उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित दिल्ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित कृषि सम्मान अवार्ड 2024 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कोठडी गांव में जन्मी शुभावरी चौहान ने कम उम्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई. उन की इस उपलब्धि के लिए उन्हें फार्म एन फूड ‘बैस्ट यंग फार्मर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. जानिए उन की जीवन यात्रा:
शुभावरी का जन्म 4 अप्रैल, 2005 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कोठडी गांव में हुआ था. उन के पिता संजय चौहान ने एमसी एग्रीकल्चर से पढ़ाईलिखाई की है और माता ममता चौहान संस्कृत विषय से एमए हैं.
शुभावरी चौहान की जिंदगी में साल 2015 में तब बड़ा बदलाव आया, जब उन्होंने अपने पिता के साथ खेती में सक्रिय रूप से काम करने का निर्णय लिया. साल 2016 से वे पूरी तरह से खेती में जुट गईं. शुरुआती दौर में रासायनिक पैस्टिसाइड का कम उपयोग होता था, लेकिन खरपतवार की समस्या के कारण उन्हें कुछ समय तक रासायनिक पैस्टिसाइड का इस्तेमाल करना पड़ा.
धीरेधीरे उन्हें समझ आया कि रासायनिक पैस्टिसाइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और उन्होंने और्गेनिक खेती को अपनाने का फैसला किया. शुरू में लोग उन का मजाक उड़ाते थे, पर अब उन की फसलें दोगुनी कीमतों पर देश और विदेश में बिक रही हैं.शुभावरी चौहान के पास 25-30 गाएं हैं, जिन्हें वे और्गेनिक चारा खिलाती हैं. उन के दूध और घी की बिक्री अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है. उन की मुख्य फसल गन्ना है, जिसे वे अपने कोल्हू में प्रोसैस कर गुड़ और शक्कर बनाती हैं.
इन उत्पादों की भी देशविदेश में भारी मांग है. इस के अलावा उन के पास आम के बाग हैं, जिन में मल्लिका, आम्रपाली, दशहरी, लंगड़ा, चौसा जैसी किस्मों के आम उगाए जाते हैं, जिन की बिक्री दिल्लीएनसीआर, लुधियाना और छत्तीसगढ़ में होती है. उन का सालाना टर्नओवर तकरीबन 25 लाख रुपए है और वे 25-30 लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं.
शुभावरी चौहान ने सहारनपुर कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग से कई प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं, जिन के कारण उन्हें जिला स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं. 23 दिसंबर, 2023 को उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुरादाबाद में ‘किसान दिवस’ पर राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया था.
शुभावरी चौहान न सिर्फ एक सफल किसान हैं, बल्कि वे अपने पिता के साथ मिल कर ट्रैक्टर से खेतों की जुताई भी करती हैं और कालेज जाने के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करती हैं. वर्तमान में वे अपने गांव से 45 किलोमीटर दूर सहारनपुर मुन्ना लाल गर्ल्स डिगरी कालेज में अपने बीए फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही हैं.
शुभावरी चौहान के काम का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे मिट्टी संरक्षण और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देती हैं. वे अपने खेतों में जल संचयन के लिए बंधों और बांस के पौधों का उपयोग करती हैं, जिस से न केवल मिट्टी का क्षरण रुकता है, बल्कि अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है. इस के साथ ही उन्होंने अपने गांव की सड़कों के किनारे नीम और कनेर के पौधे लगाए हैं, जिस से हवा भी शुद्ध रहती है.
शुभावरी चौहान के जल संरक्षण के प्रयासों के कारण उन्हें अक्तूबर, 2024 में ‘वानी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, जो उन्होंने भारतीय मृदा संरक्षण सोसाइटी से प्राप्त किया. इस के अलावा उन की खेती का एक और अनूठा पहलू यह है कि वे ड्रिप सिंचाई का उपयोग करती हैं, जिस से पानी की बचत होती है और फसलों को पर्याप्त नमी मिलती है.
इस तरह शुभावरी चौहान ने आधुनिक और परंपरागत कृषि विधियों का मिश्रण अपनाते हुए अपनी और अपने गांव की उन्नति की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं. उन के प्रयास, परिवार के सहयोग और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता के उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां वे न केवल माली रूप से मजबूत हुईं, बल्कि अपने गांव के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बनीं.