नई दिल्ली : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने नई दिल्ली में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन की उपस्थिति में ‘रिपोर्ट फिश डिजीज’ नाम से एक एंड्रायड आधारित मोबाइल एप लौंच किया.
इस दौरान जेएन स्वैन, सचिव, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, डा. अभिलक्ष लिखी, ओएसडी, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और डा. हिमांशु पाठक, सचिव, डीएआरई एवं महानिदेशक, आईसीएआर, नई दिल्ली भी मौजूद थे.
“डिजिटल इंडिया” के दृष्टिकोण में योगदान करते हुए, ‘रिपोर्ट फिश डिजीज’ को आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो औफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएफजीआर), लखनऊ द्वारा विकसित किया गया है, इसीलिए जलीय पशु रोगों के लिए राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम के तहत लौंच किया गया है.
मत्स्यपालन विभाग ने पीएमएमएसवाई योजना के तहत एनएसपीएएडी के दूसरे चरण के कार्यान्वयन के लिए 3 साल की अवधि के लिए 33.78 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. इस एप के लौंच के साथ एनएसपीएएडी पारदर्शी रिपोर्टिंग के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने में सक्षम हो गया. एप कनेक्ट करने के लिए एक सेंट्रल मंच होगा और मछली किसानों, क्षेत्रस्तरीय अधिकारियों और मछली स्वास्थ्य विशेषज्ञों को निर्बाध रूप से एकीकृत करेगा. किसानों के सामने आने वाली बीमारी की समस्या, जिस पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था या रिपोर्ट नहीं की जाती थी, वह विशेषज्ञों तक पहुंच जाएगी और कम समय में समस्या का समाधान कुशल तरीके से किया जाएगा.
यह होगा लाभ
इस एप का उपयोग करने वाले किसान सीधे जिला मत्स्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों से जुड़ सकेंगे. किसान और हितधारक इस एप के माध्यम से अपने खेतों पर फिनफिश, झींगा और मोलस्क की बीमारियों की स्वयं रिपोर्टिंग कर सकते हैं, जिस के लिए हमारे वैज्ञानिकों/विशेषज्ञों द्वारा किसानों को उसी एप के माध्यम से वैज्ञानिक तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी.
किसानों को प्रदान की जा रही प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और वैज्ञानिक सलाह से बीमारियों के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी और देश में मछली किसानों द्वारा बीमारी की रिपोर्टिंग को और मजबूत किया जाएगा.