किसानों की आमदनी में इजाफा करने में पशुपालन पूर्व के समय से ही अहम भूमिका निभाता रहा है और वर्तमान समय में कृषि विज्ञान व खेती से जुड़े दूसरे घटक किसानों को माली रूप से मजबूत करने के लिए दृढ़संकल्पित हैं.

सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए बहुत सी योजनाएं लागू कर रही है. किसानों की आय समृद्वि के लिए जैविक खेती, नवीनतम कृषि यंत्रों का उपयोग, फसल अवशेष प्रबंधन, संतुलित उर्वरक उपयोग, मिट्टी जांच, उन्नतशील प्रजातियों के बीजों के उपयोग, जैविक कीटनाशकों का उपयोग व तकनीकियों के प्रसार के लिए ज्यादा से ज्यादा कृषि गोष्ठियों, कृषि प्रदर्शनी, प्रशिक्षणों एवं प्रदर्शनों के जरीए किसानों को जागरूक किया जा रहा है.

ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.

बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म के लिए अच्छे द्विकाजी नस्ल की जानकारी की कमी में बैकयार्ड पोल्ट्री से छोटे किसान या महिला किसानों को समुचित लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है.

ऐसे में भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान की शाखा हैदराबाद द्वारा विकसित नस्ल वनराजा, जो कि छिकाजी नस्ल है, एक बेहतर विकल्प पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए साबित हो सकती है.

इस नस्ल की विशेषताएं:
- यह एक बहुवर्षीय एवं आकर्षक पक्षी है.
- बेहतर रोगप्रतिरोधक क्षमता.
- निम्न आहार उपलब्धता पर अच्छी बढ़वार.
- देशी मुरगी की अपेक्षा अधिक अंडा उत्पादन.
- वनराजा का मांस स्वादिष्ठ और कम चरबी वाला होता है और टांगें लंबी होने के चलते दूसरे पक्षी से हिफाजत करने मेें माहिर होते हैं.
- वनराजा  फ्री रेंज यानी खुले विचरण में उत्तम प्रदर्शन करते हैं.

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