मधुमक्खी अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोती हैं. ये इतनी मेहनती होती हैं कि पूछो मत… बेचारी एक बूंद शहद के लिए दूरदूर तक उड़ती हैं. आजकल तो फिर भी मधुमक्खी कम हो गई हैं, पर पहले मधुमक्खियों के छत्ते जगहजगह पेड़ों पर, दीवारों पर लटके मिल जाते थे.

आप के मन में भी उस समय कुछ सवाल आए होंगे, जब इन छत्तों को देखा होगा. चलिए, आज रोचक तथ्यों के माध्यम से मधुमक्खी से जुड़ी हर जानकारी से रूबरू कराते हैं :

* मधुमक्खियों की 20,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं, लेकिन इन में से सिर्फ 5 प्रजातियां ही शहद बना सकती हैं.

* एक छत्ते में 20 हजार से 60 हजार मादा मधुमक्खियां, कुछ सौ नर मधुमक्खियां और 1 रानी मधुमक्खी होती है. इन का छत्ता मोम से बना होता है, जो इन के पेट की ग्रंथियों से निकलता है.

* मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी कीट है, जिस के द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है.

* केवल मादा मधुमक्खी ही यानी वर्कर मधुमक्खियां शहद बना सकती हैं और डंक मार सकती हैं. नर मधुमक्खी तो केवल रानी के साथ सैक्स करने के लिए पैदा होती हैं.

* किसी आदमी को मारने के लिए मधुमक्खी के 100 डंक काफी हैं.

* मधुमक्खी शहद को पहले ही पचा देती है, इसलिए इसे हमारे खून तक पहुंचने में केवल 20 मिनट लगते हैं.

* मधुमक्खी 24 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ती है और एक सैकंड में 200 बार पंख हिलाती है. मतलब, हर मिनट 12,000 बार.

* कुत्तों की तरह मधुमक्खियों को भी बम ढूंढ़ना सिखाया जा सकता है. इन में 170 तरह के सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते हैं, जबकि मच्छरों में सिर्फ 79.

* मधुमक्खी फूलों की तलाश में छत्ते से 10 किलोमीटर दूर तक चली जाती हैं. यह एक बार में 50 से 100 फूलों का रस अपने अंदर इकट्ठा कर सकती है. इन के पास एक एंटिना टाइप छड़ी होती है, जिस के जरीए ये फूलों से ‘नैक्टर’ चूस लेती है.

इन के पास 2 पेट होते हैं. कुछ नैक्टर तो एनर्जी देने के लिए इन के मेन पेट में चला जाता है और बाकी इन के दूसरे पेट में स्टोर हो जाता है. फिर आधे घंटे बाद ये इस का शहद बना कर मुंह के रास्ते बाहर निकाल देती हैं. इसे कुछ लोग उलटी भी कहते हैं.

(नोट: नैक्टर में 80 फीसदी पानी होता है, मगर शहद में केवल 18-20 फीसदी पानी होता है.)

* 1 किलोग्राम शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग 40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और 90,000 मील उड़ना पड़ता है. यह धरती के 3 चक्कर लगाने के बराबर है.

* पूरे साल मधुमक्खियों के छत्ते के आसपास का तापमान 33 डिगरी सैल्सियस रहता है. सर्दियों में जब तापमान गिरने लगता है, तो ये सभी आपस में बहुत नजदीक हो जाती हैं, ताकि गरमी बनाई जा सके. गरमियों में ये अपने पंखों से छत्ते को हवा देती हैं. आप कुछ दूरी पर खड़े हो कर इन के पंखों की ‘हम्म’ जैसी आवाज सुन सकते हैं.

* एक मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में चम्मच के 12वें हिस्से जितना ही शहद बना पाती है. इन की जिंदगी 45-120 दिन की होती है.

* नर मधुमक्खी सैक्स करने के बाद मर जाती है, क्योंकि सैक्स के आखिर में इन के अंडकोष फट जाते हैं.

* नर मधुमक्खी यानी ड्रोंस का कोई पिता नहीं होता, बल्कि सीधा दादा या माता होती है. क्योंकि ये अनफर्टिलाइज्ड एग्स से पैदा होते हैं. ये वो अंडे होते हैं, जो रानी मधुमक्खी बिना किसी नर की सहायता के खुद अकेले पैदा करती है, इसलिए इन का पिता नहीं होता, केवल माता होती है.

* शहद में ‘फ्रक्टोज’ की मात्रा ज्यादा होने की वजह से यह चीनी से भी 25 फीसदी ज्यादा मीठा होता है.

* शहद हजारों साल तक भी खराब नहीं होता. यह एकमात्र ऐसा फूड है, जिस के अंदर जिंदगी जीने के लिए जरूरी सभी चीजें पाई जाती हैं.

* हमें जीने के लिए 84 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जबकि शहद में 83 पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. बस एक तत्त्व नहीं मिलता और वह है वसा. इस के बिना हम सांस ली गई औक्सीजन का भी प्रयोग नहीं कर सकते.

