुमोदित है.

प्रोफेसर डा. आरके धूरिया, पशु पोषण विभाग, बीकानेर, राजस्थान का कहना है कि उन के विश्वविद्यालय में पिछले 4 सालों से आयुर्वेट हाइड्रोपोनिक्स मशीन सफलतापूर्वक चल रही है. मशीन द्वारा उत्पादित हरा चारा साधारण हरे चारे की तुलना में 2 से 3 गुना प्रोटीनयुक्त होता है और उस में तकरीबन दोगुनी ऊर्जा होती है. हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे के इस्तेमाल से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है व संपूर्ण पशु आहार में बचत होती है.

मशीन निर्माता का कहना है कि डेरी फार्म, फार्म हाउस व अन्य पशु आहार तैयार करने वाली कंपनियां उन की मशीन इस्तेमाल कर रही हैं. जरूरत के हिसाब से तमाम साइजों में मशीनें मौजूद हैं.

अधिक जानकारी के लिए किसान दिल्ली कार्यालय के फोन नंबर 011-22455993, गाजियाबाद कार्यालय के फोन नंबर 0120-7100201 और मोबाइल नंबर 9953150352 पर संपर्क कर सकते हैं.

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