भारत में रोडोडैंड्रान की तकरीबन 80 प्रजातियां हैं. ये प्रजातियां अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम और उत्तराखंड में पाई जाती हैं.

हिमाचल प्रदेश में यह प्रजाति मुख्य रूप से बिलासपुर, सिरमौर, चंबा, कांगड़ा और सोलन जिलों के जंगलों में पाई जाती है.

आमतौर पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोडोडैंड्रान की 3 प्रजातियां रोडोडैंड्रान आर्बोरियम, रोडोडैंड्रान कंपनुलेटम और रोडोडैंड्रान एंथीपोजेन पाई जाती हैं. लेकिन इन में से रोडोडैंड्रान आर्बोरियम सब से लोकप्रिय प्रजाति है.

मूल रूप से उत्तरमध्य भारत में पौधे को लाली बुरांश, बरास, बराह के फूल, बुरांश और बुरांस के नाम से जाना जाता है. बुरांस के फूल, पत्ते और रंग की विशेषता में बेहद बहुमुखी है.

यह एक सदाबहार पेड़ है. इस की ऊंचाई 12 मीटर तक दर्ज की गई है. तना अकसर डाली जैसा कुटिल और ग्रंथियुक्त होता है. बुरांस के पत्ते बेहद आकर्षक होते हैं. इस की पत्तियां चमकदार, हरे रंग की दीर्घाकार, भालाकार, 10-12 सैंटीमीटर लंबी और 3.6 सैंटीमीटर चौड़ी होती हैं.

इस के पुष्पक्रम को ट्रस कहा जाता है. एक ट्रस में 10 से 20 तुरही और घंटी के आकार के 30 मिलीमीटर लंबे व 7 मिलीमीटर चौड़े फूल पाए जाते हैं. एक पेड़ पर 20 सग लग बर 100 ट्रस पाए जाते हैं. एक ट्रस का वजन 25-40 ग्राम होता है और एक फूल का वजन 0.9-2.5 ग्राम तक होता है. इस के फूल हलके लाल व गुलाबी लाल से गहरे लाल रंग के होते हैं.

पारंपरिक रूप से बुरांस के फूल की पंखुडि़यों का इस्तेमाल पहाड़ी लोग चटनी बनाने में करते हैं. हिमाचल प्रदेश में इस का इस्तेमाल चटनी और स्थानीय वाइन बनाने में भी किया जाता है. लेकिन इस के फूलों से बनी चीजों से संबंधित ज्यादा जानकारी मुहैया नहीं है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...