नई दिल्ली : अमेरिका और भारत के बीच 6 लंबित डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) विवादों को परस्पर सहमत समाधानों के माध्यम से हल करने के लिए जून, 2023 में लिए गए निर्णय को ध्‍यान में रखते हुए भारत ने अधिसूचना संख्या 53/2023 (कस्टम) के जरीए सेब, अखरोट और बादाम सहित अमेरिकी मूल के 8 उत्पादों पर देय अतिरिक्त शुल्क को वापस ले लिया है.

साल 2019 में अमेरिका के उत्पादों पर एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) शुल्क के अलावा सेब एवं अखरोट में से प्रत्‍येक पर 20 फीसदी और बादाम पर 20 रुपए प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था, जो कि कुछ विशेष स्टील और अल्युमीनियम उत्पादों पर टैरिफ या शुल्क बढ़ाने के अमेरिकी सरकार के संरक्षणवादी उपाय के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में लगाया गया था.

भारत द्वारा अमेरिकी मूल के उत्पादों पर लगाए गए ये अतिरिक्त शुल्क अब वापस ले लिए गए हैं, क्योंकि अमेरिका अपवर्जन प्रक्रिया के तहत स्टील और अल्युमीनियम उत्पादों को अपने यहां बाजार पहुंच प्रदान करने पर सहमत हो गया है. सेब, अखरोट और बादाम पर देय एमएफएन शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है, जो अभी भी अमेरिकी मूल के उत्पादों सहित सभी आयातित उत्पादों पर क्रमशः 50 फीसदी, 100 फीसदी और 100 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से लागू होता है.

इस के अलावा डीजीएफटी ने अपनी अधिसूचना संख्या 5/2023 तारीख 8 मई, 2023 के तहत भूटान को छोड़ सभी देशों से होने वाले आयात पर 50 रुपए प्रति किलोग्राम का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू कर के आईटीसी (एचएस) 08081000 के तहत सेब आयात नीति में संशोधन किया. अत: यह एमआईपी अमेरिका और अन्य देशों (भूटान को छोड़) से आने वाले सेब पर भी लागू होगा. यह उपाय कम गुणवत्ता वाले सेबों की डंपिंग के साथसाथ भारतीय बाजार में होने वाले किसी भी तरह के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण से संरक्षण करेगा.

इस उपाय से देश के सेब, अखरोट और बादाम उत्पादकों पर कोई भी नकारात्मक असर नहीं होगा, बल्कि इस के परिणामस्वरूप सेब, अखरोट और बादाम के प्रीमियम बाजार खंड में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी, जिस से हमारे भारतीय उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर संबंधित बेहतर उत्‍पाद मिलेंगे. अत: अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम भी अन्य सभी देशों की तरह ही समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे.
अमेरिकी सेब और अखरोट के आयात पर अतिरिक्त प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए जाने से अन्य देशों को लाभ होने के कारण अमेरिकी सेब की बाजार हिस्सेदारी घट गई.

यह अमेरिका के अलावा अन्य देशों से सेब के आयात में काफी वृद्धि होने से स्पष्ट हो जाता है, जो कि वित्त वर्ष 2018-19 के 160 मिलियन अमेरिकी डालर से बढ़ कर वित्त वर्ष 2022-23 में 290 मिलियन अमेरिकी डालर हो गया है.

तुर्की, इटली, चिली, ईरान और न्यूजीलैंड नए परिदृश्‍य में भारत को प्रमुख सेब निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आए, और इस तरह से एक समय अमेरिका के कब्जे वाले बाजार में अपनी हिस्सेदारी प्रभावकारी रूप से हासिल कर ली.

इसी प्रकार से अखरोट के मामले में भी भारत में आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 35.11 मिलियन अमेरिकी डालर से काफी बढ़ कर वित्त वर्ष 2022-23 में 53.95 मिलियन अमेरिकी डालर हो गया, और चिली एवं यूएई भारत को सर्वाधिक निर्यात करने वाले देश बन गए.

पिछले 3 वर्षों में लगभग 233 हजार एमटी का बादाम आयात हुआ है, जबकि देश में उत्पादन केवल 11 हजार एमटी का हुआ है, और भारत आयात पर अत्यधिक निर्भर है. अत: अतिरिक्त शुल्क हटा देने से अब उन देशों के बीच उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी, जो भारत को इन उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं.

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