उम्दा सेब (Apple) की बात की जाए तो देश और विदेश में शिमला और किन्नौर के नाम सब से आगे रहते हैं. किन्नौर का सेब देशविदेश में सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. किन्नौर में कड़ाके की ठंड में पैदा होने वाले सेब (Apple) की सब से ज्यादा मांग रहती है. किन्नौर के बागबानों की खास फसल सेब (Apple) ही है और यह उन की साल भर की मेहनत रहती है. साल भर का खर्चा भी सेब (Apple) की फसल बेचने से ही उठाया जाता है. किन्नौर की अर्थव्यवस्था सेब पर काफी हद तक टिकी हुई है.

अभी तक तो पेड़ों से ही सेब की पैदावार हासिल की जाती रही है, पर अब किन्नौर के बागबान ग्राउंड एप्पल की पैदावार भी करने लगे हैं. यहां के बागबान अब ग्राउंड एप्पल को फसल के रूप में उगाने को आगे आए हैं. किन्नौर के सेब का जिक्र आते ही किसी के भी मुंह में पानी आना लाजिम है. अब किन्नौर के बागबान जमीन के नीचे यानी भूमिगत सेब पैदा कर के देश की मंडियों में तहलका मचाने वाले हैं.

किन्नौर के जागरूक बागबान सत्यजीत ने ग्राउंड एप्पल उगा कर जिले के बागबानों के लिए आय का एक नया जरीया ढूंढ़ निकाला है. सत्यजीत नेपाल से लाए गए इस बीज का किन्नौर में सफल प्रयोग कर चुके हैं व अब इस की कमर्शियल खेती करने लगे हैं. जिले के अन्य जागरूक किसान भी उन से ग्राउंड एप्पल का बीज ले जा कर खेतों में उगाने लगे हैं. अमेरिका से नेपाल होते हुए ग्रांउड एप्पल किन्नौर पहुंचा है.

इस सेब की फसल का लोग किस रूप में और कितना दोहन कर पाते हैं, यह भविष्य बताएगा, पर इतना जरूर है कि बागबान अपने खेतों में ग्राउंड एप्पल की खेती करने को आगे जरूर आए हैं.

पेशे से एडवोकेट सत्यजीत नेगी लंबे समय से बागबानी से भी जुड़े हैं और बागबानी क्षेत्र में तरहतरह से प्रयोग कर चुके हैं. ग्राउंड एप्पल को किन्नौर के बागबानों के बीच सब से पहले लाने का काम भी उन्होंने ही किया है. एक नेपाली से उन्होंने ग्राउंड एप्पल का बीज हासिल किया और इस की खेती करने में सफलता हासिल की.

सत्यजीत नेगी ने सब से पहले इस का परीक्षण मार्च, 2014 में किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ पेवारी और पूवर्नी गांव में अपने खेतों में किया. 7 महीने बाद इस के अच्छे नतीजे सामने आए. इस से प्रोत्साहित हो कर सत्यजीत ने पिछले साल करीब 10 किलोग्राम बीज तैयार करने के साथ 1 क्विंटल ग्राउंड एप्पल भी तैयार किए हैं.

किन्नौर के बागबानों के लिए ग्राउंड एप्पल नई उम्मीद की किरण ले कर आया है और यह नकदी फसल के रूप में पैदा किया जा सकता है. ग्राउंड एप्पल की फसल उगाने का सब से बड़ा फायदा यही है कि इसे पक्षी और बंदरों से ज्यादा नुकसान नहीं होगा. इसे जमीन के नीचे आलू की तरह लगाने से पक्षियों से नुकसान का खतरा नहीं रहता है और यह जानवरों की नजरों से भी बचा रहता है.

सत्यजीत नेगी ने ग्राउंड एप्पल का बीज प्रदेश की बागबान मंत्री विद्या स्टोक्स को भेट किया है, ताकि देश के अन्य क्षेत्रों में ग्राउंड एप्पल की पैदावार की संभावनाओं को तलाशा जा सके. इस में कोई शक नहीं है कि ग्राउंड एप्पल की पैदावार बढ़ने से प्रदेश के अन्य इलाकों के बागबानों को भी ग्राउंड एप्पल की पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. जमीन के नीचे होने की वजह से ग्राउंड एप्पल पर ओलावृष्टि की ज्यादा मार नहीं पड़ेगी. इस के अलावा फसल को मौसम की मार भी ज्यादा नहीं पड़ेगी.

ग्राउंड एप्पल से कई प्रोडक्ट होते हैं तैयार : ग्राउंड एप्पल को वैसे कच्चा खाया जा सकता है, क्योंकि इस का स्वाद अन्य सेबों की तरह मीठा ही है. इस के अलावा ग्राउंड एप्पल से जूस, जैम, जैली व चटनी आदि बनाए जा सकते हैं. ग्राउंड एप्पल को बाजार में नकदी फसल के रूप में भी बेच सकते हैं. इस के बीजों को भी बागबानों को बेचा जा सकता है.

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