मुरगीपालन 3 मकसद के लिए किया जाता है, पहला अंडे पैदा करने के लिए, दूसरा मीट के लिए और तीसरा चूजे निकालने वाले अंडों के लिए. मुरगी के लिए 21-25 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान वैज्ञानिक तौर पर माकूल माना गया है. यह माकूल तापमान साल में कुदरती तौर पर केवल 4 महीने यानी अक्तूबरनवंबर और फरवरीमार्च में ही मिल पाता है. मुरगी 21-25 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान पर अपनी पूरी कूवत से अच्छा प्रोडक्शन देती है.
हमारे देश में 3 तरह की आबोहवा होती है. सूखी गरमी (ड्राई समर) वाली आबोहवा में तापमान 43 डिगरी सैंटीग्रेड से ले कर 46 डिगरी सैंटीग्रेड तक होता है और मौसम में नमी 30 फीसदी से कम होती है. गरम और गीली आबोहवा (हौट ऐंड ह्यूमिड सीजन) में तापमान 35 डिगरी सैंटीग्रेड से कर 44 डिगरी सैंटीग्रेड के बीच रहता है और मौसम में नमी 80 फीसदी तक होती है. सर्दी (विंटर) वाली आबोहवा में तापमान 0 डिगरी सैंटीग्रेड से कर 10 डिगरी सैंटीग्रेड तक होता है. इन सभी आबोहवाओं में मुरगी पालना मुश्किल काम हो जाता है. इस समस्या से निबटने के लिए ऐनवायरमैंटली कंट्रोल शैड एक कारगर तकनीक साबित होती है.
मुरगियों को पूरे साल एकजैसी माकूल खुशनुमा आबोहवा यानी 21-25 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान ऐनवायरमैंटली कंट्रोल शैड बना कर दिया जा सकता है. ऐनवायरमैंटली कंट्रोल शैड को ईसी शैड या टनल वैंटिलेशन सिस्टम यानी सुरंग वैंटिलेशन भी कहते हैं. ईसी शैड में मुरगी को बहुत सही ऐनवायरमैंट (माकूल आबोहवा) मिलता है, जिस से मुरगी अपनी पूरी कूवत से अंडा उत्पादन कर पाती है.
ईसी शैड को पूरी तरह एयर टाइट पैकिंग कर के पैक करते हैं. इस में हवा एक तरफ से अंदर घुसती है. ईसी शैड में तापमान आसानी से कंट्रोल हो जाता है. जब मईजून के दौरान बाहर का तापमान 48 डिगरी सैंटीग्रेड होता है, तब ईसी शैड के अंदर का तापमान 24-27 डिगरी सैंटीग्रेड होता है. सर्दी के मौसम में जब बाहर का तापमान 0-5 डिगरी सैंटीग्रेड होता है, तब ईसी शैड के अंदर का तापमान 15-20 डिगरी सैंटीग्रेड होता है. सर्दी के मौसम में केवल 1-2 एग्जास्ट फैन टाइमर पर चलते हैं, ताकि शैड के अंदर की गैस (अमोनिया) बाहर निकलती रहे.
ईसी शैड में एक तरफ कूलिंग पैड लगा होता है वहीं दूसरी तरफ एग्जास्ट फैन लगे होते हैं. शैड का बाकी हिस्सा पूरी तरह 150-200 जीएसएम के सिल्पोलिन कर्टेन (परदा) से एयर टाइट बंद होता है. ताजीठंडी हवा केवल कूलिंग पैड एग्जास्ट से हो कर शैड के अंदर घुसती है और फैन के द्वारा ही बाहर निकलती है. अच्छा रखरखाव करने पर सिल्पोलिन कर्टेन 5-7 सालों तक चलते हैं.
ईसी शैड में बीमारी का भी कम प्रकोप होता है और इलाके में बदबू भी नहीं फैलती है. इस से अंडा पैदा करने में खर्च भी कम आता है. ईसी शैड की लंबाई 400 फुट, चौड़ाई 30 फुट और ऊंचाई 14-16 फुट रखते हैं. हर
60 स्क्वायर फुट कूलिंग पैड पर 54 इंच व्यास वाला 1 एग्जास्ट फैन लगाया जाता है, यानी 400 फुट लंबे, 30 फुट चौड़े व 16 फुट ऊंचे ईसी शेड में कुल 10 एग्जास्ट फैन लगाते हैं और कूलिंग पैड का एरिया 600 स्क्वायर फुट रखा जाता है. शैड के अंदर हवा का फ्लो 400-450 फुट प्रति मिनट होना चाहिए.
पोल्ट्री फार्म के आसपास के इलाके में पोल्ट्री फार्म की वजह से बदबू पैदा हो जाती है. इस से आसपास के लोगों को दिक्कत होने लगती है और वे सरकारी बाबुओं की मदद से पोल्ट्री फार्म बंद कराने की जुगाड़ में लग जाते हैं.
अगर मुरगीपालन ऐनवायरमैंटली कंट्रोल शैड में किया जाता है तो आसपास के इलाके में बदबू की समस्या नहीं होती है और अगर वैजीटेरियन पेलेट फीड यानी फीड में केवल मक्का और सोया का इस्तेमाल करते हैं, तो उस की वजह से बदबू पैदा होने के आसार बिलकुल खत्म हो जाते हैं.
आजकल पोल्ट्री फीड में एनीमल प्रोटीन (बोन/फिश/मीट मील वगैरह) का कम इस्तेमाल होने लगा है. बदबू को कम करने के लिए फीड में अमोनिया बाइंडर भी मिलाया जाता है. अमोनिया बाइंडर मिलाने की समस्या कम हो जाती है.
पोल्ट्री फार्म में बदबू कम करने के लिए समयसमय पर वहां चूना डालते रहने से जगह सूखी रहती है, इस से मक्खियां नहीं पैदा होती हैं. कोशिश यह करनी चाहिए कि मुरगीखाने में 40-60 फीसदी से ज्यादा नमी न होने पाए.
दाना डालने से पहले बरतन को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए. समयसमय पर शैड के फर्श और पिंजरों पर अच्छी कंपनी के डिसइंफैक्टेंट्स व पब्लिक हैल्थ इंसैक्टिसाइड का तय खुराक में तय समय पर स्प्रे करते रहने से बदबू की समस्या कम होती है.
पीने के लिए आरओ का पानी निप्पल सिस्टम से देने से पानी की बचत होती है. मरी हुई मुरगियों को अच्छी तरह जला दें या गहरे गड्ढे में दबा दें.
पोल्ट्री शैड साइंटिफिक स्टैंडर्ड के मुताबिक ही बनाना चाहिए. सर्दी के मौसम में शैड को गरम रखने और गरमी के मौसम में ठंडा रखने के लिए शैड की छत पर 6 इंच मोटा थैच (घास का छप्पर) डाल देना चाहिए. बरसात का पानी शैड के अंदर नहीं घुसना चाहिए. कमर्शियल लेयर को केज और डीपलिटर सिस्टम से पालते हैं, जबकि कमर्शियल ब्रायलर को डीपलिटर सिस्टम से पालते हैं. जंगली जानवरों, कुत्तेबिल्ली, नेवला व सांप वगैरह से मुरगियों के बचाव के लिए शैड की जाली काफी मजबूत होनी चाहिए.