नई दिल्ली : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने टीकाकरण के जरीए वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त भारत (एफएमडी खुरपरा एवं मुंहपका रोग) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की.
उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है. यह क्षेत्र पशुधन की देखभाल करने वाले किसानों, विशेषकर ग्रामीण परिवारों और महिलाओं की आजीविका में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता, पहुंच और रुचि चिंता का विषय है, जिस के कारण आजीविका में भारी नुकसान हो रहा है. बैठक में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी उपस्थित थीं.
बैठक में भारत को वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त बनाने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई. बैठक के दौरान यह बताया गया कि देश में, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने के लिए सभी आकलन किए गए हैं, जहां टीकाकरण अग्रिम चरण में है, उन्हें एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित करने के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है. इस से निर्यात के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुओं में होने वाले रोग, पशुधन क्षेत्र के विकास में एक गंभीर बाधा है. अकेले एफएमडी के कारण, प्रति वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है. इस बीमारी के नियंत्रण और उन्मूलन के परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, लाखों किसानों की आजीविका सुदृढ़ होगी और उन की आय में वृद्धि होगी. इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी.
भारत सरकार ने 2 प्रमुख बीमारियों एफएमडी और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के उद्देश्य से टीकाकरण के लिए एनएडीसीपी की प्रमुख योजना शुरू की. कार्यक्रम के तहत मवेशियों और भैंसों में एफएमडी की रोकथाम के लिए 6 मासिक टीकाकरण भेड़ और बकरियों में शुरू किया जाता है. देश के 21 राज्यों में पशुओं में एफएमडी की रोकथाम हेतु टीकाकरण का चौथा दौर पूरा हो चुका है. अब तक कुल मिला कर लगभग 82 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं. कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में राउंड 5 पहले ही पूरा हो चुका है.
कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के माध्यम से देश से एफएमडी के उन्मूलन के उद्देश्य को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2030 है. इस समय टीकाकरण के माध्यम से मिलने वाले लाभों को सुरक्षित और कारगर बनाने के लिए एफएमडी मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में संबंधित राज्यों के साथसाथ पशुओं की आवाजाही का पता लगाने, रोग की निगरानी, जैव सुरक्षा संबंधी उपायों आदि जैसे क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है.
इस पहल को तेज करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर जोनिंग की अवधारणा को लागू करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के क्रम में समर्थन और मार्गदर्शन दिया है. जोनिंग की अवधारणा और जोन को एफएमडी मुक्त बनाए रखने की पूर्व शर्तों और जरूरतों के बारे में चर्चा की गई.
यह देखा गया कि इस के लिए न केवल संबंधित राज्यों के साथ गहन सूक्ष्म नियोजन की आवश्यकता है, बल्कि टीकाकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के अंतिम उद्देश्य को निर्धारित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप की भी आवश्यकता है.
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इस बृहद क्रियाकलाप में राज्यों को गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है. उन्होंने यह भी बताया कि यह गर्व की बात है कि सभी पशु टीके आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित किए गए हैं और घरेलू स्तर पर उत्पादित किए जा रहे हैं. भारत अब अन्य चुनिंदा एशियाई देशों को टीके निर्यात करने में सक्षम है.
विभाग की ओर से राज्य सरकारों को सहायक उपकरण, टीका लगाने वालों को पारिश्रमिक, जागरूकता पैदा करने और अपेक्षित कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना आदि के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. एफएमडी टीकाकरण की प्रभावकारिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की निगरानी अत्यधिक वैज्ञानिक तरीके से सीरो मौनिटरिंग और सीरो सर्विलांस के माध्यम से की जाती है, जो दुनिया में पशुधन में सब से बड़ा अभियान है.
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह के निर्देशों के तहत एफएमडी के खिलाफ चरने वाले भेड़ और बकरियों के टीकाकरण का निर्णय देश की ऐसी सभी आबादी तक बढ़ा दिया गया है. टीके की आपूर्ति शुरू हो गई है और लद्दाख ने पहले ही झुंडों का टीकाकरण शुरू कर दिया है. यह सरकार द्वारा प्रतिबद्ध सौ दिवसीय कार्ययोजना में से एक है. अतिसंवेदनशील और चरने वाले झुंडों में टीकाकरण की बारीकी से निगरानी की जाती है. इस का एक कारण यह भी है कि कई क्षेत्रों में भेड़बकरियों को पर्यावरण में संक्रामक वायरस की अनुपस्थिति स्थापित करने के लिए प्रहरी जानवरों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना है.
मंत्री राजीव रंजन ने प्रतिभागियों से एफएमडी मुक्त भारत की इस चुनौती को स्वीकार करने की अपील करते हुए पशुपालन क्षेत्र के गैरसरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों से एफएमडी मुक्त भारत के लक्ष्य में योगदान देने को कहा. उन्होंने पशुओं में टीकाकरण की सख्त निगरानी और पर्यवेक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला.