1   जून को पूरी दुनिया में ‘विश्व दुग्ध दिवस’ का आयोजन किया जाता है. ‘विश्व दुग्ध दिवस’ मनाने की शुरुआत एफएओ द्वारा साल 2001 में की गई थी, ताकि दूध को वैश्विक खाद्य का दर्जा दिलाया जा सके.

नवजात के लिए दूध को सर्वोत्तम आहार माना गया है, क्योंकि दूध में वे सब पोषक तत्त्व मौजूद हैं, जो किसी भी नवजात के पोषण के लिए जरूरी होते हैं.

नवजात ही नहीं, बल्कि सभी आयु वर्ग के लोगों को दूध का उपयोग करते रहना चाहिए, क्योंकि दूध के अंदर 33 प्रकार के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, जो मानव शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं.

वर्तमान में हमारे देश में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 394 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से भी ज्यादा है. भारत का दुग्ध उत्पादन में दुनिया में पहला नंबर है और 20वीं पशु गणना के मुताबिक हमारे देश में साल 2018-19 में दूध का कुल उत्पादन 18.775 करोड़ टन रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 6.5 फीसदी ज्यादा है.

विदेशी व संकर नस्ल की गायों का औसत उत्पादन 7.95 किलोग्राम प्रतिदिन और देशी व अवर्गीकृत गायों का औसत उत्पादन 3.01 किलोग्राम प्रतिदिन रहा, जो पिछले साल की अपेक्षा क्रमश: 8.7 फीसदी और 5.7 फीसदी ज्यादा है.

दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) और गुजरात टौप 5 में हैं और भारत के कुल दूध उत्पादन का 53.1 फीसदी ये 5 राज्य ही पैदा करते हैं.

दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के वैज्ञानिक लगातार नई खोज कर रहे हैं और प्रसार गतिविधियों द्वारा उन को किसानों तक पहुंचा रहे हैं. इसी सिलसिले में सीआईआरसी गौधनवाणी नाम के 10 ह्वाट्सएप ग्रुप बनाए हुए हैं.

इन ग्रुप में पशुपालन से संबंधित नवीनतम जानकारियां रोजाना भेजी जाती हैं. इन ग्रुप का सदस्य बनने के लिए सदस्य बनना चाहने वाले का नाम, ह्वाट्सएप नंबर और पता इस मोबाइल नंबर 9933221103 पर ह्वाट्सएप करना होता है.

‘विश्व दुग्ध दिवस’ पर किसान और पशुपालक भी बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्हीं की कोशिशों से भारत दुनियाभर में दूध उत्पादन में नंबर एक पर है.

अभी भी हमारे देश की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता दुनिया के आंकड़े से कम है, इसलिए हमें इस साल भी पशु की उत्पादकता और दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कोशिश करते रहना है और इस काम में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक आप के साथ हैं. आप अपनी पशुपालन से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए हमारे वैज्ञानिकों से कभी भी सलाह ले सकते हैं.

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