पशुपालक बीमार पशु को समय रहते अन्य पशुओं  से अलग कर दें जिससे दूसरे पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं, इसलिए पशुपालकों और किसानों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए :

* मवेशी को प्रतिदिन ठीक समय पर भरपेट चारदाना दिया जाए. उन की खुराक में सूखे चारे के साथ हरा चारा खली में दाना और थोड़ा नमक शामिल करना जरूरी है.

* साफ बरतन में ताजा पानी भर कर मवेशी को जरूरत के मुताबिक पीने का मौका दें.

* मवेशी के रहने की जगह साफ और ऊंची जगह पर बनाएं. उस में सूरज की रोशनी और हवा के पहुंचने की पूरी गुंजाइश रहे.

* जहां पर पशु रखे गए हैं, वहां की नियमित साफसफाई करें. समयसमय पर वहां रोगाणुनाशक दवा जैसे फिनाइल या दूसरी दवा के घोल से उस की धुलाई करें.

* मवेशियों या दूसरे पशुओं के खिलाने की नाद ऊंची रखें. नाद के नीचे कीचड़ न होने दें.

* गोबर और पशु मूत्र जितना जल्दी हो सके, वहां से हटा दें.

* मवेशियों को प्रतिदिन टहलने का मौका दें.

* मवेशियों के शरीर की सफाई पर भी खासा ध्यान दिया जाए.

* उन के साथ लाड़प्यार भरा बरताव किया जाए.

* मवेशियों में फैलने वाली ज्यादातर संक्रामक बीमारियां स्थानिक होती हैं. ये बीमारियां एक बार जिस जगह पर जिस समय फैलती हैं, उसी जगह पर और उसी समय बारबार फैला करती हैं, इसलिए समय से पहले मवेशियों को टीका लगवाएं. पशुपालन विभाग की ओर से मुहैया रहने पर नाममात्र का शुल्क ले कर यह टीका लगाया जाता है.

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