* यह अकेला ऐसा भोजन भी है, जिस के अंदर ‘पिनोसेम्ब्रिन’ नाम का एंटीऔक्सीडैंट पाया जाता है, जो दिमाग की गतिविधियां बढ़ाने में सहायक है.

* रानी मधुमक्खी पैदा नहीं होती, बल्कि यह बनाई जाती है. यह 3-4 दिन की होते ही सैक्स करने के लायक हो जाती है. ये नर मधुमक्खी को आकर्षित करने के लिए हवा में ‘फैरोमोन’ नाम का कैमिकल छोड़ती है, जिस से नर भागा चला आता है, फिर ये दोनों हवा में सैक्स करते हैं.

* रानी मधुमक्खी की उम्र 3 साल तक हो सकती है. यह छत्ते की अकेली ऐसी मैंबर है, जो अंडे पैदा करती है.

* यह सर्दियों में बहुत बिजी हो जाती है, क्योंकि इस समय छत्ते में मधुमक्खियों की जनसंख्या ज्यादा हो जाती है.

* ये जिंदगी में एक ही बार सैक्स करती है और अपने अंदर इतने स्पर्म इकट्ठा कर लेती है कि फिर उसी से पूरी जिंदगी अंडे देती है. यह एक दिन में 2,000 अंडे दे सकती है. मतलब, हर 45 सैकंड में एक.

* 28 ग्राम शहद से मधुमक्खी को इतनी ताकत मिल जाती है कि वह पूरी धरती का चक्कर लगा देगी.

* धरती पर मौजूद सभी जीवजंतुओं में से मधुमक्खियों की भाषा सब से कठिन है. साल 1973 में  ‘कार्ल वोन फ्रिच’ को इन की भाषा ‘द वागले डांस’ को सम  झने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था.

* एक छत्ते में 2 रानी मधुमक्खी नहीं रह सकतीं, अगर रहेंगी भी तो केवल थोड़े समय के लिए. क्योंकि जब 2 रानी मधुमक्खी आपस में मिलती हैं, तो वे दोस्ती करने के बजाय एकदूसरे पर हमला करना पसंद करती हैं और यह तब तक जारी रहता है, जब तक एक की मौत न हो जाए.

अगर मधुमक्खियां धरती से खत्म हो जाएं तो…

रानी मधुमक्खी पैदा क्यों नहीं होती, यह बनाई क्यों जाती है?

वर्कर मधुमक्खियां मौजूदा रानी मक्खी के अंडे को फर्टिलाइज कर के मोम की 20 कोशिकाएं तैयार करती है. फिर युवा नर्स मधुमक्खियां, रानी के लार्वा से तैयार एक विशेष भोजन, जिसे ‘रौयल जैली’ कहा जाता है, की मदद से मोम के अंदर कोशिकाएं बनाती है. ये प्रकिया तब तक जारी रहती है, जब तक कोशिकाओं की लंबाई 25 मिलीमीटर तक न हो जाए. कोशिकाएं बनने की प्रकिया के 9 दिन बाद ये मोम की परत से पूरी तरह ढक दी जाती है. आगे चल कर इसी से रानी मधुमक्खी तैयार होती है.

यदि छत्ते की रानी मधुमक्खी मर जाए, तो क्या होगा?

रानी मधुमक्खी लगातार एक खास तरह का कैमिकल ‘फैरोमोंस’ निकालती रहती है. जब यह मर जाती है, तो काम करने वाली मधुमक्खियों को इस की महक मिलनी बंद हो जाती है, जिस से उन्हें पता चल जाता है कि रानी या तो मर गई या फिर छत्ता छोड़ कर चली गई. रानी मधुमक्खी के मरने से पूरे छत्ते का विनाश हो सकता है, क्योंकि यदि ये मर गई तो फिर नए अंडे कौन पैदा करेगा. इस की मौत के बाद काम करने वाली मधुमक्खियों को सिर्फ 3 दिन के अंदर कोशिका बना कर नई रानी मक्खी बनानी पड़ती है.

यदि धरती की सारी मधुमक्खी खत्म हो जाएं तो क्या होगा?

अगर ऐसा हुआ, तो मानव जीवन भी धीरेधीरे खत्म हो जाएगा, क्योंकि धरती पर मौजूद 90 फीसदी खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है. बादाम, काजू, संतरा, पपीता, कपास, सेब, कौफी, खीरा, बैगन, अंगूर, कीवी, आम, भिंडी, आड़ू, नाशपाती, मिर्च, स्ट्राबेरी, किन्नू, अखरोट, तरबूज आदि का परागन मधुमक्खी द्वारा होता है, जबकि गेहूं, मक्का और चावल का परागण हवा द्वारा होता है. इन के मरने से 100 में से 70 फसल तो सीधे तौर पर नष्ट हो जाएंगी. यहां तक कि घास भी नहीं उग पाएगी.

महान वैज्ञानिक ‘अल्बर्ट आइंस्टीन’ ने भी कहा था कि अगर धरती से मधुमक्खियां खत्म हो गईं, तो मानव प्रजाति ज्यादा से ज्यादा 4 साल ही जीवित रहेगी.

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