कर्नल हरिश्चंद्र सिह लखनऊ, उत्तरप्रदेश से हैं और 54 वर्ष की उम्र में सैन्य सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2016 में जनपद बाराबंकी से जैविक खेती की शुरुआत की. उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ आयोजित कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में उन्हें बैस्ट फार्मर अवार्ड इन और्गेनिक फार्मिंग अवार्ड से सम्मानित किया गया.

उन की पारिवारिक पृष्ठभूमि का भी इस में योगदान रहा.

कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का उद्देश्य उन फलों, फसलों और सब्जियों को उगाना है, जो स्वास्थ्यवर्धक हों, जिन में कम से कम देखरेख हो, कम से कम लागत लगे और अच्छा मुनाफा हो. इस क्रम में उन्होंने चिया सीड, ड्रैगन फ्रूट, एप्पल बेर, जिमीकंद और कालेबैगनी आलू की खेती से अपने नए शौक की शुरू की. इस में वे काफी हद तक सफल रहे. बाद में उन्होंने अपनी फसलों में केला, लाल गूदे वाले आलू, क्वीनोआ, रामदाना, काले चावल और काले गेहूं आदि को भी सम्मिलित किया.

लगभग 4 साल पहले कर्नल हरिश्चंद्र सिंह के चिया सीड की खेती की प्रशंसा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात कार्यक्रम’ में करते हुए इसे आत्मनिर्भर भारत में एक बड़ा कदम बताया.

स्वास्थ्यवर्धक एवं लाभप्रद फसलों, फलों तथा सब्जियों की जैविक खेती स्वयं करना तथा ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस मुहिम से जोड़ना अब कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का जुनून सा बन गया है. उन्होंने बताया कि साल 2023 में भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘कौफी टेबल बुक’ में मुझे एक प्रगतिशील किसान के रूप में स्थान दिया गया है. यह मेरे लिए गर्व की बात है.

 

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कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का कहना है कि हमारे इस प्रयास में कृषि क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, कृषि विशेषज्ञों, प्रगतिशील कृषकों, पत्र पत्रिकाओं एवं मीडियाकर्मियों का बहुत बड़ा योगदान है, जो हमारे मार्ग दर्शक और प्रेरणास्रोत हैं. इन से प्रेरित हो कर अब मैं अपने जैविक खेती के रकबे को बढ़ा रहा हूं, साथ ही श्रीअन्न और नीबू की खेती भी शुरू कर चुका हूं.

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