Goat Farming: भारत के गांवों में गरीब तबके के लाखों लोग पिछले कई दशकों से जैसेतैसे बकरीपालन (Goat Farming) कर के अपने परिवारों का पेट पालते रहे हैं. कई सालों तक बकरीपालन (Goat Farming) करने के बाद भी गरीबों की माली हालत में रत्ती भर भी सुधार नहीं हो पाता है.
आज बकरीपालन एक बड़ा कारोबार बन चुका है. अगर बकरीपालन करने वाले व्यावसायिक तरीके से गोट फार्मिंग (बकरीपालन) करें तो बकरियों की संख्या और आमदनी दोनों में लगातार इजाफा हो सकता है. इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर बकरीपालन शुरू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की बकरीपालन योजनाओं और अनुदान का लाभ भी लिया जा सकता है.
इस कारोबार को शुरू करने से पहले यह जानना और समझना जरूरी है कि व्यावसायिक बकरीपालन क्या है? इस में कितनी लागत आएगी? कितना मुनाफा होगा? सरकार की ओर से क्या मदद मिलती है? बकरीपालन में 100 से 1000 बकरियों को 1 ही बाड़े में रखा जा सकता है और बड़े नाद में सभी को एकसाथ खाना खिलाया जाता है. यह तरीका मुरगीपालन यानी पोल्ट्री फार्म की तरह ही होता है.
घर में 5-7 बकरियां पालने और बकरियों का व्यावसायिक रूप से पालन करने में फर्क है. अगर 1 परिवार कम से कम 100 बकरियों का पालन करे तो उस परिवार के 6-8 लोगों को काम मिलेगा और आमदनी भी बढ़ेगी.
गौरतलब है कि भारत में मांस की मांग करीब 80 लाख टन है, जबकि 60 लाख टन का ही उत्पादन हो पाता है. इस में बकरी के मांस की खपत 12 फीसदी ही है. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि बकरीपालन का बाजार कितना खाली है.
पशु वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र नाथ बताते हैं कि गोट फार्मिंग की छोटी यूनिट में 20 बकरियां और 1 बकरा होते हैं, जबकि बड़ी यूनिट में 40 बकरियां और 2 बकरे होते हैं. लोकल किस्म की बकरी 1 साल में 2 बार 2-2 बच्चे देती है. कुछ बकरियां 3-4 बच्चे भी देती हैं. इस हिसाब से 20 बकरियों वाली यूनिट से 1 साल में कम से कम 80 बच्चे मिल सकते हैं. 1 बकरे या बकरी की कीमत कम से 4000 रुप्ए होती है. इस लिहाज से 80 बकरेबकरियों की कीमत 320000 रुपए होगी. 1 यूनिट की बकरियों के चारे, दवा व टीकों आदि पर साल में करीब 1 लाख रुपए खर्च होते हैं. इस तरह 1 यूनिट से कम से कम ढाई लाख रुपए के करीब सालाना कमाई होती है.
पिछले 12 सालों से बकरीपालन कर के अच्छीखासी कमाई करने वाले पटना जिले के नौबतपुर गांव के मनोज बताते हैं कि इस व्यवसाय की सब से बड़ी खासीयत यह है कि बाढ़ या सूखा जैसी आपदा का इस पर खास असर नहीं पड़ता. इस के अलावा अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर बकरियों को बेचा जा सकता है. बकरों व बकरियों को कभी भी कहीं भी बेचा जा सकता है. कई मौकों पर तो बकरियों की मुंहमांगी कीमतें मिलती हैं.
प्रोफेशनल तरीके से बकरीपालन शुरू करने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लेना जरूरी है. किसी की सुनीसुनाई बातों में फंस कर इस काम को शुरू नहीं करें. बकरियों की 1 छोटी यूनिट के लिए 300 वर्गमीटर जगह और करीब 1 लाख रुपए की जरूरत होती है. बकरियों को रखने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर बांस की जमीन बना ली जाती है. बकरीपालन वाली जगह पर पानी का जमाव नहीं होना चाहिए और जगह हवादार होनी चाहिए. इस कारोबार को समझने के बाद बजट और योजना बना कर ही काम शुरू करना बेहतर होगा.