Goat Farming : बकरी फार्म की सफलता इस बात पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है कि फार्म में बकरी के बच्चों द्वारा मां का दूध छोड़ने से पहले बकरी के बच्चों की मृत्यु दर कितनी है. ऐसा देखा गया है कि दूध छुड़वाने की उम्र से पहले मृत्यु दर करीब 7 से 51 फीसदी तक होती है. इसलिए यह माना जा सकता है कि फार्म में जितनी कम मृत्यु दर हो, उतना अच्छा और लाभकारी फार्म होगा. यह भी पाया गया है कि सब से ज्यादा बकरी के बच्चों की मृत्यु उन के जन्म के पहले व दूसरे दिन होती है.
निम्न वजहों से बकरी अपने बच्चों को छोड़ सकती है:
* कभीकभी ऐसा होता है कि बकरी अपने नवजात बच्चे को जन्म के 24 घंटे के भीतर ही छोड़ देती है. ऐसा इस कारण से भी हो सकता है कि बकरी ने पहली बार बच्चा दिया हो और उसे बच्चों को दूध पिलाने का कोई तजरबा न हो.
* कभीकभी बकरी बच्चों को इसलिए भी दूध पिलाना छोड़ देती है, क्योंकि दूध पिलाते समय उसे गुदगुदी होती है.
* कभी ऐसा भी होता है कि बकरी के थन में किसी प्रकार की चोट होती है, जिस के कारण वह दूध नहीं पिलाना चाहती है.
* एक कारण यह भी हो सकता है कि बकरी के थनों में दूध का उत्पादन ही नहीं हो रहा हो.
* यह भी पाया गया है कि जब बकरी में दूध के उत्पादन की ताकत कम हो और वह 2 या ज्यादा बच्चों को जन्म दे, तो वह कुछ बच्चों को दूध पिलाना छोड़ देती है.
* कभीकभी बच्चे बहुत कमजोर पैदा होते हैं और उन का जन्म के समय वजन 1 किलोग्राम से भी कम होता है, लिहाजा उन की मौत हो जाती है.
* यही नहीं वे बच्चे भी मर जाते हैं, जिन की मां की मौत किसी वजह से हो गई हो.
* थनों की बीमारी जिसे मेस्टाइटिस या थनैला रोग कहते हैं की वजह से भी बकरी के दूध का उत्पादन कम हो सकता है. ऐसे में बच्चों को दूध नहीं मिल पाता है.
अब कारण कोई भी हो, यदि बच्चों को उन की मां का दूध नहीं मिलता है, तो वे लाचार हो जाते हैं. इन बच्चों के लिए यह बहुत जरूरी है कि उन को कृत्रिम रूप से दूध पिलाया जाए ताकि उन के जीवन की रक्षा की जा सके. यदि 1 या 2 ही ऐसे लाचार बकरी के ही बच्चे हों, तो उन को दूध पिलाने के लिए इनसानी बच्चों की दूध की बोतल इस्तेमाल की जा सकती है.
व्यावसायिक रूप से चलने वाले बकरी के फार्म में ऐसे बच्चों की संख्या ज्यादा हो सकती है, जिन को उन की मां दूध नहीं पिला पाती. ऐसे बच्चों के लिए दूध पिलाने वाली मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस मशीन की मदद से एकसाथ 6 बच्चों को दूध पिला सकते हैं. इस मशीन के बीच में एक घेरा बना हुआ होता है, जो 6 अलगअलग खानों से जुड़ा होता है. जब हम दूध की एक तय मात्रा को मशीन के केंद्र पर स्थित खाने में उड़ेलते हैं, तो वह दूध स्वतंत्र रूप से 6 बराबर हिस्सों में बंट जाता है. इन 6 खानों से निप्पलें जुड़ी होती हैं और जब बकरी का बच्चा उन को चूसता है, तो उस खाने में पहुंचा हुआ दूध उस के हिस्से में आ जाता है. इस तरह बहुत ही कम समय में 6 बच्चों के ग्रुप को दूध पिलाया जा सकता है.
बकरी के बच्चों को शुरुआत में इस मशीन के पास ले जाना पड़ता है, जिस के बाद उन की ट्रेनिंग हो जाती है और वे खुद ही दूध पीने के लिए मशीन के पास चले आते हैं.
यह एक बहुत ही साधारण मशीन है, जिस का इस्तेमाल बकरी फार्म में करना बहुत ही आसान है. इस की मदद से बहुत ही कम मेहनत से बकरी के बच्चों को दूध पिलाया जा सकता है और उन की जान को बचाया जा सकता है. इस्तेमाल के बाद मशीन व निप्पलों की सफाई का खयाल रखना जरूरी है.
इस के अलावा बकरियों को चारा खिलाने की एक बेलनाकार मशीन भी होती है. इस में हरे चारे को या भूसे को आसानी से भरा जा सकता है. इस की बनावट ऐसी है कि जो भी चारा बकरियों द्वारा खा लिया जाता है, उस की जगह ऊपरी भाग में मौजूद चारा ले लेता है.
बकरियों का समूह जिस में छोटी या बड़ी सभी प्रकार की बकरियां हो सकती हैं, बेहद आसानी से मशीन के चारों ओर खड़ी हो कर चारे को खा सकती हैं. इस मशीन का खास फायदा यह है कि बहुत कम जगह पर ज्यादा बकरियों को आसानी से चारा या दाना खिलाया जा सकता है. पूरा चारा इस मशीन के अंदर ही भरा होता है, बकरियों या उन के बच्चों के पैरों के नीचे दब कर चारा बर्बाद नहीं हो पाता है. इस प्रकार कीमती चारे को खराब होने से बचाया जा सकता है.
बकरियां चारे को नोचनोच कर खाना पसंद करती हैं. यह इस मशीन की बनावट के कारण आराम से मुमकिन है. जब बकरियां चारा मशीन के ऊपरी भाग से चारा खींचती हैं, तो उस में से नीचे गिरने वाला चारे का हिस्सा मशीन के निचले भाग में बनी हुई गोलाकार ट्रे में ही गिर जाता है. वहां से छोटी बकरियां आसानी से उसे उठा लेती हैं. इस प्रकार अच्छाखासा चारा बरबाद होने से बच जाता है. इस गोलाकार ट्रे में हम बकरियों का दाना भी डाल सकते हैं, जिसे बकरियां आसानी से खा सकती हैं.
अगर इन मशीनों को बकरियों के पालन में इस्तेमाल किया जाए तो एक तरफ बकरियों के बच्चों की मृत्यु दर को घटाया जा सकता है और दूसरी ओर कम जगह में ज्यादा बकरियों का आसानी से पालन किया जा सकता है.